नई दिल्ली। तमिलनाडु के लिए कावेरी नदी से 15,000 क्यूसेक पानी छोड़े जाने के बजाय 1,000 क्यूसेक पानी छोड़े जाने का आदेश दिए जाने की मांग करने वाली अपनी अपील पर तत्काल सुनवाई का आग्रह करते हुए कर्नाटक ने उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है।
शनिवार देर शाम दायर किए गए आवेदन में उच्चतम न्यायालय के 5 सितंबर को दिए गए आदेश में बदलाव की मांग भी की गई है। 5 सितंबर को उच्चतम न्यायालय ने तमिलनाडु के किसानों को तत्काल राहत देने के तौर पर 15,000 क्यूसेक पानी छोड़े जाने का आदेश दिया था।
कर्नाटक ने उच्चतम न्यायालय जाने का निर्णय ऐसे समय पर लिया, जब कावेरी निगरानी समिति की कल सोमवार को बैठक होने वाली है जिसमें तमिलनाडु तथा अन्य राज्यों के लिए कावेरी नदी से छोड़े जाने वाले पानी की मात्रा पर फैसला किया जाएगा।
आवेदन में मांग की गई है कि 10 दिन के बजाय उच्चतम न्यायालय को केवल 6 दिन तक पानी देने के लिए कहना चाहिए, क्योंकि व्यापक आंदोलन तथा हर दिन हो रहे 500 करोड़ रुपए के नुकसान के मद्देनजर कर्नाटक खुद चिंताजनक स्थिति से गुजर रहा है।
संपर्क करने पर अधिवक्ता वीएन रघुपति ने बताया कि हम प्रयास कर रहे हैं कि मामले को शीघ्र सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाए। मामले को शीघ्र सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करना महत्वपूर्ण है, क्योंकि छुट्टियों के कारण अदालतें अगले 2 दिन बंद रहेंगी।
आवेदन में कर्नाटक ने कहा है कि जनता का गहरा दबाव है और राज्य पुलिस को सार्वजनिक संपत्ति को क्षतिग्रस्त होने से रोकने में बहुत मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है। (भाषा)