नई दिल्ली। जम्मू और कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 35A पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई एक बार फिर टल गई। सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर अंत में होने वाले पंचायत चुनाव को देखते हुए इस मामले की सुनवाई टाल दी।
इससे पहले 6 अगस्त को इस मामले पर सुनवाई होनी थी, लेकिन तीन जजों की पीठ में एक जज के ना होने के चलते सुनवाई टल गई थी। आज भी केंद्र सरकार ने पंचायत चुनाव को देखते हुए सुनवाई टालने की अपील की थी।
सुनवाई को लेकर अलगावादियों ने घाटी में दो दिन का बंद बुलाया है। घाटी में भाजपा को छोड़ सभी मुख्य विपक्षी पार्टियों का समर्थन इस बंद को हासिल है। हिंसा की आशंका को देखते हुए आज भी कश्मीर के 9 थाना क्षेत्रों में कर्फ्यू जारी रहेगा। सभी हुर्रियत नेता अपने घरों में नजरबंद हैं।
राज्य के हालात को देखते हुए पहले कई बार सरकार के कहने पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टलती रही है। सरकार का कहना था कि इस सुनवाई से शांति बहाली की प्रक्रिया बाधित हो सकती है। हालांकि इस बार फिर जम्मू और कश्मीर सरकार ने सुनवाई टालने की मांग की है। राज्य सरकार ने अपने यहां जल्द होने जा रहे पंचायत चुनाव का हवाला देते हुए सरकार ने कोर्ट से अभी सुनवाई ना करने की अपील की है। कोर्ट आज ही ये तय करेगा कि उसे अभी सुनवाई करनी है या नहीं।
सुनवाई का विरोध कर रहे लोगों का कहना है कि अगर नागरिकता के कानून को तोड़ा गया तो धारा 370 भी उसी के साथ खत्म हो जाएगी और जम्मू-कश्मीर और भारत के बीच हुआ विलय भी खत्म हो जाएगा।
उल्लेखनीय है कि दिल्ली स्थित एनजीओ 'We the Citizens' और वेस्ट पाकिस्तान रिफ्यूजी एक्शन कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके राज्य के विशेष नागरिकता कानून 35-A को चुनौती दी है और इसको हटाने की मांग की है।