नई दिल्ली। तमिलनाडु में जल्लीकट्टू के समर्थन में हो रहे जोरदार प्रदर्शनों को देखते हुए केन्द्र सरकार ने राज्य के इस लोकप्रिय और पारंपरिक खेल की वापसी का मार्ग प्रशस्त करते हुए अध्यादेश को अनुमति दी। जल्लीकट्टू मामले पर उच्चतम न्यायालय के प्रतिबंध को रद्द करने के मद्देनजर यह अध्यादेश लाया गया है।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने शुक्रवार की शाम इस अध्यादेश पर हस्ताक्षर कर दिए हैं और अब इसे मंजूरी के लिए राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के पास भेजा जाएगा। गौरतलब है कि इस अध्यादेश का मसौदा पहले तमिलनाडु सरकार ने केन्द्र को भेजा था।
पिछले चार दिनों से चेन्नई के मरीना बीच पर लाखों लोग युवक और छात्र इस खेल को पुन: शुरू किए जाने के पक्ष में प्रदर्शन कर रहे थे और विभिन्न मजदूर संगठनों तथा यूनियनों की शुक्रवार को तड़के से शाम तक हड़ताल से जनजीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो गया। इस हड़ताल को कई राजनीतिक पार्टियों का समर्थन भी हासिल था।
केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री अनिल माधव दवे ने सुबह ही इस बात के संकेत दिए थे कि इस संबंध में एक अध्यादेश लाया जा रहा है। उन्होंने कहा था, 'हम तमिलनाडु के सांस्कृतिक मूल्यों और लोगों की भावनाओं का सम्मान करते हैं। उम्मीद है कि जल्द से जल्द इसका कोई समाधान निकल जाएगा।' इससे पहले अन्नाद्रमुक के कई सांसदों ने केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात कर जल्लीकट्टू को अनुमति देने के लिए अध्यादेश लाने का आग्रह किया था।
इस मामले पर शुक्रवार को केन्द्र सरकार के आग्रह पर उच्चतम न्यायालय ने जल्लीकट्टू के संबंध में अपना आदेश एक सप्ताह के लिए टाल दिया। अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा से आग्रह किया कि केन्द्र और राज्य सरकार इस मुद्दे का हल निकालने का प्रयास कर रहे हैं जिसे देखते हुए फैसला एक सप्ताह तक टाल दिया जाना चाहिए। (वार्ता)