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सनसनीखेज खुलासा! हमने कसाब को बिरयानी खिलाई, पाक कैदियों को रोटी भी नहीं देता

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नई दिल्ली , शनिवार, 15 अप्रैल 2017 (15:16 IST)
नई दिल्ली। पाकिस्तान की जेलों में भारतीयों का दमन और प्रताड़ित करने की बातें नई नहीं हैं, लेकिन इसमें नई बात यह है कि भारतीय कैदियों को  जेल में समाप्त करने के लिए पाकिस्तान पुलिस और उसका जेल स्टाफ क्या-क्या करता है? हाल ही में एक नया प्रकरण सामने आया है जिनसे पता  लगता है कि भारतीय कैदियों के साथ अमानवीय व्यवहार करने के लिए किस सीमा तक गिर सकता है।  
 
हाल ही में, कानपुर के दो मछुआरों ने एक हैरान कर देने वाला खुलासा किया है। ये दोनों मछुआरे हैं जो कि पाकिस्तान सेना के हाथ लगने के बाद उनकी  जेलों में बंद रहे हैं। इन मछुआरों का कहना है कि पाकिस्तान की जेलों में भारतीय कैदियों के साथ अमानवीय बर्ताव होता है। इतना ही नहीं, उनकी हत्याएं  तक कर देने की साजिश की जाती है। 
 
इनके दावों के मुताबिक ये मछुआरे मछली पकड़ते हुए पाकिस्तानी सुरक्षाबलों के कब्ज़े में आ गए थे। आप यह जानकर हैरान हो जाएंगे कि कराची जेल में  सिर्फ सब्जी खाकर इन लोगों को 14 महीने गुजारना पड़ा क्योंकि पाकिस्तानी जेल में भारतीय कैदियों को जो रोटियां दी जाती हैं, उनमें एक रसायन मिला  होता है।
 
कानपुर के पास मोहम्मदपुर गांव के रहने वाले जयचंद और रविशंकर की कहानी ने पाकिस्तान के अमानवीय और बर्बर चेहरे को एक बार फिर बेनकाब  कर दिया है। विदित हो कि 15 अक्टूबर 2015 को इन्हें पाकिस्तान ने 27 मछुआरों के साथ समंदर में गिरफ्तार किया था। 
 
वास्तव में यह कायदे से मछुआरे भी नहीं थे वरन दोनों गुजरात में एक मछली कॉन्ट्रैक्टर के यहां मछली पकड़ने का काम करते थे। इसी दौरान एक दिन  पाकिस्तानी सुरक्षाबलों ने समंदर में इन्हें यह कहकर पकड़ लिया थी कि वो पाकिस्तानी इलाके में आ गए हैं। 27 दूसरे मछुआरों के साथ इन्हें कराची जेल में डाल दिया गया। आप यह जानकर दंग रह जाएंगे कि कराची जेल में दोनों 14 महीने तक सिर्फ सब्जी खाकर जिंदा रहे।
 
चौदह महीनों तक सिर्फ सब्जी खाकर जिंदा रहे इन मछुआरों ने बताया कि पाकिस्तानी जेलों में भारतीय कैदियों की रोटियों में एक पाउडर और केमिकल  मिलाया जाता था। उनका कहना था कि जब उन्हें कोई सुई भी चुभ जाती तो उनके शरीर से खून की एक बूंद तक बाहर नहीं आता थी। आज भी ये उन  दिनों की याद कर सिहर जाते हैं। 
 
पकड़े जाने के बाद इन्होंने जीने की उम्मीद ही छोड़ दी थी और उन्हें लगता था कि वे पाकिस्तानी जेल से जिंदा निकलकर नहीं जा पाएंगे, लेकिन  छूटकर वापस वतन आने के लिए ऊपर वाले का शुक्रिया अदा करते हैं। इन दोनों को 31 दिसंबर 2016 को पाकिस्तान ने रिहा कर दिया गया था। 
 


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