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अब आसान होगी कैलाश मानसरोवर यात्रा

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नई दिल्ली। कैलाश मानसरोवर के यात्रियों के लिए चीन से नाथू ला का सड़क मार्ग खुलवाने के बाद मोदी सरकार ने चीन में स्थित इस पवित्रतम तीर्थ को जाने वाले उत्तराखंड के पारंपरिक दुर्गम रास्ते पर पर शानदार चार लेन की सड़क बिछाने का काम शुरू कर दिया है, जो दो साल में बन कर तैयार हो जाएगी।
 
सरकार के उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि उत्तराखंड के पारंपरिक लिपुलेख सीमा तक की शानदार सड़क बन जाने के बाद तीर्थयात्री सड़क मार्ग से कैलाश मानसरोवर के दर्शन करके भारत से एक दिन में ही भारत लौट सकेंगे। हालांकि कैलाश पर्वत की परिक्रमा के लिए लोगों को वहां रुकने की आवश्यकता पड़ेगी।
 
सूत्रों ने बताया कि यह सड़क सेना के सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) द्वारा ऋषिकेश - अल्मोड़ा - धारचूला - लिपुलेख सीमा तक बनायी जा रही है। इसके लिए पहाड़ काटने के लिए ऑस्ट्रेलिया से विशेष अत्याधुनिक मशीनें मंगवाई गई है जिन्होंने करीब तीन माह के अंदर 35 किलोमीटर से अधिक पहाड़ काट लिया है और दिन-रात तेजी से काम चल रहा है।
 
लिपुलेख दर्रे के पार चीन में सीमा से मानसरोवर की दूरी महज 72 किलोमीटर है और सीमा से वहां चीन ने शानदार सड़क पहले ही बना रखी है। सूत्रों के अनुसार मोदी सरकार की योजना धारचुला में पर्यटक आधार शिविर को विकसित करने की है जहां से तीर्थयात्री एक दिन में ही मानसरोवर का दर्शन करके भारत लौट सकें।
 
एक सवाल के जवाब में सूत्रों ने कहा कि चीन को लिपुलेख सीमा तक सड़क बनाने की योजना की जानकारी दी जा चुकी है और उसकी ओर से कोई आपत्ति नहीं जताई गई है।
 
इस सड़क के बन जाने से कैलाश मानसरोवर जाने वाले यात्रियों की संख्या में खासा इजाफा होने की उम्मीद है। लिपुलेख दर्रे के दुर्गम मार्ग से पैदल यात्रा पर जाने वाले यात्रियों को करीब एक से डेढ़ लाख रुपए प्रति यात्री व्यय करने पड़ते हैं और सुविधाओं के अभाव के कारण दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। दूसरा इस यात्रा में 15-16 दिन का समय लगता है।
 
सूत्रों के अनुसार नई सड़क के बन जाने के बाद यात्रा अवधि और लागत में भारी कमी आना तय है। उन्होंने यह भी बताया कि इस सड़क के बन जाने से एक और फायदा यह होगा कि कुमाऊ के पिछड़े इलाके में विकास को बढ़ावा मिलेगा और इसे चीन के साथ एक और व्यापारिक मार्ग के रूप में भी प्रयोग लाया जा सकेगा। 
 
उल्लेखनीय है कि मोदी सरकार के एजेंडे में कैलास मानसरोवर की यात्रियों की सुविधा का मुद्दा हमेशा से अहम रहा है। पिछले साल चीन की राष्ट्रपति शी जिनपिंग की भारत यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उनसे सिक्किम में नाथू ला का मार्ग खोलने का आग्रह किया था जिसे उन्होंने तुरंत मान लिया था और इस साल करीब ढाई सौ लोगों ने उस मार्ग से यात्रा की थी।
 
सूत्रों ने बताया कि केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने छह माह पहले सड़क निर्माण विशेषज्ञों की एक बैठक बुलाकर लिपुलेख सीमा तक सड़क बनाने के बारे में चर्चा की थी। इसके बाद विशेषज्ञों ने उन्हें पूरी योजना तैयार करके दी थी। सड़क बनाने में सबसे बड़ी समस्या पहाड़ काटने को लेकर थी। पहाड़ कटने के बाद सड़क बिछाने में अधिक समय नहीं लगता है। गडकरी ने ऑस्ट्रेलिया से दो अत्याधुनिक मशीनें मंगाई और करीब तीन माह पहले काम भी शुरू करा दिया।
 
सूत्रों ने बताया कि इतना ही नहीं उत्तराखंड में स्थित चार धाम- यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ एवं बद्रीनाथ को एक साथ जोड़ने वाली एक नई चौड़ी सड़क बनाने की योजना भी तैयार है और शीघ्र ही इस 10 हज़ार करोड़ रुपए की योजना पर भी काम शुरू हो जाएगा। (भाषा)

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