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भारत-पाकिस्‍तान सीमा पर न युद्ध है और न ही शांति

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सुरेश डुग्गर

श्रीनगर। जम्मू कश्मीर राज्य की पाकिस्तान से सटी 1202 किमी लंबी सीमा पर इस समय ‘न युद्ध और न शांति’ का माहौल है। स्थिति यह है कि अंतरराष्ट्रीय सीमा पर भी पाकिस्तानी बंदूकों के मुंह खुले हुए हैं तो एलओसी पर पाकिस्तानी तोपें आग उगल रही हैं जबकि सियाचिन ग्लेश्यिर की सीमा पर दोनों पक्ष एक-दूसरे पर हावी होने के प्रयासों में जुटे हुए हैं।
पाकिस्तान के साथ कुल 1202 किमी लंबी सीमा है जो जम्मू कश्मीर से गुजरती है। इसमें 814 किमी की सीमा रेखा को एलओसी (युद्ध विराम रेखा) कहते हैं जिस पर पिछले 69 सालों से पाक तोपों और बंदूकों के मुंह बंद नहीं हुए हैं तो 124 किमी लंबी सियाचिन हिमखंड की सीमा पर अप्रैल 1984 से एक-दूसरे पर हावी होने के प्रयास फिलहाल रुके नहीं हैं और सीजफायर के बावजूद अब 264 किमी लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा पर पाकिस्तानी सेना ‘युद्ध का माहौल’ तैयार किए हुए है जहां अब बंदूकें भी आग उगल रही हैं।
 
रक्षाधिकारी भी पाकिस्तान से सटी 1202 किमी लंबी सीमा रेखा पर बने हुए ताजा माहौल को ‘न युद्ध और न शांति’ का वातावरण निरूपित करते हुए कहते हैं कि पाकिस्तान जम्मू कश्मीर से सटी सारी सीमा को गर्माए रखने के इरादों से ही ऐसा माहौल बनाए हुए है, जबकि उन्होंने रहस्योद्घाटन भी किया कि सीमा पर पाकिस्तान की बढ़ती हलचल से भारतीय सेना के ध्यान को हटाने के इरादों से ही पाक सेना पिछले कई सप्ताह से गोलाबारी तथा गोलीबारी में तेजी लाए हुए हैं।
 
इन रक्षा सूत्रों के अनुसार, बार्डर तथा एलओसी की सीमा के उस पार पाक सेना द्वारा अत्याधुनिक सैनिक साजोसामान को एकत्र करने, तोपखाने को तैनात करने व नई चौकियों-बंकरों व खंदकों के निर्माण की खबरें एक लम्बे समय से ही आ रही हैं और पाक सैनिक अपने अभ्यास के लिए, जिसमें यह जानने की कोशिश की जा रही है कि भारत के किस क्षेत्र से कितनी तेजी व शक्ति से उत्तर मिलेगा, गोलीबारी कर रहे हैं।
 
रक्षाधिकारी एलओसी के उस पार होने वाले निर्माण कार्य तथा सेना के बढ़ते जमावड़े को लेकर चिंतित नहीं हैं बल्कि उनकी चिंता का कारण बार्डर के पार होने वाली सैनिक गतिविधियां हैं जो किसी सैनिक अभ्यास का हिस्सा भी नहीं हैं। अधिकारी मानते हैं कि पाकिस्तान के इरादे नेक नजर नहीं हैं। लेकिन हमारे जवान पूरी तरह से सतर्क व चौकस होने के साथ ही अप्रत्याशित घटना का मुंहतोड़ जवाब देने को तैयार हैं।
 
रक्षा सूत्र कहते हैं कि इस संबंध में रक्षा मंत्रालय को भी जानकारी दी जा चुकी है। यही कारण है कि रक्षा मंत्रालय ने किसी भी प्रकार की गड़बड़ को रोकने के लिए ‘जैसे को तैसा’ की नीति के साथ ही रक्षात्मक की जगह आक्रामक नीति अपनाने के लिए कहा है लेकिन हम फिर भी संयम बरतते हुए पाक गोलाबारी का उत्तर देते हैं ताकि सीमा पर माहौल अशांत न होने पाए।
 
अधिकारियों ने सीमा पार की गतिविधियों को भी खतरनाक बताते हुए कहा कि पाकिस्तानी सेना इन्हीं गतिविधियों को छुपाने के इरादों से भारतीय सैनिक व असैनिक ठिकानों पर लगातार गोलीबारी किए जा रही है ताकि सीमा पार होने वाली हलचल से भारतीय सेना का ध्यान हट जाए जिसमें वह ठीक उसी तरह की तैयारियों में जुटी है जिस प्रकार की तैयारियां उसने 1965 तथा 1971 के भारत-पाक युद्धों से पूर्व की थीं।
 
और इन तैयारियों में जुटे सैनिकों द्वारा प्रतिदिन भारतीय ठिकानों पर जो गोलीबारी और गोलाबारी की जा रही है रक्षा सूत्रों के अनुसार वह अभ्यास मात्र है और यह अभ्यास पाक सेना इसलिए भी कर रही है जिससे कि वह यह जानकारी प्राप्त करना चाहती है कि किस भारतीय सैनिक ठिकाने पर हमला करने पर कितनी तेजी से उसका उत्तर मिलेगा, लेकिन रोचक बात यह है कि भारतीय सैनिक संयम बरतने की नीति को अपनाते हुए ही पाक गोलीबारी का जवाब दे रहे हैं और उनकी कोशिश है कि सीमा पर जो ‘न युद्ध और न शांति’ का माहौल बना हुआ है उसमें सुधार हो न कि वह और बिगड़ जाए।

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