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भारतीय सेना की मदद कर रहे हैं 'इसराइली राडार'

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सुरेश एस डुग्गर

श्रीनगर। भारतीय सेना के लिए इस बार की सर्दियों में सीमा पर घुसपैठ को रोकने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। कारण, सीमांत पहाड़ों पर इतनी बर्फबारी नहीं हुई है जितनी की उम्मीद थी। यही कारण है कि घुसपैठियों के दल भीतर घुसने की कोशिशों को लगातार अंजाम दे रहे हैं। वैसे इसराइल से मिले हुए राडार भारतीय सेना की मदद कर रहे हैं जो पाक घुसपैठियों के प्रति सटीक जानकारी दे रहे हैं।
यह सच्चाई है कि इस बार की सर्दियां एलओसी पर तैनात सैनिकों को कोई रहत नहीं दे पा रही हैं। कारण, इतनी बर्फबारी नहीं हुई है जो आतंकियों की गतिविधियों तथा सीमा पार से उनकी घुसपैठ को रोक सकें। जो बर्फ गिरी थी वह पिघल गई है। नतीजतन इस बार सर्दियों में भी आतंकी घुसपैठ को लेकर सेना परेशान है।
 
हालांकि यह बात अलग है कि कम बर्फबारी पाकिस्तानी सेना के लिए लाभदायक साबित हो रही है। यही कारण है कि वह आतंकियों को सर्दी और बर्फ के बावजूद इस ओर धकेलने की कोशिशों के क्रम को लगातार जारी रखे हुए है। आधिकारिक आंकड़े इसकी पुष्टि करते हैं कि जितनी घुसपैठ की कोशिशें इन सर्दियों में अभी तक हुई हैं, वह पिछले साल सर्दियों में होने वाले प्रयासों से कई गुणा अधिक हैं।
 
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, पाक सेना ने पिछले तीन महीने के भीतर 80 से अधिक बड़े घुसपैठ के प्रयास जम्मू सीमा, राजौरी, पुंछ तथा कश्मीर सीमा के सेक्टरों में अंजाम दिए थे। इनमें से कितनों में पाक सेना को कामयाबी मिली यह आंकड़ा तो मालूम नहीं है, लेकिन भारतीय पक्ष दावा करता है कि उसने 80 में से करीब 76 को नाकाम बनाते हुए कई आतंकियों को मार गिराया था।
 
यह बात अलग है कि एलओसी पर तारबंदी के बावजूद होने वाले छोटे-छोटे गुटों के घुसपैठ के प्रयास अक्सर आंखों से इसलिए ओझल हो जाते हैं क्योंकि एलओसी की परिस्थिति ऐसी है कि यह बता पाना संभव नहीं होता कि भारतीय क्षेत्र कहां समाप्त होता है और पाकिस्तानी कब्जे वाला इलाका कहां से आरंभ होता है।
 
वैसे भी एलओसी की उबड़-खाबड़ वाली परिस्थितियां और घने जंगल व ऊंचे पहाड़ तारबंदी के बावजूद सैनिकों के लिए बाधा उत्पन्न करते हैं और इन्हीं परिस्थितियों का लाभ पाकिस्‍तानी सेना तथा आतंकी उठाते हैं जो इनकी आड़ में भीतर चले आने की कोशिशों में अक्सर कामयाब होते रहते हैं। 
 
हालांकि सर्दियों में भारी बर्फबारी के कारण हर बार भारतीय सैनिकों को इन घटनाओं से कुछ राहत मिला करती थी, मगर इस बार बर्फ नाममात्र की ही गिरने का परिणाम यह है कि आतंकियों की घुसपैठ की कोशिशें सर्दियों में भी बिना किसी रोकटोक के जारी हैं।
 
लेकिन इतना जरूर है कि इस बार चाहे सर्दी सैनिकों को कोई लाभ नहीं दे पाई, मगर इसराइल से प्राप्त छोटे-छोटे राडार उनके लिए अवतार बनकर आए हैं। यह जानकारी तो आधिकारिक तौर पर मुहैया नहीं करवाई गई है कि कितनी संख्या में इन राडारों को तैनात किया गया है मगर यह जरूर है कि यह आतंकियों की घुसपैठ के प्रति सटीक जानकारी मुहैया करवा रहे हैं।
 
सैन्य सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान की टोही गतिविधियों तथा घुसपैठ पर पूर्ण विराम लगाने की खातिर अब इसराइली राडारों का इस्तेमाल किया जा रहा है जो बहुत कम ऊंचाई पर उड़ान भरने वाले ऐसे टोही विमानों के प्रति जानकारी तो दे ही रहे हैं, साथ ही घुसपैठियों के प्रति जानकारी भी मुहैया करवा रहे हैं।
 
अगर दूसरे शब्दों में कहा जाए तो पाक सेना के लिए ये राडार दुश्मन साबित हो रहे हैं और सूचनाओं के मुताबिक, घुसपैठ करने वाले आतंकियों को सर्वप्रथम अब इन्हें नष्ट करने का टास्क देकर इस ओर भेजा जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक, एक घटना में ऐसे एक राडर को क्षति पहुंचाने का प्रयास भी किया गया है।

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