उड़ी में 18 भारतीय सैनिकों के शहीद होने के बाद लगातार इस बात की चर्चा हो रही थी भारत सरकार इस आतंकी हमले का जवाब किस तरह देगी? अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान को घेरने की कोशिश हुई, सिंधु समझौते पर पुनर्विचार किया गया। साथ ही यह सवाल भी रहा कि भारत कूटनीतिक स्तर पर और सैन्य स्तर पर इस हमले का जवाब किस तरह देगा?
मीडिया रिपोर्ट और सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने यह भी कहा कि पाकिस्तान म्यांमार नहीं है जहां भारतीय सेना घुसकर हमला कर दे। गौरतलब है कि जून 2015 में भारतीय सैनिकों ने म्यांमार की सीमा में घुसकर आतंकियों को ढेर कर दिया था।
उड़ी हमले के बाद सोशल मीडिया पर यह चर्चा गर्म थी कि आखिर क्यों पीओके में भी म्यांमार की तरह अंदर जाकर सर्जिकल स्ट्राइक (लक्ष्यभेदी हमला) क्यों नहीं करता? इस पर कुछ लोगों ने यह भी कहा कि भारतीय पाकिस्तान कोई म्यांमार नहीं है जो इस तरह का हमला होने दे।
लेकिन भारतीय सेना ने पीओके में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक (लक्ष्यभेदी हमला) की 38 आतंकियों को मारकर पाकिस्तान को करारा जवाब दिया और साथ ही यह भी साबित कर दिया कि भारती सेना किसी से कम नहीं है।
उड़ी हमले के बाद यह भी कहा गया था कि भारत अमेरिका और इज़राइल की तरह दुश्मन से बदला क्यों नहीं लेता? इसके जवाब भी तैयार थे, जिनमें कहा गया था कि भारतीय सैनिक इस तरह ट्रेंड नहीं हैं और अमेरिका और इज़राइल की तरह दुश्मन के घर में घुसकर लेने की ट्रेनिंग उन्हें नहीं दी गई, लेकिन भारतीय सैनिकों ने पीओके में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक (लक्ष्यभेदी हमला) साबित कर दिया कि वे हर परिस्थिति में देश की रक्षा करने में सक्षम हैं और साथ ही दुश्मन को घर में घुसकर मारने का दम भी रखते हैं।