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क्या आप जानते हैं...1 अप्रैल से बदल रहे हैं आयकर से ये जुड़े नियम

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, शुक्रवार, 31 मार्च 2017 (12:16 IST)
नई दिल्ली। 31 मार्च को वित्त वर्ष की समाप्ति के साथ ही 1 अप्रैल 2017 से नया कारोबारी साल शुरू हो जाएगा और इसके साथ ही कई सरकारी नियमों में भी बदलाव लागू हो जाएंगे। इसके साथ ही आयकर संबंधी नियमों में भी बदलाव आएगा जो कि सभी को प्रभावित करेंगे। इन बदलावों को मोटे तौर पर दो भागों में बांटा जा सकता है, जिनमें से पहला है- आयकर रिटर्न भरने के नियम। दूसरा भाग होगा कि आयकर की गणना संबंधी किन नियमों में बदलाव होगा। आयकर रिटर्न भरने के लिए याद रखें...
 
1. आयकर रिटर्न भरने वालों के लिए एक बड़ा बदलाव यह किया गया है कि अब उन्हें अपना आधार नंबर बताना भी अनिवार्य होगा। उल्लेखनीय है कि पिछले साल तक रिटर्न भरने वालों के लिए आधार नंबर देना ऐच्छिक था। आमतौर पर इनकम टैक्स रिटर्न भरने की अंतिम तारीख 31 जुलाई होती है, इसलिए जिन करदाताओं के पास आधार कार्ड नहीं है, वे इसे जल्द से जल्द बनवा लें।
 
2. आयकर रिटर्न से जुड़ा एक और बड़ा बदलाव सरकार ने नए वित्त वर्ष 2017-18 से किया है जिसमें रिटर्न भरने में देरी होने पर पेनल्टी (अर्थदंड) का प्रावधान किया गया है। इस प्रावधान के मुताबिक वित्त वर्ष 2017-18 का टैक्स रिटर्न अगर 31 दिसंबर तक ना भरा जाए तो करदाता पर 5000 रुपए का जुर्माना लगेगा। लेकिन अगर आप 31 दिसंबर के बाद रिटर्न दाखिल करते हैं तो आपके लिए जुर्माने की राशि 10 हजार रुपए की होगी। लेकिन इस संबंध में प्रावधान है कि जिन करदाताओं की वार्षिक आय 5 लाख रुपए तक होगी तो ऐसे लोगों के लिए दंडराशि 1,000 रुपए होगी।
 
3. एक अहम बात यह भी है कि सालाना 50 लाख रुपए तक कर योग्य आय वाले नौकरीपेशा करदाता को अब एक पेज का ही टैक्स रिटर्न फॉर्म भरना होगा। उसकी आय का स्रोत सिर्फ सैलरी और एक घर से रेंटल इनकम (किराए से प्राप्त आय) हो सकती है। 
 
4. अगर ऐसे करदाता का आय का कोई और स्रोत होगा तो उसे एक पेज का फॉर्म भरने की अनुमति नहीं होगी, लेकिन जो लोग 5 लाख वार्षिक तक कमाते हैं और जो पहली बार रिटर्न भरेंगे, उन्हें स्क्रूटनी (जांच) के दायरे से बाहर रखा जाएगा।
अगले पन्ने पर... बदलाव जोकि आपकी करयोग्य आय टैक्स की गणना से जुड़े हैं... 
 

इसके साथ उन बदलावों को भी जान लें जोकि आपकी करयोग्य आय टैक्स की गणना से जुड़े हैं।
 
1. नए वित्त वर्ष में सालाना 2.5 लाख से 5 लाख रुपए तक कमाने वालों को 10 प्रतिशत की बजाए 5 प्रतिशत टैक्स देना होगा। सरकार का दावा है कि इससे ज्यादातर करदाताओं को 12,500 रुपए तक की सालाना बचत होगी। लेकिन जिन लोगों की वार्षिक आय एक करोड़ या इससे ज्यादा होगी तो उनके कर में लगने वाला सरचार्ज और सेस (उपकर) भी जोड़ दिया जाए तो भी उनकी बचत करीब 15,000 रुपए की होगी।
 
2. आयकर की धारा 87ए के तहत मिलने वाली करों में छूट के नियमों में बदलाव के बाद अब सालाना 3.5 लाख रुपए तक कमाने वालों को ही इसका फायदा मिलेगा। अभी तक 5 लाख रुपए तक की आमदनी वाले कर छूट के तौर पर 5,000 रुपए तक का फायदा पाते थे, लेकिन अब इस छूट की रकम घटाकर 2,500 रुपए कर दी गई है।
 
3. 50 लाख रुपए से 1 करोड़ रुपए सालाना कमाने वालों को टैक्स पर 10 प्रतिशत सरचार्ज अतिरिक्त देना होगा। सुपर रिच समझे जाने वाले या 1 करोड़ से ज्यादा कमाने वाले लोग पहले से ही 15 प्रतिशत सरचार्ज देते हैं।
 
4. प्रॉपर्टी के निवेशकों को भी नए वित्त वर्ष से ज्यादा टैक्स छूट मिल सकेगी। अब दीर्घकालिक कैपिटल गेन की गणना के लिए 3 साल की बजाय सिर्फ 2 साल तक ही प्रॉपर्टी रख सकेंगे। नए नियम के तहत 2 साल पुरानी प्रॉपर्टी बेचने पर टैक्सपेयर्स को इंडेक्सेशन के साथ 20 प्रतिशत की दर से टैक्स देना होगा। हालांकि अगर कैपिटल गेन का फिर से निवेश किया जाए तो इस टैक्स पर फिर से भी छूट मिल जाएगी।
 
5. यही नहीं, इंडेक्सेशन के लिए सरकार ने बेस ईयर या आधार वर्ष भी अब 1 अप्रैल 2001 कर दिया है। पहले यह 1 अप्रैल 1981 था लेकिन इस बदलाव की वजह से प्रॉपर्टी बेचने पर कैपिटल गेन कम होगा जिससे टैक्स देनदारी काफी कम हो जाएगी।
 
6. राजीव गांधी इक्विटी सेविंग स्कीम में निवेश करने पर 2017-18 से टैक्स में कोई राहत नहीं मिलेगी। लेकिन जिन लोगों ने वित्त वर्ष 2016-17 तक इसमें निवेश किया होगा, उन्हें स्कीम के नियमों के तहत छूट का फायदा मिलता रहेगा।
 
7. अगर आपके एक से ज्यादा घर हैं तो नए वित्त वर्ष से आप हाउस प्रॉपर्टी से अधिकतम 2 लाख रुपए का घाटा दिखा सकेंगे जबकि पहले इस घाटे की कोई सीमा नहीं थी। नियम बदलने के बाद किराए पर घर देने वालों को भी उतनी ही छूट मिलेगी, जितनी सेल्फ-ऑक्युपाइड प्रॉपर्टी वालों को मिलती है।

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