जम्मू। चीनी सेना ने पैंगांग झील के किनारों पर कई इलाकों में मोर्चाबंदी के तहत सर्दियों में टिके रहने की जो तैयारी की है उसको देखते हुए भारतीय सेना भी अन्य इलाकों में अपने शक्ति प्रदर्शन में इसलिए जुट गई है क्योंकि उसे डर है कि चीनी सेना अगले कुछ हफ्तों में अन्य इलाकों में भयानक मोर्चे खोल सकती है।
इसी क्रम में भारतीय सेना ने आनन फानन में डीबीओ अर्थात दौलत बेग ओल्डी में टैंक ब्रिगेड को तैनात किया है जिसके पास टी-90 टैंकों का जखीरा है। एक रक्षा सूत्र के बकौल, डीबीओ में हवाई पट्टी के साथ ही कराकोरम पास होने के कारण चीनी सेना की इस इलाके में बढ़त सियाचिन हिमखंड के लिए खतरा पैदा कर सकती है।
अधिकारियों के मुताबिक, 4 हजार से अधिक जवान टी-90 टैंकों के साथ ही अन्य बख्तरबंद लड़ाकू वाहनों को भी डीबीओ इलाके में तैनात किया गया है जो अपने आपको गर्म रखने तथा जरूरत पड़ने पर टैंक धोखा न दे जाएं, शक्ति प्रदर्शन के तौर पर प्रेक्टिस में जुटे हैं। यही कारण है कि इलाका अक्सर टैंकों द्वारा दागे जाने वाले गोलों की आवाज से गूंज उठता है।
पूर्वी लद्दाख में लगभग 18,000 फुट की ऊंचाई पर स्थित कराकोरम पास भारत के लिए रणनीतिक तौर पर बेहद अहम है। कराकोरम में भारत के लद्दाख और चीन के जिनजियांग प्रांत की सीमाएं लगती हैं। और डीबीओ में भारतीय पोजिशन को मजबूत करने की खातिर तोपखानों के अतिरिक्त टैंक ब्रिगेड की तैनाती मजबूरी में लेनी पड़ी है। यह पहली बार है कि इतनी ऊंचाई पर टैंक ब्रिगेड को तैनात किया गया हो।
इस इलाके में टैंकों की तैनाती कोई आसान कार्य नहीं था। दरअसल दुरबुक-श्योक-डीबीओ सड़क के पुल 46 टन वजनी टी-90 टैंकों का वजन नहीं सह सकते, इसलिए विशेष उपकरणों के जरिए उन्हें नदी और नाले पार कराए गए हैं।
रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत ने डीबीओ में पहले से ही एम-777 155 एमएम होवित्जर तोपों, 130 एमएम की बंदूकों और बख्तरबंद वाहनों को तैनात कर रखा है। लद्दाख के अन्य इलाकों में तनाव के बाद ये तैनाती की गई थी।
जानकारी के लिए जिनजियांग से पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर जाने वाला चीन का हाईवे इसके पास से गुजरता है और सियाचिन की चोटियां भी इसके पास ही स्थित हैं। वैसे चीनी सेना को डीबीओ रोड पर भी आपत्ति है जिस पर होने वाली भारतीय सैनिकों की गश्त के रास्ते में वह अक्सर रूकावटें पैदा करती रहती है।