इंदौर। इंदौर में बेलेश्वर महादेव मंदिर में हुए हादसे में 36 लोगों की जान ले ली। जिन लोगों की जीवन-लीला समाप्त हो गई उनका प्रशासन और सिस्टम की इस लापरवाही से कोई लेना- देना नहीं था। हादसे को लेकर किसी को पता नहीं था, यहां तक तो फिर भी ठीक है, लेकिन जिस तरह से इंदौर के नगर-निगम और जिला प्रशासन ने असफल रेस्क्यू किया, उसे देखकर लग रहा है कि 36 मासूमों की अर्थियों के साथ ही इंदौर के आपदा प्रबंधन की भी एक तरह से अर्थी निकल गई।
भारत के सबसे स्वच्छ शहर और स्मार्ट होने का दावा करने वाला इंदौर अगर हादसे में बैसिक स्तर का रेस्क्यू ऑपरेशन चलाकर अपने लोगों की जान नहीं बचा सकता है तो किस आधार पर यह बार-बार नंबर वन होने का दावा करता है।
रस्सी टूटी, बावड़ी में गिरी बुर्जुग महिला
दरअसल, जिस तरह से इंदौर के निगम और जिला प्रशासन ने बावड़ी में गिरे 36 लोगों को बचाने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया, उसकी पूरे शहर और सोशल मीडिया में थू-थू हो रही है। आधुनिक और स्मार्ट सिटी की तरफ बढते इंदौर में इस हादसे के बाद करीब 24 घंटे तक रेस्क्यू ऑपरेशन चला। गुरुवार को सुबह 11 बजे करीब हादसा हुआ था, लेकिन बावड़ी से पहला शव गुरुवार को ही दोपहर 3 बजे निकाला गया। जबकि सबसे आखिरी शव को दूसरे दिन शुक्रवार को दोपहर करीब सवा 12 बजे के आसपास निकाला गया।
आए दिन आपदा प्रबंधन के नाम पर मॉकड्रिल की जाती है, लेकिन इंदौर के इस हादसे में 24 घंटे से ज्यादा समय तक चला। आलम यह है कि रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान सामान्य सी रस्सी से बांधकर बावड़ी से ऊपर खींची जा रही बुर्जुग महिला रस्सी टूट जाने से फिर से बावड़ी में जा गिरती है। महिला के गिरने का यह वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है और इंदौर के आपदा प्रबंधन की पोल खोल रहा है।
राजनीति चमकाने पहुंचे नेता
गुरुवार को रेस्क्यू ऑपरेशन ठीक से शुरू हुआ ही नहीं था कि पटेल नगर में बेलेश्वर महादेव मंदिर में दौरा करने के लिए नेता आने लगे। पहले से हैरान और परेशान रेस्क्यू टीम के सदस्य और लोगों को बचाने में मदद कर रहे आम लोगों को इस आवाजाही से बहुत परेशानी हुई।
कितने गिरे, बावड़ी कितनी गहरी
हादसे के बाद मौके पर मौजूद जिला प्रशासन और निगम के लोग यह भी अंदाजा नहीं लगा पाए कि बावड़ी में कितने लोग गिरे हैं और यह कितनी गहरी है। पहले कहा जा रहा था कि 5 से 6 लोग हादसे का शिकार हुए हैं, लेकिन दूसरे दिन पता चला कि 54 लोग बावड़ी में गिरे हैं। दुखद यह था कि पूरे दिन 20 लोगों के गिरे होने के अंदाजे के साथ ही रेस्क्यू ऑपरेशन चलता रहा। बाद में पता चला कि भीतर और भी लोग फंसे हैं।
रेस्क्यू में देरी, सेना को कॉल नहीं
बहुत दुखद है कि गुरुवार को 11 बजे हादसा हुआ और इसके करीब दो घंटे बाद जिला प्रशासन के अधिकारी और नगर निगम इंदौर का अमला मौके पर पहुंचता है। शुक्रवार को सीएम शिवराज सिंह चौहान के दौरे पर पटेल नगर के नागरिकों और मृतकों के परिजनों ने इस बात की शिकायत की थी। निगम प्रशासन और जिला प्रशासन मौके पर पहुंच कर देर तक घटना का आंकलन और रेस्क्यू की तैयारी को लेकर योजना बनाता रहा। बाद में पूरी तरह से मति भ्रम की स्थिति में महु से सेना को बुलाना पडा, जिसमें काफी देर हो चुकी थी।
सर्च लाइट, सीढ़ी और पंप नहीं
पटेल नगर के रहवासियों ने बताया कि रेस्क्यू के लिए पहुंची टीम के पास न बावड़ी के अंधेरे में लोगों को ढूंढने के लिए न तो सर्च लाइट थी और न ही वॉटर पंप। पानी निकालने के लिए उनके पास एक एचपी की मोटर थी। टार्च से रोशनी करने की कोशिश की गई। वहीं, रस्सी की सीढियों का इस्तेमाल किया गया। जबकि गहरे गड्डों में रेस्क्यू के लिए अलग तरह की सीढ़ी का इस्तेमाल होता है। यही वजह थी कि रस्सी से बांधकर ऊपर लाई जा रही एक महिला रस्सी टूटने से फिर से बावड़ी में गिर जाती है।
क्यों नहीं हटाया शेड और दीवार?
लोगों ने वेबदुनिया को बताया की यह मालूम होने के बावजूद की बावड़ी में कई लोग गिर चुके हैं, रेस्क्यू के लिए बावड़ी के ऊपर लगा टीन शेड और बावड़ी से सटी दीवार को नहीं तोड़ा गया। इस वजह से बावड़ी में अंधेरा हो रहा था। शेड और दीवार हटाने से बावड़ी में पसरा अंधेरा दूर हो जाता। वहीं, नागरिकों ने बताया की दीवार और शेड हटा देते तो रेस्क्यू के लिए जगह हो जाती और उपकरण लगाने में आसानी होती। ऐसे में ज्यादा लोगो की जान बचाई जा सकती थी। लेकिन प्रशासन ने इस और कोई ध्यान नहीं दिया।