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जम्‍मू कश्मीर में आतंक की नई तस्वीर

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सुरेश एस डुग्गर

जम्मू। अगर कश्मीर की नई तस्वीर को देखें तो यहां खतरा कई स्तरीय है। मोबाइल बमों के खतरों के बीच अगर महिला आत्मघाती दस्तों का खतरा भयानक चेतावनी दे रहा है तो सुरक्षा के नाम पर लोगों के साथ किया जा रहा मजाक बताता है कि राज्य सरकार लोगों की सुरक्षा के प्रति कितनी गंभीर है।
राजौरी, श्रीनगर, बनिहाल, पुलवामा और न जाने कितने स्थानों से मोबाइल बमों से संचालित होने वाली आईईडी को बरामद कर खतरा कई बार टाला जा चुका है, लेकिन यह अभी पूरी तरह से समाप्त नहीं हुआ है। जम्मू रेंज के पुलिस महानिरीक्षक मानते हैं कि लावारिस मोबाइल फोनों को हाथ लगाना खतरनाक हो सकता है। पुलिस की इस चेतावनी के बाद गुम होने वाले मोबाइल फोनों का मिलना तो संभव हो गया है लेकिन मोबाइल बम का खतरा नहीं टल पा रहा है। उसे रोकने का कोई तरीका भी सुरक्षाबलों को नहीं सूझ रहा है।
 
पुलिस अधिकारियों के बकौल, मोबाइल सेवा प्रदान करने वाली कम्पनियां इसके लिए जिम्मेदार हैं जिन्होंने हजारों सिम कार्ड बिना पतों की जांच किए बांट दिए। मोबाइल कम्पनियों की कारगुजारी यह है कि जो लोग अपना सिम सरेंडर कर चुके हैं वे उनके पतों की जांच जरूर कर रही है पर जिन सिम कार्ड के मालिकों का पता नहीं चल पा रहा उनकी सर्विस को रोकने में वे कोई तत्परता और इच्छा ही नहीं जतातीं।
 
जम्मू कश्मीर के लोगों के सिरों पर सिर्फ यही खतरा नहीं मंडरा रहा। एक खतरा महिला आतंकवादियों के उन दस्तों का भी है जिनके प्रति अब यह सूचनाएं बाहर आने लगी हैं कि उनमें से कुछेक एलओसी को लांघ इस ओर आ चुकी हैं। 
 
सुरक्षाधिकारी आप इस खतरे को भड़काते हुए कहते हैं कि महिलाओं का सहारा पाकिस्तान इसलिए ले रहा है क्योंकि उनकी पहचान और तलाश आसान नहीं होती। यह भी कड़वी सच्चाई है कि अधिकतर मामलों में महिलाओं की जामा तलाशी तो दूर की बात तलाशी भी नहीं ली जाती। वैसे भी अगर आप अपने वाहन के पीछे महिला को बिठा लें तो सुरक्षा नाकों को आसानी से पार कर सकते हैं। जांच न करने का कारण यह बताया जाता है कि महिला सुरक्षाकर्मियों की कमी है।
 
पुलिस के बकौल, कई महिला आतंकवादी अभी भी जम्मू कश्मीर में सक्रिय हैं। उनकी तलाश भी जारी है। जो 4 से 6 हाथ लगी हैं वे सिर्फ कूरियर की भूमिका निभाती रही हैं। इनमें से एक जुबैदा कौसर तथा रूबीना कौसर को मेंढर से दबोचा था। वे कुछ अरसा पहले मारे गए आतंकी कमांडर सैफुल्लाह कारी के लिए कूरियर का काम करती थीं।
 
पुलिस तो अब यह भी दावा करने लगी है कि राजौरी में कुछ अरसा पहले फूटे प्रेशर कुकर बम को एक महिला आतंकी ने तैयार किया था। फिलहाल उसे दबोच तो लिया गया था लेकिन पुलिस उससे कुछ उगलवाने में नाकाम रही थी। अब पुलिस को आशंका है कि कश्मीर समेत जम्मू संभाग में भी महिला आतंकवादियों की संख्या अच्छी खासी है। ऐसे में आत्मघाती दस्ते की महिलाओं की खबर सिर्फ दहशत में ही बढ़ोतरी कर रही है।
 
ऐसे में जबकि जम्मू कश्मीर में कई खतरे एकसाथ मंडरा रहे हैं, सुरक्षा के नाम पर आश्वासनों को जरूर परोसा जा रहा है। जांच की खातिर महत्वपूर्ण स्थानों पर मेटल डिटेक्टर तो लगा रखे हैं, मगर उनकी हालत खस्ता है। एकाध को छोड़ बाकी काम ही नहीं करते। अधिकतर में से गुजरने को कोई भी लोगों को बाध्य भी नहीं करता। ऐसी ही दशा वैष्णोदेवी तीर्थ स्थान के यात्रा मार्ग में लगे डिटेक्टरों की भी थी। जहां के सफर में लोग बिना मेटल डिटेक्टरों से जांच करवाए गुजर जाते हैं और कोई पूछना भी गंवारा नहीं समझता है।

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