नई दिल्ली। भारत ने गुरुवार को कहा कि पाकिस्तान ने भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव को कानूनी राहत पाने के लिए उपलब्ध सारे रास्ते बंद कर एक बार फिर से अपना कपटतापूर्ण रुख प्रदर्शित किया है। साथ ही उसका यह कदम अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) के निर्णय के खिलाफ भी है तथा नई दिल्ली इस मामले में आगे के रास्तों की तलाश करेगा।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि भारत ने अदालत में एक पुनर्विचार याचिका दायर करने के लिए इस्लामाबाद की सलाह पर एक पाकिस्तानी वकील को नियुक्त किया, लेकिन ‘पावर ऑफ अटॉर्नी ’ और जाधव के मामले से जुड़े सहायक दस्तावेजों के अभाव में पुनर्विचार याचिका दायर नहीं की जा सकी।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने इस मामले में भारत के पास उपलब्ध सभी उपायों के रास्ते बंद कर दिए हैं। श्रीवास्तव ने इस बात का जिक्र किया कि नई दिल्ली ने पिछले एक साल में जाधव से राजनयिक संपर्क कराने का 12 बार अनुरोध किया है।
उन्होंने कहा कि बार-बार के अनुरोध के बावजूद भी मामले से जुड़े दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराने देने की पूरी कवायद, निर्बाध राजनयिक संपर्क मुहैया नहीं कराने देने और पाकिस्तान द्वारा कुछ कथित एकतरफा कार्रवाई करते हुए एक बार फिर से उच्च न्यायालय का रुख करना पाकिस्तान के कपटपूर्ण रवैया को बेनकाब करता है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि पाकिस्तान न सिर्फ आईसीजे के निर्णय का, बल्कि अपने खुद के अध्यादेश का भी उल्लंघन कर रहा है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान आईसीजे के निर्देश के अनुसार राहत उपलब्ध करा पाने में पूरी तरह नाकाम रहा है तथा भारत आगे राहत पाने के अपने अधिकारों को सुरक्षित रखता है।
समझा जा रहा है कि भारत मामले में अगले संभावित कदम पर कानूनी सलाह लेगा, जिसमें एक बार फिर से आईसीजे का दरवाजा खटखटाना शामिल हो सकता है। यह इस आधार पर किया जाएगा कि पाकिस्तान ने उसके निर्णय का अनुपालन नहीं किया।
इससे पहले, पाकिस्तान ने कहा था कि जासूसी और आतंकवाद के आरोपों में जाधव की दोषसिद्धि के खिलाफ इस्लामाबाद उच्च न्यायालय में पुनर्विचार याचिका दायर करने की अंतिम तारीख 20 जुलाई थी।
श्रीवास्तव ने कहा कि पाकिस्तान ने भारत को सलाह दी थी कि संबद्ध दस्तावेज सिर्फ किसी अधिकृत पाकिस्तानी वकील को ही सौंपे जा सकते हैं। इसके बाद भारत ने एक पाकिस्तानी वकील को संबद्ध दस्तावेज प्राप्त करने के लिए नियुक्त किया था।
उन्होंने कहा कि लेकिन यह बहुत ही हैरानी की बात है कि पाकिस्तानी अधिकारियों की सलाह के मुताबिक जब अधिकृत पाकिस्तानी वकील ने संबद्ध अधिकारियों से संपर्क किया तो, उन्होंने दस्तावेज वकील को सौंपने से इंकार कर दिया। श्रीवास्तव ने कहा कि 18 जुलाई को एक याचिका दायर करने की कोशिश की गई।
उन्होंने कहा कि हालांकि हमारे पाकिस्तानी वकील ने हमें सूचना दी कि पावर ऑफ अटार्नी और जाधव के मामले से जुड़े सहायक दस्तावेजों के अभाव में पुनर्विचार याचिका दायर नहीं की जा सकी।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि पाकिस्तान ने पुनर्विचार याचिका दायर करने की आखिरी तारीख के बारे में भी भ्रम की स्थिति पैदा की। शुरुआत में उसने संकेत दिया था कि इसे 19 जुलाई तक दायर करना है, लेकिन बाद में पाक ने संकेत दिया कि समय सीमा 20 जुलाई को समाप्त होगी।
इस्लामाबाद में मीडिया में आई खबरों में कहा गया कि पाक सरकार ने बुधवार को इस्लामाबाद उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर जाधव के लिए एक कानूनी प्रतिनिधि नियुक्त किए जाने का अनुरोध किया है।
हालांकि भारत सरकार सहित मुख्य पक्षकारों को याचिका दायर करने से पहले संपर्क नहीं किया गया। वहां के कानून एवं न्याय मंत्रालय ने एक संघीय अध्यादेश के तहत यह याचिका दायर की।
यह भी कहा कि पाकिस्तान ने इस मामले से निपटने में उचित रुख नही अपनाया है। भारत इस विषय में सभी उपलब्ध विकल्प तलाश रहा है।
उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से किए गए संवाददाता सम्मेलन में कहा कि निर्बाध एवं बेरोकटोक राजनयिक संपर्क और संबद्ध दस्तावेजों के अभाव में, एक अंतिम उपाय के तहत, भारत ने 18 जुलाई को एक याचिका दायर करने की कोशिश की। जाधव को फांसी की सजा पाकिस्तान की एक सैन्य अदालत ने सुनाई थी।
भारतीय नौसेना के सेवानिवृत्त अधिकारी जाधव (50) को पाकिस्तान की एक सैन्य अदालत ने जासूसी एवं आतंकवाद के आरोप में अप्रैल 2017 में फांसी की सजा सुनाई थी। भारत ने जाधव को राजनयिक संपर्क मुहैया कराने की इजाजत देने से पाकिस्तान के इनकार करने पर हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) का रुख किया था और उनकी मौत की सजा को चुनौती दी थी।
आईसीजे ने जुलाई 2019 में कहा था कि पाकिस्तान को जाधव की दोषसिद्धि एवं सजा की अवश्य ही प्रभावी समीक्षा और पुनर्विचार करना चाहिए तथा बगैर विलंब किए भारत को उन्हें राजनयिक मदद उपलब्ध कराने दिया जाए।
पाकिस्तान सरकार ने यह दावा किया है कि जाधव ने अपने खिलाफ फैसले पर पुनर्विचार के लिए समीक्षा याचिका दायर करने से इंकार कर दिया था।
श्रीवास्तव ने कहा कि भारत ने ‘अंतरराष्ट्रीय न्यायालय एवं पुनर्विचार अध्यादेश 2020’ की खामियों को जानते हुए जून में पाकिस्तान के साथ अपनी चिंताएं साझा की थीं।
पाक ने यह अध्यादेश 20 मई को जारी किया था जिसके तहत किसी सैन्य अदालत के फैसले की समीक्षा के लिए अध्यादेश लागू होने के 60 दिनों के अंदर इस्लामाबाद उच्च न्यायालय में अर्जी दी जा सकती है।
श्रीवास्तव ने कहा कि पाकिस्तान ने अध्यादेश के बारे में हमें सूचना देने में दो हफ्ते लगा दिए और अध्यादेश की प्रति उसने तब जा कर साझा की जब भारत ने इसके लिए अनुरोध किया।
उन्होंने कहा कि अध्योदश प्रकरण से यह प्रतीत होता है कि पाकिस्तान अपने रुख को लेकर गंभीर नहीं है और न ही आईसीजे के निर्णय का पूरी तरह से पालन करने में रुचि रखता है। उसने भारत के लिए उपलब्ध राहत पाने के सभी प्रभावी रास्ते बंद कर दिए हैं। (भाषा)