नई दिल्ली। भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए रूस समेत किसी भी देश से तेल खरीदता रहेगा। एक वरिष्ठ अधिकारी ने रूसी तेल पर यूरोपीय संघ की पाबंदी लागू होने से पहले यह बात कही।
यूरोपीय संघ (ईयू) के कार्यकारी निकाय ने 27 सदस्य देशों से रूसी तेल के लिए कीमत सीमा 60 डॉलर प्रति बैरल तय करने को कहा है। पश्चिमी देशों के इस कदम का मकसद वैश्विक कीमतों और आपूर्ति को स्थिर बनाए रखते हुए रूस के तेल राजस्व को कम कर यूक्रेन के साथ युद्ध लड़ने की उसकी क्षमता को प्रभावित करना है।
अधिकारी ने कहा, ईरान और वेनेजुएला के विपरीत रूस से तेल खरीदने पर कोई पाबंदी नहीं है। ऐसे में जो कोई भी पोत परिवहन, बीमा और वित्त पोषण की व्यवस्था कर सकता है, वह तेल खरीद सकता है। उन्होंने कहा, हम रूस सहित दुनिया में कहीं से भी तेल खरीदना जारी रखेंगे।
कीमत सीमा व्यवस्था पांच दिसंबर से लागू होगी। इसके तहत यूरोप के बाहर रूसी तेल का परिवहन करने वाली कंपनियां तभी यूरोपीय संघ की बीमा और ब्रोकरेज सेवाओं का उपयोग कर सकेंगी, जब वे 60 अमेरिकी डॉलर या उससे कम में तेल बेचेंगी।
अधिकारी ने कहा, व्यावहारिक रूप से देखा जाए तो अगर मैं एक जहाज भेज सकता हूं, बीमा कवर कर सकता हूं और भुगतान का एक तरीका तैयार कर सकता हूं, तो रूस से तेल खरीदना जारी रखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि सभी विकल्प खुले हैं।
अधिकारी ने कहा, कोई यह नहीं कह रहा कि रूस से तेल नहीं खरीदो। रूस कोई बड़ा आपूर्तिकर्ता नहीं है। भारत 30 देशों से आपूर्ति प्राप्त करता है। हमारे पास तेल खरीदने के कई स्रोत हैं। इसीलिए हमें किसी प्रकार की बाधा की कोई आशंका नहीं है।
Edited By : Chetan Gour (भाषा)