पटना। बिहार में सत्तारूढ़ जनता दल-यूनाइटेड (जदयू) की दो दिवसीय बैठक शनिवार को पटना स्थित राज्य मुख्यालय में शुरू हुई। भाजपा ने मणिपुर में 5 जदयू विधायकों को तोड़कर नीतीश की पार्टी को झटका दिया, वहीं जदयू कार्यकर्ताओं ने 'देश का नेता कैसा हो, नीतीश कुमार जैसा हो' जैसे नारों से इसका जवाब दिया।
बैठक के पहले दिन राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पार्टी नेताओं एवं देशभर के पदाधिकारियों के शामिल हो रहे हैं। बैठक में इस सवाल का जवाब भी तलाशा जाएगा कि क्या नीतीश 2024 के लोकसभा चुनाव में विपक्ष का चेेेेहरा हो सकते हैं।
इससे पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बैठक की तैयारियों का जायजा लेने के लिए बीरचंद पटेल मार्ग कार्यालय का दौरा किया। मुख्यमंत्री के वहां पहुंचते ही 'देश का नेता कैसा हो, नीतीश कुमार जैसा हो' के नारे के साथ उनका स्वागत किया गया।
जदयू के शीर्ष नेता ने नारों के बीच विनम्रता से हाथ जोड़कर लोगों का अभिवादन स्वीकार किया। पत्रकारों द्वारा उनके प्रधानमंत्री पद की दौड़ में शामिल होने के बारे में सवाल पूछे जाने पर नीतीश ने उनसे उन्हें शर्मिंदा नहीं करने का अनुरोध किया।
हालांकि, जदयू कार्यालय में लगाए गए बैनरों, जिस पर 'प्रदेश में दिखा, देश में दिखेगा', 'आगाज हुआ, बदलाव होगा' आदि नारें अंकित हैं, से स्पष्ट है कि पार्टी अपने शीर्ष नेता से राष्ट्रीय भूमिका निभाने की उम्मीद कर रही है।
हाल ही में भाजपा से नाता तोड़कर राजग से अलग हुई जदयू के कुछ और बैनरों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व पर आक्रामक तरीके से प्रहार करने वाले नारे लिखे थे, जिनमें 'जुमला नहीं, हकीकत' और 'मन की नहीं, काम की' शामिल हैं।
इन नारों पर अधिक प्रकाश डालते हुए जदयू के राष्ट्रीय सचिव राजीव रंजन प्रसाद ने कहा कि एक तरफ हमारे पास एक ऐसा नेतृत्व है, जो अच्छे दिन, प्रति वर्ष दो लाख नौकरियां और हर एक के बैंक खाते में 15 लाख रुपए स्थानांतरित करने जैसे अजीब वादे करता है, जिसे बाद में उसी पार्टी के तत्कालीन अध्यक्ष द्वारा जुमला बताकर खारिज कर दिया जाता है।
उन्होंने कहा कि वहीं दूसरी ओर हमारे पास नीतीश कुमार हैं, जो अपने वादे पर कायम रहते हैं, चाहे वह शराबबंदी हो या ग्रामीण विद्युतीकरण का मामला हो।
प्रसाद ने कहा, 'बिहार में हाल के घटनाक्रम (नीतीश का भाजपा से नाता तोड़कर राजद, कांग्रेस सहित अन्य सात दलों के साथ महागठबंधन की सरकार बनाना) ने राष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिक बदलाव की आवाज बुलंद की है। शनिवार और रविवार की जदयू की बैठकें एक रोडमैप के साथ सामने आएंगी, जो इस पृष्ठभूमि में जदयू द्वारा निभाई जाने वाली भूमिका को रेखांकित करेगा।'
दिलचस्प बात यह है कि जदयू कार्यालय में नीतीश के लिए एक और नारा राजा नहीं फकीर है, देश की तकदीर है अंकित है। जदयू की बैठक के एजेंडों में संगठनात्मक चुनाव और एक नया सदस्यता अभियान भी शामिल रहेगा। हालांकि, नीतीश के लिए राष्ट्रीय भूमिका का मुद्दा इस बैठक के दौरान हावी रहने की संभावना है।
शीर्ष पद के लिए इच्छुक नहीं होने का नीतीश ने कोई दावा तो नहीं किया है, लेकिन उन्होंने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह विपक्षी एकता को बढ़ावा देने के प्रति गंभीर हैं और कई भाजपा विरोधी राजनेताओं के साथ फोन पर संपर्क में रहे हैं।
वाम दलों ने स्वीकार किया है कि अपने पांच दशकों के राजनीतिक अनुभव के साथ नीतीश भाजपा की बाजीगरी को चुनौती देने के लिए एक संयुक्त मोर्चा बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
नीतीश को के चंद्रशेखर राव (केसीआर) जैसे क्षेत्रीय नेताओं का भी समर्थन मिला है, जिन्होंने कुछ दिन पहले पटना का दौरा किया था और बिहार में अपने समकक्ष को देश के सर्वश्रेष्ठ और वरिष्ठतम नेताओं में से एक बताया था।