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जेएनयू में लावारिस बैग से पिस्तौल, कारतूस बरामद

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हमें फॉलो करें जेएनयू में लावारिस बैग से पिस्तौल, कारतूस बरामद
, मंगलवार, 8 नवंबर 2016 (00:18 IST)
नई दिल्ली। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय परिसर में लावारिस पड़े एक बैग से पिस्तौल और कारतूस की बरामदगी पर विश्वविद्यालय प्रशासन ने इसके लिए जेएनयू छात्र नजीब अहमद मामले में हो रहे प्रदर्शनों में शामिल ‘बाहरी लोगों' पर आरोप लगाया है। छात्र नजीब अहमद के लापता होने के मुद्दे पर विश्वविद्यालय के छात्रों का एक वर्ग आंदोलन कर रहा है।
पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जेएनयू के उत्तरी द्वार पर देर रात करीब दो बजे एक सुरक्षाकर्मी ने काले रंग का एक बैग देखा। इसमें 7.65 एमएम की एक पिस्तौल, सात कारतूस और एक पेंचकस थे। विश्वविद्यालय के सुरक्षाकर्मी ने जेएनयू प्रशासन को इसके बारे में सूचित किया जिसने पुलिस को बुलाया।
 
पुलिस अधिकारी ने बताया कि अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ शस्त्र कानून के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है और सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा रहे हैं। विश्वविद्यालय प्रशासन ने एक बयान में कहा, ‘जेएनयू प्रशासन की ओर से बार-बार अपील किए जाने के बावजूद जेएनयू के कुछ वर्ग प्रदर्शन, जनसभा, धरना, भूख हड़ताल इत्यादि कर रहे हैं और ऐसे विरोध प्रदर्शनों में बाहरी लोगों को भी आमंत्रित किया जा रहा है।’
 
वीडियो रिकॉर्डिंग के लिए कुलपति को कानूनी कार्रवाई की धमकी दी : लापता छात्र नजीब अहमद के मुद्दे पर विश्वविद्यालय के कुलपति एम जगदेश कुमार की शिक्षकों के साथ हुई बैठक की वीडियो रिकॉर्डिंग किए जाने पर जेएनयू शिक्षक संघ ने निजता के उनके अधिकार के हनन के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की धमकी दी है।
 
उन्होंने कहा, ‘नजीब की गुमशुदगी पर बातचीत और इस संबंध में कार्रवाई को लेकर जेएनयूटीयू के सदस्यों और विश्वविद्यालय के अन्य अधिकारियों ने आपसे मुलाकात की। जेएनयू सुरक्षा कार्यालय के कर्मियों ने सम्पूर्ण बैठक की कार्रवाई रिकॉर्ड की।’ 
 
संघ की ओर से कुलपति को लिखे एक पत्र में कहा गया, ‘जेएनयूटीयू उनकी उपस्थिति और बिना किसी पूर्व सूचना के रिकॉर्डिंग प्रक्रियाओं के कार्य से चकित है। सबसे पहले तो यह कि कोई भी व्यक्ति मुक्त होकर अपनी बात कह सके यह सुनिश्चित करने के लिए किसी बैठक की वीडियो रिकॉर्डिंग नहीं की जाती है क्योंकि इससे मुक्त चर्चा और मुद्दों के समाधान को बढ़ावा दिया जाता है।’ 
 
इस तरह के कृत्य को निजता का अधिकार अधिनियम एवं सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत उल्लंघन बताते हुए शिक्षकों ने कहा कि इस तरह की निजी बैठकों की वीडियो रिकॉर्डिंग के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन को सभी प्रतिभागियों से पहले लिखित में सहमति लेना कानूनी तौर पर जरूरी है। (भाषा) 

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