नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय द्वारा राजनीति में नफरती भाषण पर की गई टिप्पणी के एक दिन बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल ने गुरुवार को कहा कि जिन लोगों की राजनीति नफरत पर ही टिकी हुई है, उनसे ऐसी अपेक्षा करना चांद मांगने जैसा होगा। उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि राजनीति में धर्म का इस्तेमाल बंद होने से नफरती भाषण खत्म हो जाएंगे।
उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को नफरती भाषणों को गंभीरता से लेते हुए कहा था कि जिस पल राजनीति व धर्म अलग हो जाएंगे और नेता राजनीति में धर्म का इस्तेमाल बंद कर देंगे, उस समय ऐसे भाषण समाप्त हो जाएंगे। सिब्बल ने ट्वीट किया कि उच्चतम न्यायालय ने कहा कि राजनीति में धर्म का इस्तेमाल बंद होने से नफरती भाषण खत्म हो जाएंगे। यह तो चांद मांगने जैसा है।
पूर्व विधि मंत्री एवं वरिष्ठ अधिवक्ता सिब्बल ने कहा कि याद है- 1. (लालकृष्ण) अडवाणीजी की रथयात्रा। 2. (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) आरएसएस के प्रमुख की 2018 की श्मशान-कब्रिस्तान वाली टिप्पणी। 3. वर्ष 2020 में गोली मारो... वाला बयान आदि। कुछ लोगों की राजनीति नफरत पर ही आधारित है।
न्यायमूर्ति केएम जोसेफ और न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना की पीठ ने पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और अटल बिहारी वाजपेयी के भाषणों को उद्धृत करते हुए कहा था कि उनके भाषणों को सुनने के लिए दूरदराज के इलाकों से लोग एकत्र होते थे।
न्यायमूर्ति जोसेफ ने कहा था कि एक बड़ी समस्या तब खड़ी होती है, जब नेता राजनीति को धर्म से मिला देते हैं। जिस पल राजनीति और धर्म अलग हो जाएंगे तथा नेता राजनीति में धर्म का इस्तेमाल बंद कर देंगे, यह सब बंद हो जाएगा। हमने अपने हालिया फैसले में भी कहा है कि राजनीति को धर्म से मिलाना लोकतंत्र के लिए खतरनाक है।(भाषा)
Edited by: Ravindra Gupta