Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

जेएनयू के उमर ख़ालिद से काटजू के तीन सवाल

हमें फॉलो करें जेएनयू के उमर ख़ालिद से काटजू के तीन सवाल
, शनिवार, 16 जुलाई 2016 (17:04 IST)
भारतीय सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज और प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया (पीसीआई) के चेयरमैन रहे जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने टि्वटर के माध्यम से जेएनयू के विवादित छात्र और देशद्रोह के मामले में जेल जा चुके उमर खालिद से कुछ सवाल पूछे हैं।
जेएनयू के उमर ख़ालिद ने बुरहान वानी की तुलना चे ग्वेरा से की है। मैं उमर से तीन सवाल पूछना चाहूंगा।
1. चे ग्वेरा की एक विचारधारा थी, चाहे हम उससे सहमत हों या ना हों। लेकिन बुरहान वानी की क्या विचारधारा थी? क्या वह इस्लामिक कट्टरपंथी विचारधारा से जुड़ा था और क्या उमर ख़ालिद उसकी इस विचारधारा से सहमति रखते हैं?
 
2. बुरहान वानी कश्मीर की आज़ादी चाहता था और शायद उमर ख़ालिद भी ऐसा ही चाहते हैं। लेकिन हर सरकार और शासन प्रणाली की कसौटी केवल एक ही चीज़ होती है: क्या वह अपने नागरिकों के जीवनस्तर में बढ़ोतरी करती है या नहीं। यदि कश्मीर की आज़ादी से वहां के लोगों का जीवनस्तर उठ जाता है तो मैं उनसे सहमत हूं और उनकी मांग का समर्थन भी करता हूं। लेकिन बुरहान और अन्य कश्मीरी अलगाववादियों सहित उमर ख़ालिद को भी मैंने कभी इस तरह की बातें करते नहीं सुना। वे कभी इस बारे में बात नहीं करते कि आज़ादी कश्मीरियों के जीवनस्तर में क्या सुधार लाएगी और कैसे? वे केवल आज़ादी का राग अलापते रहते हैं और यह भूल जाते हैं कि आज़ादी केवल एक साधन है, वह साध्य नहीं है। साध्य है, ग़रीबी, बेरोज़गारी, कुपोषण, भ्रष्टाचार, महंगाई आदि का ख़ात्मा।
 
3. जब तक उपरोक्त बुराइयों का अंत नहीं हो जाता, कोई भी आज़ादी वास्तविक नहीं कही जा सकती। यदि कश्मीर भारत से आज़ाद हो जाता है तो वह किसी और ताक़त के हत्थे चढ़ जाएगा, क्योंकि कोई भी ग़रीब मुल्क आर्थि‍क रूप से स्वतंत्र नहीं हो सकता, उसे हमेशा दूसरे देशों से मिलने वाली मदद पर निर्भर रहना पड़ता है और इस तरह वह उन पर आश्रित होकर रह जाता है।
 
मैं इन सवालों पर उमर के जवाब जानना चाहूंगा। यदि वे मेरी यह पोस्ट नहीं पढ़ पाते हैं तो क्या कोई अन्य व्यक्ति उन्हें इसे भेज सकता है?
 
इस पर उमर ख़ालिद ने यह जवाब दिया:- 
 
प्रिय जस्टि़स काटजू,
मैं आपके सवालों के लिए शुक्रगुज़ार हूं। कश्मीर में संकट गहराता जा रहा है और मौतों की संख्या 40 के आसपास पहुंच चुकी है। ऐसे में बेहतर तो यही होता कि हम सब मिलकर सरकार से सवाल पूछते, एक-दूसरे से नहीं। लेकिन चूंकि आपने मुझसे कुछ सवाल पूछे ही हैं, इसलिए मेरे ख़याल से मुझे इनका जवाब देना चाहिए। मुझे एक-दो दिनों का समय दीजिए, मैं विस्तार से आपके सवालों का जवाब दूंगा।
 
सादर,
उमर।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

तख्ता पलट : 2839 सैनिक गिरफ्तार