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आम लोगों का दर्द समझने वाला 'मिसाइल मैन'...

हमें फॉलो करें आम लोगों का दर्द समझने वाला 'मिसाइल मैन'...

संदीपसिंह सिसोदिया

, मंगलवार, 28 जुलाई 2015 (13:19 IST)
भारत के सबसे लोकप्रिय राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को अधिकतर मिसाइल मैन के रूप में याद किया जाता है लेकिन मिसाइल और रॉकेट प्रक्षेपण के इतर भी कलाम ने ऐसे कई 'कमाल' किए हैं जो उनके उजले मानवीय पक्ष को दर्शाते हैं। एक बार राष्ट्रपति कलाम ने एक बालिका से पूछा- ‘तुम्हारा क्या सपना है?’ बालिका ने उत्तर दिया ‘विकसित भारत में रहने का’। इस जवाब से अभिभूत होकर उन्होंने अपनी पुस्तक 'इंडिया 2020 : ए विजन फॉर द न्यू मिलेनियम' उसी बालिका को समर्पित कर भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया।

आत्मनिर्भरता के कट्टर समर्थक थे डॉ. कलाम: भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के हिमायती डॉ. कलाम हमेशा कहते थे कि आयातित उत्पादों के बजाय हमें सस्ते स्वदेशी विकल्पों का विकास करना होगा। आयातित चिकित्सा उत्पादों पर निर्भरता से चिंतित डॉ. कलाम कहते थे कि भारत में प्रौद्योगिकीविदों और इंजीनियरों, चिकित्सा पेशेवरों और उद्योग के बीच संवाद की कमी की वजह से हम पिछड़ रहे हैं। उनका मानना था कि भारत के पास विश्वस्तरीय उत्पादों का निर्माण करने के लिए सभी संसाधन उपलब्ध हैं। 
 
इस विचार को आगे बढ़ाने के लिए डॉ. कलाम ने सोसाइटी ऑफ बायोमेडिकल टेक्नोलॉजी (SBMT) की स्थापना में बहुमूल्य योगदान दिया था। इस सोसाइटी के गठन का प्रमुख उद्देश्य चिकित्सकों, डीआरडीओ वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को एक साथ लाकर भारत के आम लोगों खासकर निर्धन तबके के लिए विविध प्रकार के मेडिकल उत्पादों का निर्माण था।   
 
स्वदेशी सदा सही : इस सोसाइटी ने शारीरिक रूप से अशक्त तथा विकलांग लोगों के लिए हल्के ओर्थोटिक उपकरणों का निर्माण किया। सबसे बड़ी बात थी कि यह उपकरण पिछले विदेशी उपकरणों के मुकाबले एक तिहाई सस्ते और वजन में 10 गुना हल्के थे। डॉ. कलाम ने इनके निर्माण के लिए विमान में प्रयुक्त होने वाले एल्यूमीनियम के इस्तेमाल की सलाह दी थी। 
 
वे जानते थे कि भारत में हृदय रोगी अमेरिका की तुलना में अधिक है इसलिए भारत में किफायती कार्डिएक केयर प्रदान करने के उद्देश्य से डॉ. कलाम ने हैदराबाद के विख्यात हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. सोमराजू के साथ मिलकर कॉर्डियोवेस्क्यूलर टेक्नोलॉजी इंस्टिट्‍यूट (सीटीआई) की स्थापना में सहयोग किया था। उनका उद्देश्य था धमनियों के ब्लॉकेज को दूर करने के लिए स्वदेशी स्टेंट विकसित करना। अथक प्रयासों के बाद सीटीआई ने "कलाम-राजू स्टेंट" नामक धातु स्टेंट विकसित किया था। सभी करों के साथ देश में ही विकसित इस स्टेंट की कीमत है 15,000 रुपए जबकि विदेशी स्टेंट 50-75 हजार रुपए में आता था। 
 
सोसाइटी ऑफ बायोमेडिकल और सीटीआई के स्थापना से एकीकृत सुविधाओं द्वारा कई स्वदेशी उत्पादों का निर्माण किया गया। यह पूर्णत: डॉ. अब्दुल कलाम की परिकल्पना पर आधारित उपक्रम थे जिन्हें स्थापित करने में उन्होंने बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 
 
भारत के 'मिसाइल मैन' और प्रथम श्रेणी के हथियारों के प्रवर्तक रहे डॉ. अब्दुल कलाम ने दिल से हमेशा ही शस्त्रहीन विश्व की कामना की थी, कलाम ने अपनी पुस्तक ‘विंग्स ऑफ फायर‘ में कुरान की एक आयत को उद्धृत किया है- 
 
“हम ही सृजन और विनाश करते हैं, पुनः सृजन करते हैं, 
पर किस रूप में करते हैं, यह खुद हमें नहीं पता होता है...” (अल वाक्याह कुरान 56:61)

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