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पाकिस्तान के साथ व्यापार की समीक्षा करेगा भारत : विकास स्वरूप

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, गुरुवार, 6 अक्टूबर 2016 (22:20 IST)
नई दिल्ली। भारत ने गुरुवार को कहा कि वह सुरक्षा और व्यापार हितों के आधार पर पाकिस्तान को दिए गए तरजीही राष्ट्र के दर्जे की समीक्षा करेगा, और साथ ही बोला कि आतंकवाद निर्यात की वस्तु नहीं हो सकती है।
 
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने यह भी कहा कि पाकिस्तानी संसद में वहां के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ द्वारा भाषण के दौरान हिज्बुल मुजाहीद्दीन के आतंकी बुरहान वानी की तारीफ करना भारत के विरुद्ध आतंकवाद के पाकिस्तान की संलिप्तता दिखाता है और वह ‘‘स्वयं को दोषी ठहराने जैसा था।’’ 
 
शरीफ ने संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए कल वानी को ‘कश्मीरी मिट्टी का लाल’ बताया था। यह पूछने पर कि क्या भारत अपनी ओर से पाकिस्तान को दिए गए तरजीही राष्ट्र के दर्जे की समीक्षा करेगा, उन्होंने कहा कि पड़ोसियों के साथ साझी समृद्धि को बढ़ावा देना सरकार की प्राथमिकता रही है, लेकिन आतंक निर्यात की वस्तु नहीं हो सकता। हम अपनी सुरक्षा और व्यापार हितों के आधार पर समीक्षा करेंगे। 
 
गौरतलब है कि भारत ने पाकिस्तान को तरजीही राष्ट्र का दर्जा दिया है, लेकिन पाकिस्तान ने अभी तक भारत को यह दर्जा नहीं दिया। भारत-पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के बीच हाल में हुई बातचीत के बारे में पूछने पर स्वरूप ने कहा कि जनवरी में दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों के बीच सहमति बनी थी कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार संपर्क में रहेंगे और उसकी जानकारी सार्वजनिक नहीं की जाएगी। ‘‘भारत उसे सार्वजनिक नही करने की प्रतिबद्धता पर अटल है।’’ 
 
इस सप्ताह के आरंभ में पाकिस्तानी मीडिया ने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के विदेश मामलों पर सलाहकार सरताज अजीज के हवाले से खबरें दी थीं कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की फोन पर हुई बातचीत के दौरान भारत तनाव कम करने पर राजी हुआ है। उरी हमले तथा उसके जवाब में भारत द्वारा पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर में आतंकी ठिकानों पर किए गए लक्षित हमलों के बाद दोनों देशों के बीच यह पहला संपर्क था।
 
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने पाकिस्तानी मीडिया की उन खबरों पर प्रतिक्रिया देने से मना कर दिया, जिनमें कहा गया है कि शरीफ ने देश की सेना से कहा है कि वह प्रतिबंधित आतंकी समूहों का बचाव ना करे और अधिकारियों को पठानकोट आतंकी हमले की जांच तथा 2008 मुंबई हमलों की सुनवायी जल्दी पूरा करने का निर्देश दिया है। 
 
हाफिज सइद के संगठन जैसे जिहादी और इस्लामिस्ट संगठनों के समूह दिफा-ए-पाकिस्तान द्वारा 28 अक्तूबर को पाकिस्तान में रैली का आयोजन किए जाने संबंध खबरों पर स्वरूप ने कहा कि भारत विरुद्ध गतिविधियों को अंजाम देने और उन्हें बढ़ावा देने वाले ऐसे अंतरराष्ट्रीय आतंकवादियों को पाकिस्तान में मिली आजादी पर भारत ने हमेशा चिंता जताई है।
 
उन्होंने कहा कि यह पाकिस्तान सरकार पर निर्भर करता है कि वह ऐसे कार्यों के लिए अपनी धरती का प्रयोग नहीं होने देने के आश्वासन पर खरा उतरे।’’ सीमा पार से होने वाले आतंकवाद को लेकर कई सदस्य देशों द्वारा दक्षेस शिखर सम्मेलन में भाग नहीं लेने का फैसला लिए जाने के बाद, सम्मेलन रद्द करने को ‘सर्वोच्च सीमा’ बताते हुए स्वरूप ने कहा कि अभी तक कुछ ‘‘सिर्फ बातें बना रहे थे’’ और कुछ ठोस नहीं कर रहे थे।
 
इस पर जोर देते हुए कि भारतीय सेना ने नियंत्रण रेखा पर घुसपैठ के प्रयासों को विफल करने के लिए 20 सफल अभियान चलाएं हैं, विकास स्वरूप ने कहा कि पकड़े गए आतंकवादियों ने स्वीकार किया है कि बड़ी संख्या में आतंकियों को प्रशिक्षण दिया गया है और वे पाकिस्तान तथा पीओके के आतंकवादी शिविरों में भेजे जाने के लिए तैयार हैं। 
 
उन्होंने कहा कि 8 जुलाई से जम्मू-कश्मीर में करीब एक दर्जन बड़े आतंकवादी हमले हुए हैं, जिनका नियंत्रण रेखा या सीमापार से समर्थन और सहयोग मिल रहा है। आज हंदवाड़ा में हुआ हमला भी ऐसा ही है।
 
प्रवक्ता ने कहा कि डीजीएमओ ने 29 सितंबर को जो कहा, मैं आपको वह याद दिलाना चाहूंगा कि भारत की मंशा क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखना है, लेकिन हम नियंत्रण रेखा के पार से आतंकवादियों को माफीनामे के साथ अपनी गतिविधियां चलाने या हमारे देश के नागरिकों पर हमला करने नहीं दे सकते। 
 
स्वरूप ने इस पर जोर दिया कि भारत ने उरी हमले के बाद देश में पाकिस्तान के उच्चायुक्त को समन कर उनसे स्पष्ट तौर पर कहा कि सरकार आशा करती है कि पाकिस्तान 2004 के अपने आश्वासनों को पूरा करेगा और अपनी धरती का प्रयोग हमारे देश के खिलाफ नहीं होने देगा। (भाषा)

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