उठ गई हैं सामने से कैसी कैसी सूरतें
रोइए किसके लिए किस किस का मातम कीजिए
हैदर अली आतिश का ये शेर इसलिए याद आ रहा है कि इस देश में लापरवाही से होने वाले हादसे की फेहरिस्त लगातार लंबी होती जा रही है। यूपी के झांसी में हुआ दर्दनाक हादसा ऐसे ही मातम की याद दिला रहा है। एक सरकारी मेडिकल कॉलेज के अस्पताल में 10 बच्चे जलकर खाक हो गए।
बच्चे इस अस्पताल के एनएसयूआई में इलाज के लिए भर्ती किए गए थे। अचानक आग लगी और मशीनों के साथ बच्चों की भी मौत हो गई। इस दर्दनाक हादसे से पूरे देश में शोक की लहर दौड गई।
हैरत की बात है कि जिस सरकारी अस्पताल में यह दर्दनाक हादसा हुआ उसे कुछ दिनों पहले वर्ल्ड क्लास की सुविधाओं से लेस बताया गया था। एक्स पर रणविजय सिंह नाम के एक यूजर ने लिखा है— सरकारी मेडिकल कॉलेज के जिस वॉर्ड में आग लगी, 10 महीने पहले उस वॉर्ड की 'वर्ल्ड क्लास' सुविधाओं का बखान हो रहा था।
उन्होंने लिखा कि दस महीने पहले ही इस अस्पताल के लिए खूब प्रचार प्रसार किया गया था। खूब खबरें प्रसारित की गई थी इस अस्पताल की सुविधाओं को लेकर। और अब ये हादसा हो गया। सवाल उठता है कि आखिर कैसे यह सब हुआ और किसे इसके लिए जिम्मेदार ठहराएं।
अस्पताल के नियम ताक में : वार्ड में प्रवेश और निकास के दो अलग रास्ते भी नहीं थे। स्थिति इतनी भयावह हो गई कि मौके पर मौजूद लोगों को खिड़की तोड़ कर बच्चों को बाहर निकालना पड़ा। अग्नि सुरक्षा विभाग जब भी किसी संस्था को फायर एनओसी देती है, तो यह सुनिश्चित करवाती है कि प्रवेश और निकास के दो दरवाजे होने ही चाहिए, लेकिन इस वार्ड में ऐसा कोई इंतजाम भी नहीं दिखाई दिया। इस स्थिति को देखते हुए यह सवाल उठता है कि वार्ड की फायर ऑडिट कैसे हुई थी।
क्या कहा अखिलेश यादव ने : झांसी के मेडिकल कॉलेज के अस्पताल में हुए इस वीभत्स हादसे पर सवाल उठ रहे हैं। यूपी के पूर्व सीएम और सपा नेता अखिलेश यादव ने एक्स पर कहा है कि आग का कारण ऑक्सीजन कॉन्संट्रेटर बताया जा रहा है।
ये सीधे-सीधे चिकत्सीय प्रबंधन व प्रशासन की लापरवाही का मामला है या फिर ख़राब क्वॉलिटी के आक्सीजन कॉन्संट्रेटर का। इस मामले में सभी ज़िम्मेदार लोगों पर दंडात्मक कार्रवाई हो। मुख्यमंत्री जी चुनावी प्रचार छोड़कर, सब ठीक होने के झूठे दावे छोड़कर स्वास्थ्य और चिकित्सा की बदहाली पर ध्यान देना चाहिए।
कांग्रेस ने एक्स पर लिखा : BJP सरकार की संवेदनहीनता देखिए। एक ओर बच्चे जलकर मर गए, उनके परिवार रो रहे थे, बिलख रहे थे। दूसरी तरफ, डिप्टी CM के स्वागत के लिए सड़क पर चूने का छिड़काव हो रहा था। परिजनों का यहां तक कहना है कि पूरे कम्पाउंड में गंदगी फ़ैली हुई थी, जो डिप्टी CM के आने से पहले ही साफ की गई। ये सरकार की संवेदनहीनता की पराकाष्ठा है। बच्चे जलकर मर रहे हैं और ये सरकार चेहरा चमकाने में लगी है।
कैसे राख में तब्दील हो गए बच्चे : यूपी के जिस मेडिकल कॉलेज के बच्चा वॉर्ड में आग लगी थी उसमें कई बच्चों को इलाज चल रहा था। आग इतनी भयानक थी कि कोई भी सामने के दरवाजे से अंदर नहीं घुस पा रहा था। बच्चों को बचाने के लिए बाद में खिड़की के रास्ते से अंदर जाया गया था। आग इतनी भयावह थी कि 10 नवजात बच्चे जलकर खाक हो गए। इतना ही नहीं, यहां रखी मेडिकल मशीनें राख में तब्दील हो गई। कई बच्चों के तो निशान भी नहीं मिले।
Edited By: Navin Rangiyal