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अब पाकिस्तान में भी नहीं बचेंगे भारत के दुश्मन...

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, बुधवार, 5 अक्टूबर 2016 (12:03 IST)
मोदी सरकार का ध्यान उन दुश्मनों पर केन्द्रित हुआ है जो पाकिस्तान में रहकर खुद को पूरी तरह सुरक्षित समझते हैं। लेकिन सुरक्षा एजेंसियों ने सरकार से अनुमति चाही है कि वे पाक के भीतर ही कोवर्ट (गुप्त) ऑपरेशन अंजाम दे सकें और भारत के दुश्मनों को खत्म करने का काम भी कर सकें। 
 
लेकिन, अहम सवाल यह भी है कि क्या केन्द्र सरकार में इतनी राजनीतिक इच्छा शक्ति है कि वह ऐसे ऑपरेशनों को चलाने की अनुमति दे? सर्जिकल स्ट्राइक के बाद भले ही आतंकी पाकिस्तान के भीतरी इलाकों में भाग गए हों, लेकिन वे वहां भी ज्यादा दिन तक सुरक्षित नहीं रह पाएंगे।
 
एक समाचार के मुताबिक सुरक्षा एजेंसी से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पाकिस्तान के भीतर हमने मजबूत नेटवर्क तैयार कर लिया है और जरूरत पड़ने पर इसका इस्तेमाल कोवर्ट ऑपरेशन के लिए किया जा सकता है। सरकार की इस कार्रवाई से विभिन्न आतंकी संगठनों के प्रमुखों जैसे ‍कि जैश-ए -मोहम्मद का मसूद अजहर, डी- कंपनी प्रमुख दाऊद इब्राहीम, हिजबुल मु‍जाहिदीन का प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन, हरकत उल जेहादी इस्लामी का प्रमुख इलियास कश्मीरी, लश्कर-ए-तैयबा का कमांडर साजिद मीर, आईएसआई का प्रमुख अधिकारी मेजर इकबाल, लश्कर-ए-तैयबा और जमात उद दावा का प्रमुख हाफिज मुहम्मद सईद, दाऊद के खास गुर्गे छोटा शकील, जकी उर रहमान लखवी, अनीस इब्राहीम जैसे अपराधियों की पाकिस्तान के भीतर ही हत्याएं की जा सकती हैं।    
 
दरअसल, मोदी सरकार के पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक के फैसले के बाद सुरक्षा एजेंसियों के हौसले बुलंद हैं और उन्हें विश्वास है कि पाकिस्तान के भीतर देश के दुश्मनों को खत्म करने के लिए सरकार कोवर्ट आपरेशन को हरी झंडी दे देगी। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि राजनीतिक इच्छा शक्ति की कमी के कारण हमारी सरकार पाकिस्तान के भीतर छिपे दुश्मनों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर पा रही थी।
 
पहले भारत सरकार ऐसे अपराधियों व आतंकियों का डॉजियर पाकिस्तान सरकार को थमाकर चुप बैठ जाती थी और इनमें से किसी का कुछ भी नहीं बिगड़ता था। वरन पाक सेना और आईएसआई के संरक्षण में इन आतंकी आकाओं के हौसले लगातार बढ़ते चले गए। मोदी सरकार के आने के बाद पाकिस्तान को डॉजियर देने का सिलसिला बंद हुआ और अब सर्जिकल स्ट्राइक कर भारत ने अपना रुख साफ कर दिया है।
 
गृहमंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस साल जनवरी में ही दावा किया था कि दक्षिण भारत के राज्य की पुलिस अब अपने एजेंट को पाकिस्तान के किसी भी आतंकी संगठन में घुसाने में सक्षम हो गई है। पिछले दो सालों में आईएसआईएस से लेकर अलकायदा और आईएम के अधिकांश आतंकियों की गिरफ्तारी का श्रेय इसी राज्य की पुलिस को जाता है। खास बात यह है कि इन आतंकियों को अपने मंसूबे को अंजाम देने के पहले ही गिरफ्तार कर लिया जा रहा है। 
 
वरिष्ठ अधिकारियों का मानना है कि इतनी क्षमता हासिल करने के बाद पाकिस्तान के भीतर कोई भी कोवर्ट ऑपरेशन मुश्किल नहीं है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि भारतीय एजेंसियां 1970 के दशक से ही पाकिस्तान के भीतर कोवर्ट आपरेशन करने में सक्षम थीं, लेकिन अपनी क्षमता के प्रदर्शन का उन्हें कोई मौका ही नहीं दिया गया। तीन साल पहले एजेंसियों ने कराची में दाऊद इब्राहिम को मारने का पूरा प्लान तैयार कर लिया था और इसके लिए सात एजेंट को अलग-अलग देशों के पासपोर्ट पर वहां पहुंचा भी दिया गया था। 
 
लेकिन, अंतिम समय में इस ऑपरेशन को रद्द कर दिया गया और सभी एजेंट वापस लौट आए। उल्लेखनीय है कि कोवर्ट आपरेशन में एजेंटों की पहचान छुपी होती है और टारगेट को खत्म करने के बाद उन्हें चुपचाप वापस निकाल लिया जाता है। कोई भी सरकार कोवर्ट आपरेशन की जिम्मेदारी नहीं लेती है। इसराइल की सरकार को ऐसे ऑपरेशन चलाने में महारत हासिल है और वह अपने दुश्मनों को खत्म करने के लिए लंबे समय से इस तरह के कोवर्ट ऑपरेशन करता रहा है। इसराइली एजेंसियों के साथ करीबी रिश्ता इस काम में भारतीय एजेंसियों के काम आ सकता है।
 

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