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इशारे का इंतजार, सेना कूच को तैयार

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सुरेश डुग्गर

भूरे चक-खौड़ (अखनूर सेक्टर) , सोमवार, 10 अक्टूबर 2016 (18:37 IST)
भूरे चक-खौड़ (अखनूर सेक्टर)। पाकिस्तान से युद्ध होगा या नहीं, लेकिन भारतीय फौज इसके लिए तैयार है। सिर्फ तैयार ही नहीं उसे इशारे भर की देर है। यही स्थिति भारतीय वायुसेना की भी है। फिलहाल भारतीय वायुसेना के लड़ाकू जहाजों ने पाक सीमा के साथ निगरानी को बढ़ाया है तो हमले के लिए उसे दो मिनट के अलर्ट पर तैयार रहने के लिए कहा गया है। इस बीच सीमाओं पर फौजियों और फौजी सामान की तैनाती के कार्य में भी वायुसेना जुट गई है।
इस गांव में अगर पाकिस्तान की ओर मुंह कर खड़ा हुआ जाए तो बाईं ओर अंतरराष्ट्रीय सीमा जाती है तथा दाई ओर एलओसी। दोनों ही ओर वायुसेना के लड़ाकू विमानों को निर्धारित दूरी के पीछे उड़ानें भरते हुए देखा जा सकता है। ’ऐसा निगरानी की खातिर किया जा रहा है ताकि सीमा पार पाक सेना के जमावड़े और तैयारियों पर नजर रखी जा सके,’ इस सेक्टर के दौरे पर आए वायुसेना के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना था।
 
वायुसेना के अधिकारी मानते हैं कि पाक कब्जे वाले कश्मीर स्थित आतंकवादियों के प्रशिक्षण शिविरों पर हुए सर्जिकल स्ट्राइक का बदला लेने की खातिर भारत पर हमले की सूरत में पाकिस्तान पर हमला करने के लिए भारतीय वायुसेना को सिर्फ दो मिनटों की आवश्यकता होगी। उसके लिए दो मिनट के अलर्ट की भी घोषणा की जा चुकी है।
 
फिलहाल अभी तक भारतीय वायुसेना के विमानों व हैलीकॉप्टरों द्वारा लेह तथा सियाचिन हिमखंड तक की रात्रि उड़ानें सिर्फ प्रशिक्षण के बतौर की जाती थीं, लेकिन सीमा पर युद्ध के बादलों के मंडराने के कारण सैनिकों तथा सैनिक साजोसामन को पहुंचाने के लिए अब रात्रि के समय भी उड़ानें भरी जा रही हैं। 
 
अभी तक युद्ध के दौरान ही भारतीय वायुसेना को इतने बड़े पैमाने पर इस्तेमाल सैनिकों तथा सैनिक साजोसामान को ढोने के लिए किया जाता रहा है मगर सीमा पार बढ़ती तनातनी, सड़क मार्गों पर बढ़ते दुश्मन व मौसम की परिस्थितियों के खतरों ने भारतीय सेना को मजबूर किया कि वह भारतीय वायुसेना की मदद ले।
 
वायुसेना के सूत्रों के अनुसार, करगिल युद्ध के बाद भारतीय वायुसेना की जिम्मेदारी उत्तरी सेक्टर में और बढ़ गई है। जहां वह निरंतर साजो सामान की आपूर्ति के काम में लिप्त हैं वहीं करगिल समेत पूरी नियंत्रण रेखा पर नजर रखने के लिए उसके लड़ाकू विमान भी अब चौकसी बरत रहे हैं। इसे भूला नहीं जा सकता कि सियाचिन हिमखंड का सारा युद्ध सही मायनों में भारतीय वायुसेना के बल पर ही लड़ा जा रहा है जहां सड़क मार्ग है ही नहीं।
 
यही नहीं भारतीय वायुसेना सीमा पार की गतिविधियों की जानकारी के लिए मानवरहित विमानों का इस्तेमाल भी कर रही है। और ये तैयारियां युद्ध की तैयारियों के रूप में गिनी जा रही है। 

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