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इंदौर के जाने माने साहित्यकार डॉ. शरद पगारे का निधन

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वेबदुनिया न्यूज डेस्क

, शुक्रवार, 28 जून 2024 (22:15 IST)
Dr. Sharad Pagare passed away: प्रतिष्ठित व्यास सम्मान से विभूषित देश के जाने माने ऐतिहासिक उपन्यासकार एवं कथाकार तथा शहर के जाने माने पत्रकार व लेखक प्रोफेसर सुशीम पगारे के पिता डॉ. शरद पगारे का शुक्रवार की रात निधन हो गया। वे 93 साल के थे। साहित्यकार तथा इतिहासकार डॉ. पगारे शासकीय महाविद्यालय के प्राचार्य पद से सेवानिवृत्त होकर स्वतंत्र लेखन में संलग्न थे।
 
शिल्पकर्ण विश्वविद्यालय, बैंकाक में विजिटिंग प्रोफेसर के रूप में अपनी सेवाएं देने वाले डॉ. पगारे वे मध्यप्रदेश के पहले साहित्यकार हैं, जिन्हें देश के प्रतिष्ठित 'व्यास सम्मान से विभूषित किया गया। डॉ पगारे के निधन से पूरे साहित्य जगत में एक बड़ी हानि हुई है। उनकी शवयात्रा शनिवार की सुबह 12 बजे उनके निवास स्थान से निकलेगी। 
 
कुछ समय पूर्व ही डॉ. पगारे को प्रतिष्ठापूर्ण 'व्यास सम्मान' से विभूषित किया गया था। डॉ. पगारे लगभग 65 वर्षों से अनवरत लेखन कर रहे थे। डॉ. पगारे ने इतिहास के अंधेरे में खोए हुए चरित्रों को साहित्य के माध्यम से सामने लाकर ऐतिहासिक उपन्यासों के क्षेत्र में लीक से हटकर लेखन किया है और एक नई जमीन तैयार की। 
 
5 जुलाई 1931 में खंडवा मध्य प्रदेश में जन्मे शरद पगारे ने इतिहास विषय में एमए, पीएचडी की। मध्य प्रदेश के उच्च शिक्षा विभाग में इतिहास के प्रोफेसर के रूप में 3 से अधिक दशकों तक अध्यापन रिसर्च के साथ ही ऐतिहासिक एवं साहित्यिक कथाओं व उपन्यासों का नियमित लेखन किया। वर्ष 1987-88 में रोटरी इंटरनेशनल इल्योंनाय अमेरिका द्वारा विश्व से 10 चयनित प्रोफेसरों में डॉ. शरद पगारे को विजिटिंग प्रोफेसर के रूप में शिल्पकर्ण विश्वविद्यालय बैंकॉक, थाईलैंड में अध्यापन हेतु भेजा गया था।
 
डॉ. पगारे की प्रमुख रचनाएं :
उपन्यास : शाहजहां प्रेमिका गुलारा बेगम (11 संस्करणों में प्रकाशित, मराठी, गुजराती, उर्दू, मलयालम, पंजाबी में प्रकाशित), औरंगजेब की महबूबा बेगम जैनाबादी (6 संस्करणों में प्रकाशित मराठी में प्रकाशन तथा दिल्ली के क्षितिज थिएटर ग्रुप द्वारा नाट्य रूपांतर एवं 10-11 नवंबर 2011 को श्रीराम सेंटर, मंडी हाउस, नई दिल्ली में मंचन), गंधर्वसेन (मराठी में प्रकाशन), पाटलिपुत्र की सम्राज्ञी (तीन संस्करण) उजाले की तलाश, जिन्दगी के बदलते रूप (तीन संस्करण, मराठी में अनूदित) आदि।
 
कहानी संग्रह : नारी के रूप, एक मुट्ठी ममता, सांध्य तारा, जिंदगी एक सलीब सी, दूसरा देवदास, भारत की श्रेष्ठ ऐतिहासिक प्रेमकथाएं, चन्द्रमुखी का देवदास।
 
सम्मान तथा पुरस्कार : शरद पगारे अनेक सम्मानों एवं पुरस्कारों से नवाजा गया। इनमें हिन्दी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग का साहित्य वाचस्पति, केके बिरला फाउंडेशन, दिल्ली का व्यास सम्मान (पाटलिपुत्र की सम्राज्ञी), बालकृष्ण शर्मा नवीन सम्मान (पाटलिपुत्र की सम्राज्ञी), विश्वनाथ सिंह पुरस्कार (गुलारा बेगम) मध्य प्रदेश हिन्दी साहित्य का वागीश्वरी एवं दिव्य पुरस्कार, साहित्य शिरोमणि सारस्वत सम्मान आदि शामिल हैं।
Edited by: Vrijendra Singh Jhala

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