नई दिल्ली। भारत ने संकट के समय अफगान लोगों की मदद करने की अपनी प्रतिबद्धता के अनुरूप अफगानिस्तान को शनिवार को जीवनरक्षक चिकित्सकीय सामग्री भेजी। यह तालिबान के कब्जे के बाद नई दिल्ली द्वारा काबुल को भेजी गई मानवीय मदद की पहली खेप है।
भारत ने तालिबान के नेतृत्व वाली अफगानिस्तान की नई सरकार को मान्यता नहीं दी है और वह काबुल में वास्तविक रूप से समावेशी सरकार बनाने की आवाज बुलंद करता रहा है। भारत का कहना है कि अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल किसी भी देश के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों के लिए नहीं होना चाहिए।
10 भारतीयों और 94 अफगान नागरिकों को काबुल से शुक्रवार को दिल्ली लेकर आए विमान के जरिए चिकित्सकीय सामग्री को अफगानिस्तान भेजा गया। भारत में फंसे करीब 90 अफगान नागरिकों को भी इस विमान के जरिये वापस भेजा गया।
अफगान राजदूत फरीद ममुंदजे ने बताया कि भारत ने 1.6 मीट्रिक टन जीवनरक्षक दवाएं भेजी हैं। ममुंदजे ने सिलसिलेवार ट्वीट में कहा कि भारत से चिकित्सकीय सहायता की पहली खेप काबुल पहुंची। 1.6 मीट्रिक टन जीवनरक्षक दवाएं इस मुश्किल समय में कई परिवारों की मदद करेंगी।
भारत अफगानिस्तान में मानवीय संकट से निपटने के लिए वहां निर्बाध मानवीय सहायता मुहैया करने की वकालत करता रहा है। इसी के साथ भारत काबुल में एक वास्तविक समावेशी सरकार के गठन का भी समर्थक रहा है। भारत इस बात पर जोर देता रहा है कि अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल किसी अन्य देश के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियां करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए।
नई दिल्ली ने अफगानिस्तान में पाकिस्तान के जरिए 50,000 टन गेहूं और दवाएं भेजने की घोषणा भी की है। भारत और पाकिस्तान इस खेप को भेजने के तौर-तरीकों को अंतिम रूप दे रहे हैं।