श्रीनगर। जम्मू कश्मीर में स्टेट फ्लैग का इस्तेमाल जरूरी करने के सरकारी आदेश पर मचा बवाल और बढ़ गया है। यह बवाल इसलिए और बढ़ गया है क्योंकि सरकारी आदेश जारी होने के 24 घंटों के भीतर इसे वापस लेने का आदेश जारी करने से जहां विपक्ष ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया वहीं भाजपा के उप-मुख्यमंत्री यह कहकर अपना बचाव करने की कोशिश कर रहे हैं कि उन्हें व्यक्तिगत तौर पर और सरकार को यह नहीं पता है कि यह कमाल किसने किया है।
गठबंधन सरकार बनने के मात्र 12 दिनों के भीतर मुख्यमंत्री मुफ्ती मुहम्मद सईद द्वारा यह तीसरा विवाद खड़ा किया गया है। विवाद अब यहां तक पहुंच गया है कि जो भाजपा मंत्री अपने सरकारी वाहनों पर स्टेट फ्लैग लगाने से बच रहे थे और जिन सरकारी इमारतों पर तिरंगा फहराया जाता था वहां अब स्टेट फ्लैग को लहराने और फहराने की कवायद तेज हो गई है। बावजूद इसके कि राज्य सरकार के सामान्य प्रशासनिक विभाग ने इसे जारी करने के 24 घंटे के भीतर ही वापस लेने का आदेश निकाल दिया था।
हालांकि भाजपा नेता और उप-मुख्यमंत्री निर्मलसिंह कहते हैं कि यह सरकारी आदेश बिना मंजूरी के जारी हुआ है। पर वे इस सच्चाई को नहीं नकारते कि यह आदेश उस सरकारी विभाग ने जारी किया था जो मुख्यमंत्री मुफ्ती मुहम्मद सईद के तहत आता है। विपक्षी नेकां के एक नेता के अनुसार ऐसा हो ही नहीं सकता कि इतना महत्वपूर्ण आदेश विभाग द्वारा बिना कार्यभार संभालने वाले मंत्री या मुख्यमंत्री की जानकारी के जारी किया गया हो। फिलहाल यह तो जांच का विषय है जिसे करवाने की दौड़ में उप-मुख्यमंत्री लगे तो हुए हैं पर आदेश वापसी के 24 घंटों के बाद भी जांच का कोई आदेश जारी नहीं हुआ था।
12 मार्च 2015 को सामान्य प्रशासनिक विभाग अर्थात जीएडी के मुखिया आयुक्त/सचिव एमए बुखारी के हस्ताक्षरों से यह सरकारी आदेश सर्कुलर न. 13-जीएडी ऑफ 2015 दिनांक 12 मार्च 2015 के तहत जारी हुआ था। इसमें बकायदा लिखा गया था कि ऐतिहासिक तथ्यों के मद्देनजर जम्मू कश्मीर के अलग संविधान और 1952 के दिल्ली समझौते के अनुसार राज्य के फ्लैग को वही इज्जत-मान प्राप्त है जो तिरंगे को है, अतः सभी को निर्देश जारी किया गया था कि तिरंगे के साथ-साथ स्टेट फ्लैग को बराबर का मान-सम्मान दिया जाए और ऐसा न करने वालों को स्टेट फ्लैग इंसल्ट कानून के तहत सजा दिए जाने की चेतावनी दी गई थी।
फिर इस मामले पर बवाल मचने पर इसी आदेश को 24 घंटे के भीतर उस समय वापस लेने का आदेश जीएडी विभाग द्वारा जारी कर दिया गया जिसने इसे जारी किया था। हालांकि पुराने आदेश की वापसी का कोई कारण इसमें दर्शाया नहीं गया था, पर सूचना विभाग द्वारा जारी प्रेस नोट में जरूर हाईकोर्ट में लंबित उस याचिका का उल्लेख किया गया था जिसमें याचिककर्ता ने राज्य के फ्लैग को तिरंगे के समान मान-सम्मान देने तथा जम्मू कश्मीर में उस दिन को गणतंत्र दिवस मनाने की प्राथना की गई थी जिस दिन राज्य का अपना संविधान लागू हुआ था।
सरकारी तौर पर चाहे जो भी कहा जा रहा हो, पर यह आदेश उस मौके पर आया था जब पीडीपी और भाजपा के बीच तनातनी चरमोत्कर्ष पर थी। दोनों ही राजनीतिक दल चाहे सत्ता पार्टनर हैं, पर दोनों के बीच कई मुद्दों और आतंकियों की रिहाई के मामले पर मामला गर्म था ही कि स्टेट फ्लैग को लागू करने के आदेश ने आग में घी का काम कर दिया। याद रहे भाजपा ने हमेशा यही नारा दिया है तथा उसकी यही मांग रही है कि वह जम्मू कश्मीर में दो संविधान और दो निशान के खिलाफ है।
स्थिति यह है कि भाजपा की परेशानी बढ़ाने में विपक्षी कांग्रेस और नेकां भी आगे आ गई हैं। सरकारी आदेश को जारी करने के समय को सही बताते हुए पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला कहते थे कि ऐसा करके मुख्यमंत्री मुफ्ती मुहम्मद सईद ने बिल्कुल सही किया था और इसे वापस लेने के मुद्दे पर उनका कहना था कि अगर पीडीपी इस मामले पर झुक जाती है तो वह राज्य को मिले विशेष दर्जे को भी नहीं बचा पाएगी।