भारत और चीन के बीच तनाव इस समय पूरे चरम पर है। सीमा (LAC) पर युद्ध जैसे हालात बने हुए हैं। चीन में शासक कोई भी रहा हो, लेकिन उसकी विस्तारवादी नीति हमेशा एक जैसी रही है। पंचशील के सिद्धांतों और हिन्दी-चीनी भाई-भाई के नारे की आड़ में लाल चीन ने हमेशा अपनी काली करतूतों को ही अंजाम दिया है।
नेहरू काल से लेकर मोदी काल तक में चीन की नीतियों में कोई परिवर्तन नहीं आया है। जबकि, पंचशील के सिद्धांतों में स्पष्ट उल्लेख था कि दोनों देश एक दूसरे की प्रादेशिक अखंडता और पारस्परिक सम्मान की भावना का सम्मान करेंगे साथ ही एक-दूसरे पर आक्रमण नहीं करेंगे। भारत के खिलाफ चालबाजियों का चीन का पुराना इतिहास है। कोरोनावायरस (Coronavirus) काल में तो चीन पूरी दुनिया को 'दर्द' के गहरे समंदर में धकेल चुका है।
दरअसल, चीन ने अपनी कुटिलता का परिचय 1958 में ही दे दिया था, जब उसने लद्दाख से लेकर असम-सीमा तक हिमालय क्षेत्र के 1 लाख 32 हजार 90 वर्ग किमी भारतीय भू-भाग को एक नक्शे के माध्यम से अपना हिस्सा बताया था। इसके बाद 1962 में चीन ने सभी सिद्धांतों को ताक पर रखते भारत पर आक्रमण कर दिया और भारत के लगभग 38 हजार वर्ग किलोमीटर भूभाग चीन ने कब्जा कर लिया।
दूसरी ओर, पाकिस्तान ने पाक अधिकृत कश्मीर (POK) के 5180 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को अवैध रूप से चीन को दे दिया था। चूंकि इस क्षेत्र को भारत अपना हिस्सा मानता है अत: भारत के 43 हजार 180 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर चीन का अवैध रूप से कब्जा है।
हालांकि 1962 में परिस्थितियां जो भी रही हों, लेकिन इसके ठीक 5 साल बाद यानी सितंबर 1967 में नाथू ला में भारतीय सैनिकों ने चीनी करतूतों बहुत ही तगड़ा जवाब दिया था। उस समय चीन के 300 से ज्यादा सैनिक मारे गए थे, जबकि इस जंग में भारत के 65 सैनिक शहीद हुए थे। चीन भारत पर मानसिक दबाव बनाने के लिए 1962 की लड़ाई की बात तो करता है, लेकिन 1967 का जवाब उसे याद नहीं रहता।
2017 से चीन की तैयारी : वर्ष 2017 में भारत और चीन के बीच डोकलाम विवाद हुआ था। 16 जून, 2017 को शुरू हुआ यह विवाद करीब ढाई महीने तक चला। उस समय करीब 300 भारतीय सैनिकों ने दो बुलडोजर्स के साथ भारत-चीन सीमा पार कर पीएलए को डोकलाम में सड़क बनाने से रोक दिया। भारत-चीन के इस विवाद में भूटान भी शामिल था।
28 अगस्त 2017 को दोनों देशों ने अपनी सेनाएं पीछे हटाने का निर्णय लिया। चूंकि चीन उस समय अपने मन की नहीं कर पाया, इसलिए उसके बाद चीन ने भारत को चारों ओर से घेरने की साजिशें करना शुरू कर दिया। चाहे फिर लद्दाख का मामला हो या नेपाल से लगे लिपुलेख, कालापानी, लिंपियाधुरा का।
इधर भी चीन की नजर ठीक नहीं : ऐसा नहीं है कि चीन सिर्फ लद्दाख में ही अपनी हरकतों को अंजाम दे रहा है। वह अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, उत्तराखंड और सीमा से लगे अन्य क्षेत्रों में घुसपैठ की कोशिशें करता रहा है। इतना ही नहीं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अरुणाचल प्रदेश यात्रा भी उसे नागवार लगती है क्योंकि अरुणाचल के इलाकों पर उसकी 'कुदृष्टि' है। पाकिस्तान के साथ 'कदमताल' करने वाला चीन कश्मीरियों को हमेशा नत्थी वीजा जारी करता रहा है। इसके माध्यम से वह इस क्षेत्र को हमेशा विवादित मानता रहा है।
15-16 जून की वह रात : भारत और चीन के बीच ताजा विवाद उस समय चरम पर पहुंच गया जब चीनी सैनिकों ने षडयंत्रपूर्वक 15-16 जून, 2020 की रात भारतीय क्षेत्र में सैनिकों पर पर हमला बोल दिया। इस हमले में कर्नल संतोष बाबू समेत भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे। चीन को भी इस झड़प में काफी नुकसान पहुंचा था, लेकिन उसने कभी इसको स्वीकार नहीं किया।
हाल ही में चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने जरूर इस बात की पुष्टि की कि इस खूनी झड़प में चीनी सैनिक भी मारे गए थे, लेकिन उनकी संख्या भारत से कम थी। दूसरी ओर, अमेरिका की एक मैगजीन ने मरने वाले चीनी सैनिकों की संख्या 60 के लगभग बताई थी।
