नई दिल्ली। भारत को फ्रांस की यूरोपियन सिंक्रोट्रॉन रेडिएशन फैसिलिटी (ईएसआरएफ) की पूर्ण सदस्यता मिल गई है जिससे भारतीय वैज्ञानिकों को अवसंरचनात्मक अध्ययन का अत्याधुनिक साधन उपलब्ध होगा, जिससे नई दवाओं की खोज में तेजी आएगी।
ईएसआरएफ और भारत के जैव प्रौद्योगिकी विभाग के बीच हुए समझौते के बाद विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने सोमवार को कहा कि फ्रांस के केंद्र तक पहुंच भारतीय वैज्ञानिकों के लिए एक बड़ा अवसर है। इसमें जीव विज्ञान के अलावा विज्ञान की अन्य शाखाओं के लिए भी अवसंरचना से जुड़े अनुसंधान हो सकते हैं।
उन्होंने बताया कि ईएसआरएफ के साथ वर्ष 2009 में पहली बार साझेदारी की गई थी, लेकिन उस समय भारत को केंद्र के सीमित इस्तेमाल की अनुमति थी। अब 22वें सदस्य के रूप में उसे अन्य सदस्य देशों के समान ही इस्तेमाल की अनुमति मिल गई है।
जैव प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव प्रो. विजय राघवन ने कहा कि डॉ. जी. रामचंद्रन ने हमारे शरीर में सबसे ज्यादा पाए जाने वाले कोलाजेन प्रोटीन की अवसंरचना से पहली बार दुनिया को अवगत कराया, लेकिन क्रिस्टेलोग्राफी की अत्याधुनिक सुविधाएं भारतीय वैज्ञानिकों के लिए अनुपलब्ध होने के कारण उसके बाद देश में प्रोटीन अवसंरचना या स्ट्रक्चरल बायोलॉजी में कोई बड़ा अनुसंधान नहीं हो पाया।
भारत के ईएसआरएफ का सदस्य बनने से इस दिशा में स्वदेशी अनुसंधान को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि आज विज्ञान इतना आगे बढ़े चुका है कि बड़े अनुसंधान अब एक या दो बड़े कमरों में प्रयोगशाला बनाकर नहीं किए जा सकते। इसके लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग से बड़ी प्रयोगशालाएं स्थापित करने की जरूरत होती है।
डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि ईएसआरएफ तक सीमित पहुंच के सात साल के दौरान इस केंद्र की मदद से भारतीय वैज्ञानिकों ने 200 अनुसंधान पत्र प्रकाशित किए और 600 से ज्यादा संरचनाओं को संरचना डाटा बैंक में जमा कराया है। पूर्ण सदस्यता के समझौते से नई दवाओं की खोज और तेज होगी। (वार्ता)