इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) विवाद के बाद चुनाव आयोग अपनी छवि को लेकर चिंतत है। खबर है कि अब आयोग भी अदालतों की तरह अवमानना की कार्रवाई का अधिकार चाहता है।
अंग्रेजी अखबार 'इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के मुताबिक चुनाव आयोग ने केंद्र सरकार से कोर्ट की तर्ज पर उसकी छवि खराब करने वालों के खिलाफ अवमानना का मुकदमा चलाने का अधिकार देने की मांग की है। चुनाव आयोग के अनुसार आयोग की छवि खराब करने वालों के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई का अधिकार उसे मिलना चाहिए।
इस संबंध में चुनाव आयोग ने कानून मंत्रालय को एक पत्र लिखा है। आयोग ने परिस्थितियों के मद्देनजर यह पत्र सरकार को लिखा है ताकि लोग संवैधानिक संस्थाओं पर बेबुनियादी आरोप लगाकर उनकी छवि खराब न करें। चुनाव आयोग चाहता है कि कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट एक्ट 1971 में संशोधन करके चुनाव आयोग की बात न मानने वाले या उससे सहयोग न करने वालों के खिलाफ कार्रवाई का अधिकार दिया जाए।
आयोग ने संवैधानिक संस्थाओं के खिलाफ कुछ भी बोल जाने यहां तक कि आयोग और उसके सदस्यों की निष्ठा पर सवाल उठाकर छवि धूमिल करने को बड़ा सवाल माना है। अब आयोग ऐसे ही लोगों और संस्थाओं को मर्यादा का पाठ पढ़ाना चाहता है।
फिलहाल केंद्रीय कानून मंत्रालय चुनाव आयोग के खत पर विचार कर रहा है। आयोग ने अपने खत में पाकिस्तान के चुनाव आयोग समेत दूसरे देशों का भी उदाहरण दिया है। इलेक्शन कमिशन ऑफ पाकिस्तान (ECP) के पास अधिकार हैं कि वह उसकी छवि खराब करने वालों के खिलाफ अवमानना का केस चला सकता है।
गौरतलब है कि हाल ही में विपक्षी पार्टियों ने ईवीएम को लेकर चुनाव आयोग पर कई तरह के आरोप लगा कर आयोग की छवि को खराब किया गया है। विपक्ष ने चुनाव आयोग पर सत्ताधारी दल के एजेंट के रूप में काम करने जैसे आरोप लगाए थे जिसके बाद चुनाव आयोग ने सभी राजनीतिक दलों को ईवीएम हैक करने का चैलेंज दिया था। चुनाव आयोग के चैलेंज को एनसीपी और माकना ने छोड़कर किसी भी राजनीतिक पार्टी ने स्वीकार नहीं किया था। आयोग ने दोनों ही पार्टियों के नेताओं को बुलाकर ईवीएम हैक करने का चैलेंज दिया लेकिन वे ऐसा नहीं कर पाई। दिल्ली विधानसभा में डेमो देकर आरोप लगाने वाली आम आदमी पार्टी इस चैलेंज से दूर हो गई थी।