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मजबूत अर्थव्यवस्था के लिए जरूरी है रिसर्च पर आधारित शिक्षा

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, शुक्रवार, 10 सितम्बर 2021 (13:04 IST)
नई दिल्ली, "विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में नवाचार का भविष्य उज्ज्वल है और यह भारत को आत्मनिर्भर बनाएगा। नवोन्मेषी शिक्षा भारत के पांच ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था के लक्ष्य में भी योगदान देगी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के दृष्टिकोण को पूरा करेगी। इसीलिए, स्कूली छात्रों में अन्वेषण की ललक को विकसित किया जाना चाहिए।"

8वें इंस्पायर-मानक पुरस्कार प्रदान करते हुए एक वर्चुअल समारोह में केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय तथा पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय, राज्य मंत्री प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन मंत्रालय, परमाणु ऊर्जा एवं अंतरिक्ष विभाग डॉ जितेंद्र सिंह ने ये बातें कही हैं। 

कोविड-19 से लड़ने के लिए बेहद कम समय में डीएनए आधारित वैक्सीन विकसित करने के अलावा तीन टीकों को उपयोग के लिए जारी करने में भारत के प्रयासों का हवाला देते हुए डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि 21वीं सदी में किसी भी देश की आर्थिक शक्ति उसके वैज्ञानिक विकास और संबंधित तकनीकी अनुप्रयोगों से निर्धारित होती है।
 उन्होंने कहा कि आने वाले समय में भारत इन नवोन्मेषी युवाओं को तैयार करके और उनके संसाधनों को एक साथ जोड़कर जनसांख्यिकीय लाभांश प्राप्त करेगा।

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री ने कहा कि इंस्पायर (INSPIRE) योजना वैज्ञानिक दृष्टिकोण करने में सहायक है, क्योंकि अब हर वर्ष पुरस्कारों के लिए प्रतिस्पर्धा करने वाले इच्छुक छात्रों की संख्या में वृद्धि हो रही है।
डॉ जितेंद्र सिंह ने बताया कि इस वर्ष विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 3.92 लाख से अधिक छात्रों ने अपनी परियोजनाएं जमा कीं थी, जिनमें से 581 को चुना गया, और उनमे से 60 को पुरस्कृत किया गया है। अपनी शुरुआत के बाद से मानक (MANAK) पुरस्कारों के तहत अब तक यह योजना 05 लाख से अधिक स्कूलों तक पहुंची है। उन्होंने कहा कि इससे सिद्ध होता है कि वैज्ञानिक सोच वाले युवा भारतीय मस्तिष्क तैयार करने के अवसरों में तेजी आ रही है।

डॉ सिंह ने कहा कि केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय राज्य सरकारों / केंद्र शासित प्रदेशों को अपने संबंधित राज्य / केंद्र शासित प्रदेश में पुरस्कारों और पुरस्कार विजेताओं के बारे में लोगों को संवेदनशील बनाने के लिए पत्र लिखेगा।

उन्होंने कहा कि इससे स्कूली शिक्षा के शुरुआती चरणों से एक संपूर्ण वैज्ञानिक और नवीन अभिरुचि और सीखने की प्रक्रिया विकसित करने में मदद मिलेगी। उन्होंने देश में वैज्ञानिक मानसिकता के निर्माण के लिए तीन विभिन्न वर्गों - 25 वर्ष से कम, 25 से 35 वर्ष का आयु वर्ग और 35 वर्ष से अधिक आयु वर्ग पर ध्यान केंद्रित करने का सुझाव दिया है।

इंस्पायर-मानक पुरस्कार संयुक्त रूप से भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी ) और राष्ट्रीय नवप्रवर्तन प्रतिष्ठान (नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन) द्वारा कार्यान्वित किया जाता है।

वर्ष 2016 में, इंस्पायर योजना को नया रूप दिया गया और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू की गई "स्टार्ट-अप इंडिया" पहल के लिए बनी कार्ययोजना के साथ जोड़ा गया। मानक के माध्यम से छात्रों को देश भर के सभी सरकारी अथवा निजी स्कूलों की ओर से प्रोत्साहित किया जाता है, जिससे कि वे जन-सामान्य की समस्याओं से जुड़े अपने मौलिक और रचनात्मक तकनीकी विचारों/नवाचार पेश करें। इस प्रकार प्राप्त प्रविष्टियों में से चयनित परियोजनाओं को राष्ट्रीय स्तर की प्रदर्शनी और परियोजना प्रतियोगिता में भी प्रदर्शित किया जाता है।

इस वर्चुअल पुरस्कार समारोह को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की सचिव डॉ रेणु स्वरूप और राष्ट्रीय नवप्रवर्तन प्रतिष्ठान (नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन-एनआईएफ ) के अध्यक्ष डॉ. पी एस गोयल ने भी संबोधित किया। विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के इंस्पायर कार्यक्रम की प्रमुख श्रीमती नमिता गुप्ता, एनआईएफ के निदेशक डॉ. विपिन कुमार और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए। (इंडिया साइंस वायर)

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