जम्मू। लद्दाख के मोर्चे पर चीनी सेना की घुसपैठ से निपटने के लिए भारतीय सेना ने सियाचिन हिमखंड में तैनात तथा वहां ड्यूटी कर चुके सैनिकों को अब एलएसी पर भिजवाना आरंभ किया है। यह तैनाती लद्दाख सीमा पर पहले से ही तैनात सैनिकों को आराम देने की खातिर की जा रही है।
सेनाधिकारियों ने इसे स्पष्ट किया है कि लद्दाख सीमा पर तैनात सैनिकों की संख्या में कोई वृद्धि नहीं की जा रही है बल्कि पिछले करीब 4 महीनों से तैनात सैनिकों को आराम देने की खातिर रोटेशन के आधार पर सैनिकों की अदला-बदली की जा रही है।
रक्षा सूत्रों के बकौल, सियाचिन हिमखंड पर वर्ष 1984 से ही भारतीय फौज तैनात है और वहां की भीषण परिस्थितियों से निपटने व वहां लड़ने का भारतीय सैनिकों का जो अनुभव है अब उसका लाभ लद्दाख सीमा पर लेने की कोशिश की जाएगी।
अभी तक भारतीय सेना को यही उम्मीद थी कि चीनी सेना सर्दियों की शुरुआत होने से पहले ही वापसी के लिए मान जाएगी पर ऐसा हुआ नहीं। हालांकि सैद्धांतिक तौर पर उसने सैनिकों को पीछे ले जाने का समझौता कर लिया हुआ है पर पहले आप के चक्कर में सैनिकों की भीषण सर्दी में तैनाती अभी भी बनी हुई है।
आधिकारिक तौर पर 50 हजार के करीब भारतीय जवान लद्दाख सीमा पर तैनात हैं। इनमें तोपखानों और टैंकों की रेजिमेंटों में शामिल जवानों को नहीं गिना गया है। रक्षा सूत्रों के मुताबिक, चीन पर अब भरोसा करना मुश्किल हो गया है इसलिए भयानक सर्दी के बीच भारतीय जवानों की तैनाती की जो तैयारी लद्दाख सीमा पर की गई है, उसमें अगली गर्मियों तक टिके रहने का प्रबंध किया जा रहा है।
अधिकारियों के अनुसार, लद्दाख में तैनात जवानों के लिए करीब 15 हजार उन कपड़ों का इंतजाम अमेरिका से किया गया है जो उन्हें शून्य से 40 डिग्री के नीचे के तापमान में भी गर्म रखेंगे। बाकी के लिए भारतीय बाजारों से साजोसमान जुटाया जा रहा है और बर्फबारी के कारण सड़क मार्ग के बंद हो जाने के बाद अब सारा जोर हवाई मार्ग पर ही आ गया है।
जानकारी के लिए लद्दाख के पहाड़ों पर बर्फ अपनी दस्तक दे चुकी है। जवानों को भयानक सर्दी के कारण दिक्कतों से दो-चार होना पड़ रहा है क्योंकि अभी भी पूरे जवानों को वे सुविधाएं मुहैया करवाने में सेना सफल नहीं हुई है, जिनकी इस भयानक परिस्थिति वाले माहौल में जरूरत है।
यह बात अलग है कि चीनी सेना ने अपने जवानों को अत्याधुनिक सुविधाएं मुहैया करवाने के प्रचार करने वाले वीडियो सोशल मीडिया पर फैलाकर भारतीय अधिकारियों के लिए परेशानी पैदा कर दी है क्योंकि भारतीय जवान इन सोशल मीडिया की खबरों को अक्सर सच मान लेते हैं।