सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस एस अब्दुल नजीर को आंध्रप्रदेश का राज्यपाल नियुक्त किया गया है। न्यायमूर्ति नजीर राजनीतिक रूप से संवदेनशील अयोध्या भूमि विवाद, तीन तलाक और निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार घोषित करने वाले कई बड़े फैसलों को हिस्सा रहे।
अब्दुल नजीर पिछले महीने 4 जनवरी को ही पद से रिटायर हुए हैं। इसके बाद से ही राज्यपाल बनाए जाने की अटकलें जोरों पर थी। नजीर ने अपने विदाई भाषण में कहा था कि अगर वे पीठ के अन्य सदस्यों से अलग फैसला सुनाते तो शायद अपने समुदाय में हीरो बन जाते। मैने ऐसा नहीं किया क्योकि मेरे लिए देश सर्वोपरि था।
जस्टिस नजीर 5 जजों की बेंच से तीसरे न्यायाधीश हैं जिन्होंने सरकार से रिटायरमेंट के बाद नियुक्ति प्रदान की है। पूर्व चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई को राज्यसभा पहुंचाया गया है जबकि जस्टिस अशोक भूषण को अप्रैल 2021 में कानून अपीलीय न्यायाधिकरण का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था।
न्यायमूर्ति नजीर को आंध्र प्रदेश का नया राज्यपाल नियुक्त किया गया है और आंध्र प्रदेश के निवर्तमान राज्यपाल बिस्वा भूषण हरिचंदन को छत्तीसगढ़ स्थानांतरित किया गया है।
सत्रह फरवरी, 2017 को शीर्ष अदालत के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किए गए न्यायमूर्ति नजीर कई संविधान पीठों का हिस्सा रहे, जिन्होंने 2016 में 1,000 रुपए और 500 रुपए के नोट चलन से बाहर किए जाने से लेकर सरकारी नौकरियों एवं दाखिलों में मराठों के लिए आरक्षण और उच्च सरकारी अधिकारियों की भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार तक कई मामलों पर फैसले सुनाए।
वह पांच-न्यायाधीशों की उस संविधान पीठ का हिस्सा थे, जिसने नवंबर 2019 में अयोध्या में विवादित स्थल पर राम मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ किया था और केंद्र को एक मस्जिद के लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ का भूखंड आवंटित करने का निर्देश दिया था।
Edited by : Nrapendra Gupta