politics on jumma break : असम विधानसभा में नमाज ब्रेक पर रोक के मामले में मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा मुश्किल में घिरते नजर आ रहे हैं। विपक्षी पार्टियों के साथ ही जदयू और लोजपा जैसे सहयोगी दल भी उनसे खासे नाराज हैं। जदयू नेता नीरज कुमार ने उनसे सवाल किया कि क्या वह असम के कामाख्या मंदिर में बलि प्रथा को बंद कर सकते हैं?
जेडीयू नेता नीरज कुमार ने कहा है कि असम विधानसभा का फैसला संविधान के मानकों के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि किसी को भी धार्मिक प्रथाओं पर हमला करने का अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि बेहतर होता अगर असम के सीएम लोगों को गरीबी से ऊपर उठाने पर अधिक ध्यान देते।
नीरज कुमार ने कहा कि मैं असम के मुख्यमंत्री से पूछना चाहता हूं कि आप शुक्रवार को नमाज के लिए ब्रेक पर प्रतिबंध लगाएं और कहें कि इससे काम करने की संभावना बढ़ेगी। हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, कामाख्या मंदिर के दरवाजे बलि अनुष्ठान के दौरान खुलते हैं। क्या आप इस 'बलि प्रथा' को रोक सकते हैं?
सफाई में क्या बोले असम सीएम : सीएम हिमंत बिस्व सरमा ने फैसले का बचाव करते हुए कहा कि जुमे की नमाज के लिए दो घंटे के ब्रेक को खत्म करने का फैसला सिर्फ मुख्यमंत्री का फैसला नहीं था बल्कि यह विधानसभा के सभी हिंदू मुस्लिम विधायकों का फैसला है।
उन्होंने कहा कि जब विधानसभा स्पीकर ने इस फैसले का एलान किया तो किसी भी मुस्लिम विधायक ने इस पर आपत्ति नहीं जताई। राज्य विधानसभा के 126 में से 25 विधायक मुस्लिम हैं।
सरमा ने कहा कि असम में जुमे के ब्रेक को खत्म करने के फैसले को कांग्रेस ने भी समर्थन दिया। बिहार या देश की किसी भी अन्य विधानसभा में ऐसा कोई ब्रेक है ही नहीं। मैं हैरान हूँ कि असम के बाहर के लोग बिना सोचे-समझे इसका विरोध कर रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि शुक्रवार को असम विधानसभा ने जुम्मे की नमाज के लिए मिलने वाले 2 घंटे के ब्रेक को खत्म कर दिया है। इस प्रथा को साल 1937 में मुस्लिम लीग के सैयद सादुल्लाह ने शुरू किया था।
Edited By : Nrapendra Gupta