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चीन की हर हरकत का जवाब देने को तैयार भारतीय सेना

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सुरेश एस डुग्गर

श्रीनगर। लद्दाख सेक्टर में चीन से सटी सीमा पर सैनिक गतिविधियां फिलहाल थमी नहीं हैं बल्कि इनमें तेजी आ चुकी है। लेह स्थित सेना की 14वीं कोर के सभी जवानों को चीन सीमा पर तैनात किया जा चुका है और हाल ही में खोली गई हवाई पट्टियों को एडवांस लैंडिंग ग्राउंड में बदलने की कवायद भी जारी है। 
 
अभी तक तोपखानों के सहारे इन क्षेत्रों में दुश्मन पर निगाह रखने वाले जवानों के लिए यह खबर जरूर खुशी देने वाली है कि जल्द ही 300 के करीब हल्के टैंकों का बेड़ा उन्हें मिल जाएगा। जबकि दो टैंक रेजिमेंटों को तैनात भी किया जा चुका है, बावजूद इसके यही कहा जा रहा है कि चीन सीमा पर कोई तनातनी नहीं है।
 
पर यह जरूर माना जा रहा है कि हजारों सैनिक चीन से सटी 646 किमी लंबी सीमा व वास्तिक नियंत्रण रेखा पर तैनात हैं, जहां अभी तक इक्का-दुक्का जवान ही नजर आता था। हालांकि इनकी तैनाती को उस युद्धाभ्यास का हिस्सा बताया जा रहा है जो चीन सीमा से सटे इलाकों में भयानक और जमा देने वाली सर्दी में हो रहा है।
 
चीन सीमा पर पैदा होते खतरे से निपटने की खातिर सिर्फ जवानों की तैनाती और सैनिक साजो सामान ही नहीं है बल्कि सेना व वायुसेना चीन सीमा पर अधिक से अधिक हवाई पट्टियों और एयर बेसों को सक्रिय करने की कवायद में भी जुटे हैं। पहले ही दौलत बेग ओल्डी व फुकचे हवाई पट्टियों को खोला जा चुका है तथा पिछले साल खोली कई नई हवाई पट्टी नियोमा को एडवांस लंडिंग ग्राऊंड में बदलने का काम चल रहा है। 
 
फिलहाल सैनिक सूत्र इस पर खामोश हैं कि अचानक 55 सालों के बाद चीन सीमा पर एक साथ इतनी हवाई पट्टियों को सक्रिय करने की क्या जरूरत पड़ गई। वैसे हवाई पट्टियों को खोलने का क्रम रूका नहीं है। सूत्रों के बकौल, वायुसेना अगले कुछ दिनों में चुशूल सीमा चौकी पर पैंगांग झील से सटी हवाई पट्टी को खोलने की कवायद में भी जुटी है। हालांकि वह इसे जरूर मानती है कि इस हवाई पट्टी के खोले जाने पर चीन के साथ तनातनी और बढ़ सकती है क्योंकि चीन इस इलाके को अपना करार देता है।
 
ऐसे में जबकि तनातनी का माहौल ठंडा होने का नाम नहीं ले रहा है, भारतीय सेना अपने तोपखानों को पीछे लाने को राजी नहीं है। वह नहीं चाहती कि उनकी वापसी का चीनी सेना लाभ उठाकर इलाके पर कब्जा जमा ले। इतना जरूर था कि चीन सीमा पर चीनी सेना के मुकाबले खड़ा होने की खातिर भारत सरकार ने अब 300 से अधिक 22 टन के हल्के लड़ाकू टैंक भी खरीदने की कवायद तेज की है जिनमें से आधे लद्दाख में चीन सीमा पर पहाड़ी इलाकों में तैनात किए जाएंगे। बाकी को अरुणाचल प्रदेश में तैनात किया जाना है। 
 
जानकारी के अनुसार, टी-72 टैंकों के पहाड़ी प्रारूप को भी इस इलाके में तैनात करने की कवायद तेज होने लगी है जिसकी दो रेजीमेंटों को लद्दाख सेक्टर में तैनात कर भारत ने चीनी सेना के पांव तले से जमीन खिसका दी है। रक्षा क्षेत्रों में इसे माना जा रहा है कि इन टैंक रेजीमेंटों की तैनाती के बाद चीन बिफर गया है और उसके तेवर ठीक नहीं लग रहे हैं। ऐसे में कहा यही जा रहा है कि चीन लद्दाख में हमला बोल सकता है, जिसको रोकने की खातिर भारतीय सेना पूरी जी-जान से जुटी हुई है।

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