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भुखमरी के मामले में भारत की स्थिति बेहद चिंताजनक : रिपोर्ट

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नई दिल्ली , गुरुवार, 27 अक्टूबर 2016 (17:11 IST)
नई दिल्ली। खाद्य सुरक्षा को लेकर शुरू की गई तमाम सरकारी योजनाओं के बावजूद भुखमरी के मामले में भारत की स्थिति अभी भी चिंताजनक बनी हुई है इसे नापने वाले वैश्विक पैमाने 'ग्लोबल हंगर इंडेक्स 'में देश को 'चिंताजनक श्रेणी' में रखा गया है।
'ग्लोबल हंगर इंडेक्स' दुनिया भर के देशों में भुखमरी के हालात और इसके मुख्य कारणों पर नजर रखने वाली गैर सरकारी अंतरराष्ट्रीय संस्था 'इंटरनेशनल फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट' की ओर से तैयार की गई है। इसमें देशों में भुखमरी की स्थित को वहां बच्चों में कुपोषण, शारीरिक विकास और बाल मृत्यु दर तथा इसकी रोकथाम के लिए लागू सरकारी नीतियों की सफलता और विफलता के आधार पर मापा जाता है। यह पैमाना भुखमरी के कारणों को भी प्रमुखता से चिहिन्त करता है।
 
संस्था की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में साल 2000 की तुलना में भुखमरी की स्थिति में चौथाई फीसदी  सुधार हुआ है लेकिन यह अभी भी चिंताजनक बनी हुई है और भुखमरी सूचकांक में 184 देशों के बीच उसका स्थान 97 वें नंबर पर है। 
 
रिपोर्ट कहती है कि अगले छ: वर्षों में भारत दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाला मुल्क हो जाएगा ऐसे में सरकार के लिए 1 अरब 40 लाख आबादी के लिए पोषण युक्त आहार सुनिश्चित करना बड़ी चुनौती होगी। रिपोर्ट के अनुसार देश में पांच साल से कम आयुवर्ग के 40 प्रतिशत बच्चे कुपोषण का शिकार हैं जिसके कारण उनका शारीरिक विकास बाधित है। इस स्थिति से निबटने के लिए रिपोर्ट में खाद्य सुरक्षा कानून को और प्रभावी तरीके से लागू करने का सुझाव दिया गया है।
 
कलकत्ता विश्वविद्यालय के सामाजिक विज्ञान के प्रोफेसर बिप्लव सेन की राय हालांकि इस बारे में थोड़ी अलग है उनका मानना है कि सिर्फ कानून प्रभावी तरीके से लागू  करना काफी नहीं हेागा क्योंकि कुपोषण और भुखमरी का संबंध साफ सफाई से भी जुड़ा है क्योंकि कई बार जीवाणुओं का संक्रमण भी शारीरिक विकास को बाधित करने की वजह बनता है। इसके अलावा चिकित्सा सेवाओं की अनुपलब्धता और आय के स्रोत भी इसमें बड़ी भूमिका निभाते हैं। ऐसे में जबतक ये सारी स्थितियां सुधर नहीं जातीं भातर का भुखमरी के जाल से निकल पाना संभव नहीं होगा। (वार्ता)

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