राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार भारत में साल 2023 में अपराध की प्रवृत्तियों में अहम बदलाव देखने को मिले हैं। जनजातियों के खिलाफ अपराधों और साइबर अपराधों वृद्धि हुई है। एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में हर घंटे 3 बलात्कार और 3 हत्या की घटनाएं हो रही हैं। 2023 में हत्या के मामलों में 2.8% की कमी आई, लेकिन साइबर अपराध 31.2% बढ़ गए हैं राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में महिलाओं के खिलाफ 2023 में सबसे अधिक अपराध दर्ज किए गए, जहां कुल 13,000 से अधिक मामले सामने आए।
साइबर अपराधों में बढ़ोतरी
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के नवीनतम आंकड़ों से पता चला है कि भारत में 2023 में हत्या के 27,721 मामले दर्ज किए गए जो 2022 की तुलना में 2.8 प्रतिशत कम है जबकि इसी अवधि में अनुसूचित जनजातियों के खिलाफ अपराधों में 28 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
रिपोर्ट में कहा गया है कि साइबर अपराधों में 31.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई। वर्ष 2023 में साइबर अपराधों के 86,420 मामले दर्ज किए गए थे जबकि 2022 में 65,893 मामले दर्ज किए गए थे। अपराधों और प्रवृत्तियों के राष्ट्रीय रिकॉर्ड रखने वाले राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) ने खुलासा किया कि 2022 में भारत में हत्या के 28,522 मामले दर्ज किए गए, जो 2023 में घटकर 27,721 रह गए, यानी 2.8 प्रतिशत की गिरावट हुई है।
रिपोर्ट में कहा गया है, 2023 के दौरान हत्या के सबसे ज़्यादा मामलों का कारण 'विवाद' (9,209 मामले) था, इसके बाद 'व्यक्तिगत प्रतिशोध या दुश्मनी' (3,458 मामले) और 'लाभ' के 1,890 मामले थे। अनुसूचित जनजातियों के खिलाफ अपराधों में 28.8 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई, जो 2022 में 10,064 मामलों से बढ़कर 2023 में 12,960 हो गई।
इस श्रेणी में कुल अपराध दर भी 2022 में 9.6 से बढ़कर 2023 में 12.4 हो गई। एनसीआरबी के अनुसार, 2011 की जनगणना के आंकड़ों के अनुसार अपराध दर प्रति लाख जनसंख्या पर अपराध के मामले हैं। रिपोर्ट में कहा गया, महानगरों के लिए अपराध दर की गणना 2011 की वास्तविक जनगणना के आधार पर की गई है। साधारण चोट से संबंधित मामले कुल मामलों का 21.3 प्रतिशत हैं, इसके बाद दंगों के 1707 मामले हैं, जो कुल प्राथमिकियों का 13.2 प्रतिशत हैं और बलात्कार के 1189 मामले हैं जो कुल संख्या का 9.2 प्रतिशत है।
दिल्ली में सबसे ज्यादा हत्याएं
दिल्ली में हालिया हत्याओं की घटनाओं ने एक बार फिर सुरक्षा व्यवस्थाओं पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की ओर से जारी किए गए ताजा आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2023 में कुल 506 हत्याओं के मामले दर्ज किए गए, जिसमें सबसे अधिक 242 मामले आपसी विवाद के चलते हुए। वहीं मामूली कहासुनी में 115, आपसी दुश्मनी में 88 व पारिवारिक विवाद में 59 हत्याएं दर्ज की गईं. इसके अलावा पैसों के विवाद में 46 और डकैती या लूट के दौरान विरोध करने पर 43 हत्याएं हुईं।
आयु के हिसाब से आंकड़े और भी चिंताजनक हैं। सबसे अधिक हत्याओं का शिकार युवा वर्ग रहा। आंकड़ों के मुताबिक 18 से 30 साल के लोगों में 221 और 30 से 45 साल के लोगों में 196 हत्याएं हुईं। 16 से 18 साल की उम्र वाले 18 मामले सामने आए।
महिला अपराधों में वृद्धि
