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बुलेट ट्रेन पर जापान और भारत के बीच बड़ी डील

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, शनिवार, 12 दिसंबर 2015 (12:17 IST)
नई दिल्ली। जापान के प्रधानमंत्री शिंजो अबे तीन दिन की भारत यात्रा पर हैं। अपनी यात्रा के दूसरे दिन उन्होंने पीएम प्रधानमंत्री मोदी के बीच सालाना शिखर वार्ता में जहां दोनों देशों के बीच भारत की पहली बुलेट ट्रेन नेटवर्क के लिए 98,000 करोड़ रुपए के करार के साथ-साथ कई अहम समझौते हुए। समझौते के बाद दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने एक संयुक्त प्रेस वार्ता की।
 
भारत और जापान के बीच बुलेट ट्रेन को लेकर बड़ी डील पर आज दोनों देशों ने हस्ताक्षर किए। 98 हजार करोड़ की इस डील के लिए बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए भारत को कुल 12 अरब डॉलर यानी करीब 80400 करोड़ रुपए का लोन देगा। यह लोन 0.1 प्रतिशत ब्याज दर पर होगा। इसके अलावा जापान पांच सालों में 35 अरब डॉलर यानी करीब 234500 करोड़ रुपए का निवेश करेगा। कई समझौते के साथ ही दोनों देशों ने कुछ अन्य अहम समझौतों पर भी हस्ताक्षर किए जिसमें प्रमुख हैं असैन्य परमाणु समझौता। दोनों नेताओं ने इस करार का एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में खुलासा किया।
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जिन प्रमुख समझौतों पर भारत और जापान के बीच करार हुए हैं वह इस प्रकार से है-
 
* असैन्य परमाणु ऊर्जा समझौते पर गतिरोध हल करने की घोषणा 
* स्मार्ट सिटी और कई बुनियादी ढांचे की परियोजनाओं पर करार
* जापान के अमेरिकी-2 एंफीबियन एयरक्राफ्ट खरीदने का ऐलान
* रेलवे की शोध और डिजाइन क्षमता में भी जापान के सहयोग पर करार
* सुरक्षा, समयबद्धता, सेवा गुणवत्ता और माल ढुलाई में मदद की घोषणा 
 
जापानी पीएम ने कहा कि दिल्ली मेट्रो ने वाहनों के प्रदूषण को काफी हद तक कम किया है। जापान के सहयोग से मेट्रो की शुरुआत हुई थी। जापान दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कोरिडोर प्रोजेक्ट समेत कई ढांचागत परियोजनाओं में भारत की तकनीकी और वित्तीय मदद कर रहा है। उन्होंने भारतीय उद्योगपतियों से जापान में निवेश का आह्वान किया।
 

मोदी ने इस अवसर पर जारी संयुक्त बयान में कहा कि भारत की आर्थिक तरक्की में जापान की सबसे बड़ी भूमिका है। दोनों देशों के बीच क्षेत्रीय और आर्थिक सहयोग ने दुनिया में एक नायाब उदाहरण पेश किया है। भारत ने अपनी आर्थिक प्रगति का जो सपना देखा है, उसे जापान से बेहतर किसी ने नहीं समझा है। यही वजह है कि जापान एशिया ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में भारत का सबसे बड़ा रणनीतिक सहयोगी है। दोंनों के बीच इस सहयोग ने एशिया महाद्वीप के लिए विकास की एक नई इबारत लिखी है।

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इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि भारत केवल हाईस्पीड ट्रेन ही नहीं, बल्कि हाईस्पीड ग्रोथ भी चाहता है, जबकि जापानी पीएम ने कहा कि नीती लागू करने में मोदीजी की स्पीड बुलेट ट्रेन जैसी।
 
नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत एक संभावनाओं का देश है। अब जापान में भी मेक इन इंडिया मिशन चल रहा है।
पहली बार जापान भारत से कार इंपोर्ट करेगा। मारुति भारत में बनी बलेनो कार जापान को निर्यात करेगा। उन्होंने ये भी कहा कि जापान के लिए मजबूत भारत अच्छा है और भारत के लिए मजबूत जापान अच्छा है।

वहीं, जापान के पीएम शिंजो अबे ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी नीतियों को लागू करने में बुलेट ट्रेन जैसी तेजी दिखाते हैं। उन्होंने ये भी कहा कि पीएम मोदी की आर्थिक नीतियां शिनकानसेन हाई स्पीड की तरह सुरक्षित, भरोसेमंद और सबको साथ लेकर चलने वाली हैं।
 
पीएम मोदी ने कहा कि जापान भारत को 11 से 12 मिलियन डॉलर का फंड ‘मेक इन इंडिया’ को प्रमोट करने के लिए देगा। उन्होंने कहा कि आईआईपी ग्रोथ बताती है कि भारत संभावनाओं का देश है जिसके पास उत्कृष्ट मानव संसाधन हैं और तकनीकी आधार भी। जापान उसके साथ हर वक्त खड़ा है। 

बुलेट ट्रेन नेटवर्क भारत की वित्तीय राजधानी मुंबई को मोदी के गृहराज्य गुजरात की राजधानी अहमदाबाद से जोड़ेगा। मुंबई से अहमदाबाद के 505 किमी लंबे मार्ग की यात्रा में 8 घंटे का समय लगता है, लेकिन बुलेट ट्रेन से यह समय घटकर करीब 3 घंटे का हो जाएगा। 
 
परियोजना पर करीब 98,000 करोड़ रुपए की लागत आने का अनुमान है। दोनों पक्षों ने रक्षा उपकरणों और प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण तथा गोपनीय सैन्य सूचनाओं की सुरक्षा के लिए उठाए जाने वाले सुरक्षा कदमों से संबंधित समझौतों पर भी हस्ताक्षर किए।
 
रक्षा समझौतों को 'हमारे सुरक्षा सहयोग में निर्णायक कदम' करार देते हुए मोदी ने कहा कि इनसे रक्षा संबंध और अधिक गहरे होंगे तथा भारत में रक्षा निर्माण को बढ़ावा मिलेगा।
 
उन्होंने कहा कि यह सैन्य बलों की तीनों शाखाओं तक वार्ता के विस्तार तथा जापान को मालाबार नौसेना अभ्यास में भागीदार बनाने के हमारे निर्णय पर आधारित है। दोनों नेताओं ने 'इंडिया एंड जापान विजन 2015 : स्पेशल स्ट्रैटेजिक एंड ग्लोबल पार्टनरशिप वर्किंग टुगेदर फॉर पीस एंड प्रॉस्पेरिटी ऑफ द इंडो-पैसिफिक रीजन एंड द वर्ल्ड' पर एक संयुक्त बयान भी जारी किया।
 
बयान में कहा गया है कि दोनों प्रधानमंत्री परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोगों में सहयोग के लिए दोनों सरकारों के बीच हुए समझौते का स्वागत करते हैं और पुष्टि करते हैं कि इस समझौते पर आवश्यक अंदरुनी प्रक्रियाओं से संबंधित पक्षों सहित तकनीकी ब्यौरों को अंतिम रूप दिए जाने के बाद हस्ताक्षर किए जाएंगे।

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