नई दिल्ली। सिक्किम की सीमा पर भूटान से लगते ट्राई जंक्शन क्षेत्र में चीन के साथ पिछले लगभग एक महीने से चले आ रहे गतिरोध को लेकर भारत के अपने रूख पर मजबूती से डटे रहने की वजह से इसके फिलहाल दूर होने की संभावना नहीं है और यह लंबे समय तक खिंच सकता है।
सिक्किम के निकट भूटान से लगते इस ट्राई जंक्शन क्षेत्र में सीमा विवाद के बारे में भारत, भूटान और चीन के बीच पहले से ही समझौते हैं लेकिन चीन की इस क्षेत्र में सड़क बनाने की कोशिश पर भारत द्वारा पानी फेरे जाने के बाद पिछले एक महीने से इस क्षेत्र में गतिरोध की स्थिति बनी हुई है। यह दोनों सेनाओं के बीच 1962 के बाद से सबसे लंबा इस तरह का गतिरोध है।
सोलह जून से दोनों सेनाएं डोकालम में आमने सामने हैं और भारतीय सैनिकों ने क्षेत्र में तंबू गाढ़ दिए हैं जिससे ए संकेत मिलते हैं कि चीनी सैनिकों के पीछे हटने तक वे भी अपनी जगह नहीं छोड़ेंगे। चीन का कहना है कि अगर भारत गतिरोध ख़त्म करना चाहता है तो डोकालम से अपने सैनिक हटा ले। सूत्रों ने कहा कि चीनी सेना द्वारा डोका लम में 'आक्रामक चालें' अपनाए जाने के बाद भारत ने और अधिक सैनिकों को तैनात किया है।
सामरिक विश्लेषकों का मानना है कि इस क्षेत्र में भारत मजबूत स्थिति में है और वह चीन की रणनीति के सामने झुकने वाला नहीं है। भारत का मानना है कि 2005 के सीमा विवाद समाधान फ्रेमवर्क के अनुसार उसकी स्थिति कानूनी तौर पर भी मजबूत है क्योंकि इसके तहत सीमा पर यथा स्थिति में बदलाव नहीं किया जा सकता।
सीमा विवाद के समाधान के लिए विशेष प्रतिनिधि वार्ता व्यवस्था भी है और दोनों पक्षों ने विवाद के समाधान तक सीमा पर शांति बनाए रखने के प्रति वचनबद्धता व्यक्त की है। इसके अलावा चीन और भूटान के बीच 1998 में हुए समझौते में भी कहा गया है कि दोनों पक्षों को सीमा विवाद का समाधान होने तक यथा स्थिति बनाए रखनी होगी।
चीनी सामरिक मामलों से जुडे केन्द्र सेंटर फार चाइना एनालिसिस एंड स्ट्रेटजी के अध्यक्ष जयदेव रानाडे ने कहा है, 'जब चीन के सैनिकों ने गत एक जून को भूटान के क्षेत्र में सड़क निर्माण शुरू करवाया था तो उन्हें यह उम्मीद नहीं थी कि भारत इस बार सख्त रूख अपनाएगा। लेकिन इस बार चीन फंस गया है।'
उन्होंने कहा कि भारत और भूटान के बीच रक्षा मामलों में लंबे समय से घनिष्ठ सहयोग चला आ रहा है और पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने 1958 में ही संसद में कहा था कि भूटान पर किसी तरह का आक्रमण भारत पर आक्रमण के समान माना जाएगा। दूसरी ओर भूटान के चीन के साथ किसी तरह के राजनयिक संबंध नहीं हैं।
डोकालम क्षेत्र काफी ऊंचाई पर है और वहां भारत और भूटान दोनों ही मजबूत स्थिति में है। इस क्षेत्र को भारत में डोकाला और भूटान में डोकालम के नाम से जाना जाता है जबकि चीन में इसे डोंगलांग कहा जाता है।
रानाडे ने कहा, चीन भूटान को डरा धमकाकर इस क्षेत्र से बाहर करना चाहता है लेकिन जब उसने देखा कि भारत अपने रुख से पीछे नहीं हट रहा तो अब वह सरकारी मीडिया के जरिए धमकीभरे संदेश दे रहा है। यह किसी से छिपा नहीं है कि ग्लोबल टाइम्स को पीपुल्स डेली द्वारा ही चलाया जा रहा है और वे इस इंतजार में है कि पहले कौन पीछे हटता है।
भारत की जम्मू कश्मीर और अरुणाचल प्रदेश में 3488 किलोमीटर लंबी सीमा चीन से लगती है, जिसमें सिक्किम में 220 किलोमीटर लंबी सीमा शामिल है। (वार्ता)