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, 2023 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के करीब 4.5 लाख मामले दर्ज किए गए जो इसके पिछले दो वर्षों की तुलना में मामूली वृद्धि है। वर्ष 2023 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के कुल 4,48,211 मामले दर्ज किए गए, जो 2022 में 4,45,256 और 2021 में 4,28,278 मामलों से अधिक है। राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के पुलिस रिकॉर्ड से संकलित आंकड़े दर्शाते हैं कि राष्ट्रीय अपराध दर प्रति लाख महिला जनसंख्या पर 66.2 घटनाएं हैं, जो कि मध्य वर्ष में अनुमानित महिला जनसंख्या अनुमान 6,770 लाख पर आधारित है। इन मामलों में कुल आरोपपत्र दाखिल करने की दर 2023 में 77.6 प्रतिशत रही।
राज्यों में, उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक 66,381 मामले दर्ज किए गए, उसके बाद महाराष्ट्र में 47,101, राजस्थान में 45,450, पश्चिम बंगाल में 34,691 और मध्यप्रदेश में 32,342 मामले दर्ज किए गए। तेलंगाना प्रति लाख महिला जनसंख्या पर 124.9 अपराध दर के साथ शीर्ष पर रहा, जबकि इसके बाद राजस्थान 114.8, ओडिशा 112.4, हरियाणा 110.3 तथा केरल में 86.1 अपराध दर दर्ज की गयी।
भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 498ए के तहत पति या रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता के मामले सबसे ज़्यादा थे, जिनमें 133,676 मामले दर्ज किए गए और इनकी दर 19.7 रही। महिलाओं के अपहरण और बंधक बनाने के 88,605 मामले दर्ज किए गए और इनकी दर 13.1 रही। महिलाओं की गरिमा भंग करने के इरादे से हमला करने के 83,891 मामले आए जबकि बलात्कार के 29,670 मामले दर्ज किए गए। दहेज हत्या के कुल 6,156 मामले दर्ज किए गए, जिनकी दर 0.9 थी, आत्महत्या के लिए उकसाने के 4,825 मामले दर्ज किए गए, जिनकी दर 0.7 थी, और गरिमा भंग करने के 8,823 मामले दर्ज किए गए, जिनकी दर 1.3 थी।
अठारह वर्ष और उससे अधिक आयु की महिलाओं से बलात्कार के 28,821 मामले आए और 18 वर्ष से कम आयु की लड़कियों से बलात्कार के 849 मामले आए। बलात्कार के प्रयास के 2,796 मामले दर्ज किए गए और 113 मामलों में तेजाब हमले की सूचना मिली। विशेष एवं स्थानीय कानूनों (एसएलएल) के अंतर्गत महिलाओं के विरुद्ध अपराधों के कुल 87,850 मामले दर्ज किए गए। दहेज निषेध अधिनियम, 1961 के अंतर्गत 15,489 मामले दर्ज किए गए, जबकि अनैतिक व्यापार (निवारण) अधिनियम, 1956 के अंतर्गत महिला पीड़ितों से संबंधित 1,788 मामले दर्ज किए गए।
घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005 के तहत 632 मामले दर्ज किए गए। महिलाओं का अश्लील चित्रण (निषेध) अधिनियम, 1986 के तहत 31 मामले दर्ज किए गए, यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत बच्चों से बलात्कार के 40,046 मामले, यौन उत्पीड़न के 22,149 मामले, यौन प्रताड़ना के लिए 2,778 मामले, पोर्नोग्राफी के लिए बच्चों का इस्तेमाल करने के 698 मामले और कानून के अन्य प्रावधानों के तहत 513 मामले दर्ज किए गए।
पुलिस के निपटारा आंकड़ों से पता चला कि पिछले वर्षों से 185,961 मामले जांच के लिए लंबित थे, जबकि 4,48,211 नए मामले दर्ज किए गए और 987 स्थानांतरित किए गए। इस तरह कुल 635,159 मामले थे। इनमें से 1,82,219 मामलों में आरोप-पत्र दाखिल किए गए, यानी आरोप-पत्र दाखिल करने की दर 77.6 प्रतिशत रही। लंबित मामलों की दर 28.7 प्रतिशत रही।