नई दिल्ली। स्वच्छ भारत अभियान में 2017 में देशभर में पहले नंबर पर रहने वाले इंदौर को बुधवार को दिल्ली में 'टाइम्स नाऊ' चैनल द्वारा देश की सबसे स्वच्छ सड़क का पुरस्कार मिला। केंद्रीय सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने इस मौके पर पुरस्कृत करते हुए महापौर मालिनी गौड़ को ट्रॉफी देकर सम्मानित किया।
यहां आयोजित समारोह में मालिनी गौड़ को इंडिया रोड सेफ्टी मिशन के तहत 'बेस्ट सिटी फॉर रोड क्लीनिंगनेस' का अवॉर्ड प्रदान किया। उल्लेखनीय है कि इंदौर 2017 में देश का सबसे स्वच्छ शहर घोषित किया गया था और इसके बाद महापौर ने 2018 में भी इस खिताब को बरकरार रखने के लिए पूरे जोरशोर से अभियान चलाया हुआ है।
स्वच्छ इंदौर शहर के परिणाम भी देखने को मिल रहे हैं। सड़कें न केवल साफ नजर आती हैं बल्कि रोड डिवाइडरों को बाकायदा पानी से धोया जाता है। इंदौर नगर निगम ने सड़कों पर गुटखा-पान थूककर गंदगी करने वालों पर 500 रुपए के स्पॉट फाइन की शुरुआत 25 दिसम्बर से ही कर दी थी। नतीजा यह निकल रहा है कि 500 रुपए के अर्थदंड से लोगों ने सड़कों पर गंदगी करना कम कर दिया है।
महापौर मालिनी गौड़ ने संकल्प लिया है कि वे 2018 में भी 'स्वच्छ भारत अभियान' में अव्वल को दोबारा नंबर वन बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। इसके लिए वे जहां भी समारोह में जाती हैं, वहां लोगों को स्वच्छता की शपथ दिलवाती हैं।
डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन करने वाला मप्र बना देश का पहला राज्य : जब मालिनी गौड़ दिल्ली में इंदौर के लिए पुरस्कार ग्रहण कर थीं, तब राजधानी भोपाल से खबर आई कि मध्यप्रदेश शत-प्रतिशत नगरीय निकायों से डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है। यह जानकारी नगरीय विकास एवं आवास मंत्री माया सिंह ने दी।
आधिकारिक तौर पर आज यहां बताया गया कि सिंह ने मंत्रालय में स्वच्छ भारत अभियान-2018 की समीक्षा बैठक में कहा कि स्वच्छ भारत अभियान में भारत सरकार द्वारा कराए जा रहे स्वच्छता सर्वेक्षण अभियान की मॉनिटरिंग कड़ाई से की जाए, जिससे प्रदेश में किए जा रहे प्रयासों से मध्यप्रदेश देश में पुन: नई पहचान बना सके।
उन्होंने कहा कि स्वच्छ भारत अभियान में नगरीय क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति दर्ज की गई है। शत-प्रतिशत नगरीय क्षेत्रों में खुले में शौच की कुप्रथा से मुक्ति दिलाने के बाद डोर-टू-डोर कचरा प्रबंधन का कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि नगरीय क्षेत्रों में निजी जन-भागीदारी से ठोस अपशिष्ट प्रबंधन का कार्य लैंडफिल साइट एवं प्रसंस्करण द्वारा किया जा रहा है। यह कार्य निर्धारित समय सीमा में पूर्ण कराने के निर्देश अधिकारियों को दिए गए हैं।
उन्होंने कहा कि ठोस अपशिष्ट प्रबंधन में क्लस्टर बनाते समय नगरीय निकायों के बीच की दूरी पर विशेष ध्यान दिया जाए, जिससे एक दिन में ही कचरा मुख्य संग्रहण केन्द्रों तक पहुंच सके। उन्होंने ठोस अपशिष्ट प्रबंधन केन्द्रों की प्रगति की साप्ताहिक रिपोर्ट प्राप्त करने के निर्देश भी दिए। उन्होंने कहा कि कचरा संग्रहण का कार्य अवकाश के दिनों में भी जारी रखा जाए।
बैठक में विभाग के प्रमुख सचिव विवेक अग्रवाल ने बताया कि स्वच्छता सर्वेक्षण-2018 पूरे देश के साथ प्रदेश में भी जारी है। प्रथम चरण में 26 निकायों का सर्वेक्षण पूर्ण हो चुका है। शेष निकायों में सर्वेक्षण द्वितीय चरण में किया जाएगा। स्वच्छता सर्वे और डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन कार्य की नियमित समीक्षा भोपाल स्तर से की जा रही है। सभी 51 जिलों के लिए एक-एक नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है।
अग्रवाल ने बताया कि निजी जन भागीदारी आधारित ठोस अपशिष्ट प्रबंधन योजना में 26 क्षेत्रीय इकाइयों में से 6 इकाइयों में विद्युत उत्पादन इकाइयां स्थापित की जाएंगी। इनके माध्यम से 65 मेगावॉट विद्युत उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। शेष 20 इकाइयों से कचरे से जैविक खाद बनाया जाना प्रस्तावित है।