रेजांग ला में कब्जे की कोशिश : पिछले दिनों चीन ने रेजांग ला में भी कब्जा करने की कोशिश की, लेकिन भारतीय पक्ष का दावा है कि उसने चीन की इस कोशिश को नाकाम कर दिया। पैंगोंग के पास रेजांग ला में करीब 40-50 सैनिक आमने-सामने हो गए थे। इस दौरान चीनी सैनिकों ने भारतीय सैनिकों को डराने के लिए हवाई फायरिंग भी की, लेकिन भारतीय सैनिकों ने संयम बरतते हुए चीनी सैनिकों को पीछे धकेल दिया।
भारतीय सेना कर रही है सर्दियों की तैयारी : ऐसा माना जा रहा है चीन सर्दियों के मौसम में फिर हरकत कर सकता है। अत: इस स्थिति से निपटने के लिए अभी से भारतीय सेना पूरी तैयारी कर रही है। रक्षा सूत्रों की मानें तो पैंगोंग झील, देपसांग, स्पंगुर झील, रेजांगला आदि के एलएसी के इलाकों में भारतीय सेना को युद्ध वाली स्थिति में रहने को कहा गया है। उसे अपने सैनिक साजोसामान को कुछ ही मिनटों के ऑर्डर पर जवाबी हमला करने की स्थिति में भी तैयार रखने के निर्देश दिए गए हैं।
लद्दाख में एलएसी पर जो इंतजामात किए जा रहे हैं, उनमें भयानक सर्दी से बचने के उपायों के अतिरिक्त सियाचिन हिमखंड की तरह युद्ध की स्थिति में बचाव और हमले करने की रणनीति अपनाने के लिए जरूरी इंतजाम भी शामिल हैं।
चीन और भारत के बीच लद्दाख सेक्टर में एलएसी पर तनाव कम करने के 5 सूत्रीय समझौते के बावजूद चीनी सेना पैंगोंग झील के किनारों के पहाड़ों पर तैनाती को बढ़ा चुकी है। टैंक और तोपें भी इसमें शामिल हैं। भारतीय सेना ने भी जवाबी कार्रवाई करते हुए चीन से लगी सीमा पर सैनिकों और हथियारों की तैनाती बढ़ा दी है। एक जानकारी के मुताबिक एलएसी के विवादित स्थानों पर चीनी सैनिकों की संख्या बढ़कर 70 से 80 हजार पहुंच चुकी है, जबकि भारत की ओर से यह संख्या करीब 50 हजार है।
भारत पर साइबर हमले की साजिश भी : एक रिपोर्ट के मुताबिक 2007 से लेकर अब तक चीन कई बार भारतीय सैटेलाइट्स कम्युनिकेशंस पर साइबर अटैक कर चुका है। CASI की 142 पन्नों की रिपोर्ट के अनुसार 2012 से 2018 के बीच चीन कई बार भारत में साइबल हमले कर चुका है। इसके अलावा चीन के हैकरों ने न सिर्फ खुफिया जानकारी हासिल करने के लिए साइबर हमले किए बल्कि आम आदमियों को भी नहीं बख्शा।
कोरोनावायरस से ध्यान हटाने की कोशिश : चीन की विस्तारवादी नीति तो सबको पता है, लेकिन दुनिया में बढ़े कोरोनावायरस संक्रमण के बाद चीन पूरी दुनिया के निशाने पर है। अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी आदि बड़े देश चीन के खिलाफ हो गए हैं। इन सबका आरोप है कि दुनिया में कोरोनावायरस चीन की लापरवाही (या साजिश?) के चलते फैला है। इसका पूरी दुनिया को ही नुकसान उठाना पड़ रहा है।
पूरी दुनिया में जहां कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, वहीं चीन में इनकी संख्या बहुत कम है, जबकि वायरस की शुरुआत ही चीन के वुहान से हुई थी। भारत ने भी चीन पर जवाबी कार्रवाई करते हुए उसके 100 से ज्यादा ऐप्स पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसकी बौखलाहट भी चीन में साफ देखी जा रही है। समझा जा रहा है कि चीन अपने लोगों का ध्यान भटकाने के लिए सीमा पर विवाद जानबूझकर पैदा कर रहा है।
दूसरे देशों से भी सीमा विवाद : चीन का न सिर्फ भारत बल्कि दुनिया के अन्य देशों से भी विवाद छिपा नहीं है। तिब्बत को चीन पूरी तरह हड़प कर चुका है। जापान, ताईवान यहां तक कि रूस के साथ भी उसका सीमा विवाद है। एक जानकारी के मुताबिक जापान के 81 हजार वर्ग किमी के आठ द्वीपों पर चीन की नजर है। ताइवान पर तो लंबे समय से चीन की नजर है। हांगकांग पर उसका जबरिया कब्जा है। दक्षिण चीन सागर में भी ताइवान के अलावा ब्रुनेई, इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, वियतनाम, सिंगापुर आदि देशों से चीन के संबंध ठीक नहीं हैं।
न सिर्फ भारत बल्कि चीन इस समय पूरी दुनिया की आंख की किरकिरी बना हुआ है। कुछ देशों से जहां उसके सीधे सीमा विवाद हैं, वहीं कोरोनावायरस को लेकर पूरी दुनिया को चीन खटक रहा है। इस सबके बावजूद भारत को चीन की साजिशों से सावधान रहना होगा क्योंकि पीठ पर वार करना चीन की पुरानी आदत है। क्योंकि वह न तो पंचशील के सिद्धांतों को मानता है और न ही उसे इस बात का ध्यान रहता है कि शी जिनपिंग और नरेन्द्र मोदी ने एक साथ झूला झूलकर 'दोस्ती' की पींगें बढ़ाई थीं।