श्रीनगर। कश्मीर के हालात को थामने राज्य सरकार को सुरक्षाबलों की कमी महसूस होने लगी है। नतीजतन उसने केंद्र से अतिरिक्त सुरक्षाबलों की मांग की है। हालांकि कई इलाकों में जरूरत पड़ने पर सेना को तैनात करने की खातिर स्थानीय नागरिक प्रशासन को आदेश दिए गए हैं। इस बीच सुरक्षाबलों की कार्रवाई में पांच लोगों के मारे जाने के बाद कश्मीर के कई हिस्सों में चौथे दिन भी कर्फ्यू जैसे प्रतिबंध जारी हैं और पूरी घाटी में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं रोक दी गई हैं। मोबाइल सेवा भी लड़खड़ा रही है।
एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि कानून एवं व्यवस्था की स्थिति बनाए रखने के लिए कुपवाड़ा और हंदवाड़ा सहित उत्तरी कश्मीर के कुछ इलाकों में कड़ी पाबंदी लगाई गई है। ऐहतियात के तौर पर श्रीनगर शहर के कुछ पुलिस थानों में भी पाबंदियां जारी हैं।
उन्होंने कहा कि प्रभावित पुलिस थानों में महाराजगंज, खानयार, नोहट्टा, रैनावारी, सफाकदल और मैसूमा शामिल हैं। मंगलवार को हंदवाड़ा में एक जवान द्वारा एक लड़की से कथित छेड़छाड़ के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान कुल पांच व्यक्तियों की मौत होने के बाद ये प्रतिबंध लगाए गए।
हंदवाड़ा घटना के अगले दिन विरोध प्रदर्शन के दौरान कुपवाड़ा क्षेत्र के द्रगमुल्ला क्षेत्र में एक अन्य व्यक्ति मारा गया। शुक्रवार को हिंसा की एक ताजा घटना में 18 वर्षीय आरिफ हुसैन डार मारा गया तथा तीन अन्य लोग सेना की गोली से घायल हुए। आरिफ की मौत तब हुई जब यहां से करीब 100 किलोमीटर दूर कुपवाड़ा के नाथनुसा क्षेत्र में पत्थरबाजी कर रहे प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए सेना ने गोली चलाई। अधिकारी ने कहा कि अफवाह फैलने से रोकने के लिए पूरी कश्मीर घाटी में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं काट दी गई हैं।
पर यह सब हालात को काबू नहीं लाने दे रहा है। हंदवाड़ा की आग एकसाथ पूरी वादी में फैल जाने के कारण प्रशासन को सबसे बड़ी दिक्कत सुरक्षाबलों की कमी से महसूस हो रही है। वर्ष 2010 की हिंसा के बाद हालात ठीक हो जाने पर अतिरिक्त सुरक्षाबलों को हटा दिया गया था।
अधिकारियों ने इस बात की पुष्टि की है कि राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से अतिरिक्त सुरक्षाबलों की मांग उन खबरों के मिलने के बाद भी की है जिसमें कहा जा रहा है कि पाकिस्तानी सेना की खुफिया संस्था आईएसआई कश्मीर के बिगड़ते हालात का फायदा उठाते हुए इन गर्मियों में माहौल को गर्माए रखने की योजनाओं पर अमल करना चाहती है।
नतीजतन हाट समर से निपटने की तैयारी अभी से आरंभ कर दी गई है। हालांकि मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के निर्देशों के बाद अर्धसैनिकों को एक बार फिर नान लीथल हथियार इस्तेमाल करने की ताकीद की गई है पर अधिकारी कहते हैं कि प्रदर्शन इतने अधिक हिंसक हो रहे हैं कि ऐसे नान लीथल हथियारों का कोई असर हिंसा पर उतारू भीड़ पर नहीं हो रहा है।
बुरी फंसी सेना : हंदवाड़ा से आरंभ हुई हिंसा की जिस आग ने पूरी वादी को जलाना आरंभ किया है उस मामले की केंद्र बनी हुई पीड़िता युवती के वीडियो को लेकर विवाद और गहरा गया है। दरअसल पीड़िता के वीडियो को पत्रकारों को विज्ञप्ति के तौर पर सर्कुलेट करने पर अगर सेना गहरे तक विवाद में फंस गई है वहीं पीड़िता को उसके पिता के साथ ‘हिरासत’ में रखने पर जम्मू कश्मीर पुलिस पर भी शक की अंगुली उठाई जाने लगी है।
इस विवाद पर अब जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट ने जम्मू कश्मीर पुलिस को आदेश जारी करते हए निर्देश दिए हैं कि लड़की के मजिस्ट्रेट के सामने बयान करवाए जाएं। कोर्ट ने शनिवार को पुलिस को निर्देश दिए कि छेड़छाड़ की शिकार हुई लड़की के मजिस्ट्रेट के सामने बयान करवाए जाएं। अब उसके परिवार ने नए आरोप लगाए हैं। परिवारवालों का कहना है कि लड़की पर दबाव बनाकर उसका वह बयान लिया गया था जिसमें उसने छेड़छाड़ के लिए सुरक्षाबलों को जिम्मेदार नहीं ठहराया था।
लड़की की मां ने कहा कि मेरी बेटी सिर्फ 16 साल की है और जब उसका बयान दर्ज किया गया था तब वह पुलिस स्टेशन में अकेली थी। लड़की की मां ने कहा कि मंगलवार को लड़की जब स्कूल से घर लौट रही थी तो वह बाथरूम में गई और वहां सेना के एक जवान ने उसका पीछा किया। जब उसने बाथरूम में इस जवान को देखा तो वह चिल्लाई जिससे नजदीकी दुकानदारों का ध्यान उस तरफ गया। पुलिस भी वहां पर आई लेकिन तब तक सेना का जवान भाग चुका था।