Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

जनरल रावत दहाड़े, दम हो तो हथियार उठाए पत्थरबाज, फिर बताएंगे क्या होगा अंजाम...

हमें फॉलो करें जनरल रावत दहाड़े, दम हो तो हथियार उठाए पत्थरबाज, फिर बताएंगे क्या होगा अंजाम...
नई दिल्ली , सोमवार, 29 मई 2017 (09:14 IST)
पाकिस्तान के इशारे पर अलगाववादी और आतंकवादियों के गठजोड़ के बाद पिछले काफी लंबे समय से कश्मीर और सीमा पर लगातार तनाव की स्थिति रही है। आतंकवादियों को बचाने के लिए पत्थरबाजों ने सेना की नाक में दम कर रखा है। इसी के चलते सेना प्रमुख बिपिन रावत ने अब पत्थरबाजों को कड़ा संदेश दिया है। उन्होंने कहा कि वे लोग हम पर पत्थर बरसाने के बजाय गोलियां चलाए, ताकि जो मैं करना चाहूं वो कर सकूं।
 
उन्होंने कहा कि लोग जब हम पर पथराव कर रहे हों और पेट्रोल बम फेंक रहे हों, तो मैं अपने जवानों से केवल इंतजार करने और मरने के लिए नहीं कह सकता। ऐसे में जब मेरे कर्मी मुझसे पूछते हैं कि हम क्या करें तो क्या मुझे यह कहना चाहिए कि बस इंतजार करिए और जान दे दीजिए? मैं राष्ट्रीय ध्वज के साथ एक अच्छा ताबूत लेकर आऊंगा और सम्मान के साथ शव को आपके घर भेजूंगा। प्रमुख के तौर पर क्या मुझे यह कहना चाहिए? मुझे वहां तैनात सैनिकों को मनोबल बनाए रखना है।
 
जनरल रावत ने कहा कि वास्तव में मैं चाहता हूं कि ये लोग हम पर पथराव करने की बजाय हथियार चलाएं, तब मैं खुश होता। तब मैं वह करता जो मैं करना चाहता हूं।
 
जम्मू कश्मीर में लंबे समय तक काम कर चुके जनरल रावत ने कहा कि किसी भी देश में लोगों में सेना का भय खत्म होने पर देश का विनाश हो जाता है। उन्होंने कहा कि विरोधियों को आपसे डरना चाहिए और आपके लोगों में भी आपका भय होना चाहिए। हमारी मित्रतापूर्ण व्यवहार रखने वाली सेना हैं लेकिन कानून-व्यवस्था बहाल करने से जुड़ा सवाल आने पर लोगों में हमारा भय होना चाहिए।
 
सेना प्रमुख ने कहा कि घाटी में किसी भी स्थिति से निपटते समय अधिकतम संयम का परिचय दिया जाता है। जनरल रावत ने कहा कि सेना प्रमुख के रूप में सेना का मनोबल मेरे लिए सबसे जरूरी है, वह मेरा काम है।
 
कश्मीरी लोगों से संपर्क के लिए राजनीतिक पहल के बारे में पूछे जाने पर जनरल रावत ने कहा कि यह सरकार को तय करना है। उन्होंने कहा कि पूर्व में भी ऐसी पहल की जा चुकी है। जनरल रावत बोले कि कश्मीर मुद्दे के ठोस हल की जरूरत है और हर किसी को इसमें शामिल होना होगा।
 
सेना प्रमुख ने कहा कि दक्षिण कश्मीर के चार जिले ही अशांत हैं और यह कहना गलत है कि पूरे कश्मीर में स्थिति नियंत्रण से बाहर चली गयी है। कश्मीर मुद्दे के समाधान के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि इसके ठोस समाधान की जरूरत है। हर किसी को शामिल होने की जरूरत है। सेना की भूमिका यह सुनिश्चित करना है कि हिंसा ना हो और इसमें हिस्सा नहीं लेने वाले आम लोगों की रक्षा की जाए।
 
सेना प्रमुख ने कश्मीरी युवक को जीप पर बांध मानव ढाल की उपयोग करने की घटना का बचाव किया, उन्होंने कहा कि कश्मीर में प्रॉक्सी वॉर से निपटने के लिए सैनिकों को नए तरीके अपनाने पड़ते हैं।
 
सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने कहा है कि जम्मू और कश्मीर में भारतीय सेना 'घृणित युद्ध' का सामना कर रही है, जिसे 'नए' तरीके से लड़ने की जरूरत है। रावत ने कहा कि यह क्षद्म युद्ध है और क्षद्म युद्ध घृणित लड़ाई होती है। इसे घृणित तरीके से अंजाम दिया जाता है। संघर्ष के नियम तब लागू होते हैं जब विरोधी पक्ष आपसे आमने सामने लड़ता है। यह घृणित युद्ध है। ऐसे समय में नए तरीकों का जन्म होता है। आप नए तरीकों से घृणित युद्ध लड़ते हैं।
 
जनरल रावत ने कहा, 'सेना प्रमुख के रूप में सेना का मनोबल मेरे लिए सबसे जरूरी है। वह मेरा काम है। मैं लड़ाई के मैदान से बहुत दूर हूं। मैं वहां परिस्थितियों को प्रभावित नहीं कर सकता। मैं केवल जवानों से यह कह सकता हूं कि मैं आपके साथ हूं। मैं हमेशा अपने लोगों से कहता हूं कि चीजें गलत हो सकती हैं लेकिन अगर ऐसा हुआ और आपका इरादा दुर्भावनापूर्ण नहीं है तो मैं वहां हालात संभालने के लिए हूं।'
 
सेना प्रमुख ने कहा कि विभिन्न सुरक्षा बलों के बीच विश्वास तोड़ने की साजिश की जा रही है और मतदान एजेंट के सुरक्षा मांगने पर मेजर गोगोई सुरक्षा उपलब्ध कराने से इनकार नहीं कर सकते थे। उन्होंने कहा कि कल अनंतनाग में चुनाव होना है और ऐसी चीजें हो सकती हैं। अगर सहायता मांगने पर सेना मदद नहीं करती है तो लोगों, पुलिस और सेना के बीच का विश्वास टूटेगा। जनरल रावत ने कहा, 'मैं ऐसा नहीं होने दूंगा। आतंकवादी यही चाहते हैं। यह चीज सेना और अन्य सुरक्षा बलों को बांट सकती है।' (भाषा)

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ना आसान काम नहीं : तेज बहादुर