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ISRO का PSLV-C52 सफलतापूर्वक लॉन्च, 2 छोटे उपग्रह भी लेकर गया साथ, जानिए क्या काम करेगा यह उपग्रह

हमें फॉलो करें ISRO का PSLV-C52 सफलतापूर्वक लॉन्च, 2 छोटे उपग्रह भी लेकर गया साथ, जानिए क्या काम करेगा यह उपग्रह
, सोमवार, 14 फ़रवरी 2022 (20:19 IST)
श्रीहरिकोटा (आंध्र प्रदेश)। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अपने भू-अवलोकन उपग्रह ईओएस-04 और दो छोटे उपग्रहों को सोमवार को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में उनकी कक्षा में स्थापित कर दिया। इसरो का 2022 का यह पहला प्रक्षेपण अभियान था।
 
अंतरिक्ष एजेंसी के प्रक्षेपण यान पीएसएलवी-सी 52 ने तीनों उपग्रहों के साथ 25 घंटे 30 मिनट की उलटी गिनती के बाद सुबह 5 बजकर 59 मिनट पर यहां से उड़ान भरी।
 
इसरो ने कहा कि प्रणोदन, उष्मा से बचाने वाले कवच को अलग करना और कक्षा में स्थापित किए जाने सहित उड़ान की अहम गतिविधियां पूरी तरह से योजना के अनुरूप हुई।
 
अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा करीब 17 मिनट 34 सेकंड की उड़ान के बाद, तीनों उपग्रहों को 529 किमी की सूर्य- तुल्यकालिक ध्रुवीय कक्षा में सफलतापूर्वक प्रवेश कराया गया और उपग्रहों को जिन कक्षाओं में स्थापित किया गया वे लक्षित कक्षाओं से बहुत नजदीक हैं।
 
बेंगलुरु स्थित इसरो के ‘टेलीमेट्री ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क’ ने बताया कि आने वाले दिनों में उपग्रह को परिचालन की स्थिति में लाया जाएगा, जिसके बाद वह आंकड़ें मुहैया कराना शुरू करेगा।
 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पीएसएलवी सी52 के सफल प्रक्षेपण पर ट्वीट कर अंतरिक्ष यात्रियों को बधाई दी। प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया कि पीएसएलवी सी52 मिशन के सफल प्रक्षेपण पर हमारे अंतरिक्ष वैज्ञानिकों को बधाई। ईओएस-04 उपग्रह कृषि, वानिकी और पौधारोपण, मिट्टी की नमी और जल विज्ञान के साथ ही बाढ़ मानचित्रण के लिए सभी मौसम स्थितियों में उच्च गुणवत्ता वाली तस्वीरें प्रदान करेगा। 
 
इसरो अध्यक्ष एस सोमनाथ ने सफलतापूर्वक प्रक्षेपण के बाद कहा, ‘‘पीएसएलवी-सी52/ईओएस-04 मिशन सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है। प्राथमिक उपग्रह ईओएस-04 को पीएसएलवी-सी52 ने बेहद सटीक कक्षा में स्थापित किया और इसके साथ ही गए उपग्रह इन्सपायर सैट-1 और आईएनएस-2टीडी को भी सही कक्षा में स्थापित किया।’’
 
संयोग से आज का प्रक्षेपण सोमनाथ के हाल में अंतरिक्ष विभाग के सचिव और अंतरिक्ष आयोग के अध्यक्ष का कार्यभार संभालने के बाद पहला अभियान भी है। उन्होंने इस मिशन को संभव बनाने के लिए हर किसी का शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि यह अंतरिक्ष यान देश की सेवा करने के वास्ते हमारे लिए बड़ी संपत्तियों में से एक होगा।
 
मिशन के निदेशक एस आर बीजू ने कहा कि आज हमने जो हासिल किया है, वह वाकई शानदार है।  उपग्रह निदेशक श्रीकांत ने कहा कि ईओएस-04 प्रक्षेपण यान से अलग होने के बाद बिल्कुल सही-सलामत है और प्रक्षेपण के बाद सौर पैनल खुद तैनात होते हैं और उन्होंने वांछित ऊर्जा देना शुरू कर दिया है। 
 
उन्होंने कहा कि कुछ दिनों में उपग्रह धरती की तस्वीरें उपलब्ध कराने लगेगा। इसकी सेवाएं कई सरकारी विभागों का अहम हिस्सा होंगी। प्रिंट तथा परीक्षण के रूप में उद्योग भागीदारी के साथ अंतरिक्ष क्षेत्र को खोलने के देश के सपने को साकार करने की दिशा में ईओएस-04 ने एक छोटा-सा कदम उठाया है। हम अपने प्रयास में कामयाब हो गए हैं।
 
इससे पहले आज के प्रक्षेपण के लिए रविवार को सुबह चार बजकर 29 मिनट पर साढ़े 25 घंटे की उलटी गिनती शुरू हुई थी। ईओएस-04 एक ‘रडार इमेजिंग सैटेलाइट’ है जिसे कृषि, वानिकी और वृक्षारोपण, मिट्टी की नमी और जल विज्ञान तथा बाढ़ मानचित्रण जैसे अनुप्रयोगों एवं सभी मौसम स्थितियों में उच्च गुणवत्ता वाली तस्वीरें प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया है। इसका वजन 1,710 किलोग्राम है। यह उपग्रह 10 वर्ष तक सेवा देगा। बेंगलुरु के यू आर राव उपग्रह केंद्र से प्रक्षेपित उपग्रह 2,280 वॉट ऊर्जा पैदा करता है।
 
पीएसएलवी अपने साथ में इन्सपायर सैट-1 उपग्रह भी लेकर गया, जिसे भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईएसटी) ने कोलोराडो विश्वविद्यालय, बोल्डर की वायुमंडलीय और अंतरिक्ष भौतिकी प्रयोगशाला के सहयोग से तैयार किया है जबकि दूसरा उपग्रह आईएनएस-2टीडी एक प्रौद्योगिकी प्रदर्शक उपग्रह है।
इन्सपायर सैट-1 उपग्रह का उद्देश्य आयनमंडल के गति विज्ञान और सूर्य की कोरोनल ऊष्मीय प्रक्रियाओं की समझ में सुधार करना है। इसका वजन 8.1 किलोग्राम है। वहीं, 17.5 किलोग्राम वजनी आईएनएस-2टीडी के उपकरण के रूप में एक थर्मल इमेजिंग कैमरा होने से उपग्रह भूमि की सतह के तापमान, आर्द्रभूमि या झीलों के पानी की सतह के तापमान, वनस्पतियों (फसलों और जंगल) और तापीय जड़त्व (दिन और रात) के आकलन में सहायता प्रदान करेगा।
 
यह पीएसएलवी की 54वीं उड़ान है और 6 पीएसओएम-एक्सएल (स्ट्रैप-ऑन मोटर्स) के साथ ‘पीएसएलवी-एक्सएल कॉन्फिगरेशन’ का उपयोग करते हुए 23वां मिशन है।

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