उडुपी में मंगलवार सुबह छात्राओं ने हिजाब पहनकर कॉलेज में प्रदर्शन शुरू कर दिया। इसके जवाब में भगवा दुपट्टे पहने छात्र उनके सामने आ गए। दोनों तरफ से जबर्दस्त नारेबाजी हुई। इसके बाद कॉलेज के प्रोफेसर्स ने मामला संभाला।
बता दें कि करीब 3 साल पहले भी हिजाब को लेकर स्कूल में विवाद हुआ था। तब फैसला लिया गया था कि कोई हिजाब पहनकर नहीं आएगा, लेकिन पिछले कुछ दिनों से स्टूडेंट्स हिजाब पहनकर स्कूल आने लगीं। इसका विरोध करते हुए कुछ स्टूडेंट्स ने भगवा पहनने का फैसला किया था
अब कर्नाटक हाईकोर्ट में हिजाब मामले में मुस्लिम छात्राओं की 4 याचिकाओं पर सुनवाई हो रही है। कर्नाटक हाईकोर्ट की बेंच ने सुनवाई की शुरुआत में पहले ही पॉइंट पर की पुष्टि के लिए पवित्र कुरान की एक प्रति मांगी।
जस्टिस दीक्षित ने पूछा कि यह कुरान की प्रामाणिक प्रति है, इस पर तो कोई विवाद नहीं। कुरान की कॉपी बैंगलोर के शांतिप्रकाश पब्लिशर्स ने प्रकाशित की है। एडवोकेट जनरल ने कहा कि कुरान के कई अनुवाद है। पवित्र कुरान की आयत 24.31 और आयत 24.33 सिर पर दुपट्टा या सिर पर घूंघट को आवश्यक धार्मिक कार्य बताती है।
घुल रहा सांप्रदायिक रंग
इसके पहले कर्नाटक में PES कॉलेज में उस वक्त सांप्रदायिक रंग घुलता नजर आया जब एक मुस्लिम लड़की कॉलेज पहुंची तो कई भगवा गमछा पहने कुछ स्टूडेंट्स उसे घेरकर जय श्रीराम के नारे लगाने लगे। इसका विरोध करते हुए उस लड़की ने भी अल्लाह हु अकबर के नारे लगाए।
कब शुरू हुआ था विवाद
कर्नाटक में हिजाब को लेकर विवाद 1 जनवरी को शुरू हुआ था। यहां उडुपी में 6 मुस्लिम छात्राओं को हिजाब पहनने के कारण कॉलेज में क्लासरूम में बैठने से रोक दिया गया था। कॉलेज मैनेजमेंट ने नई यूनिफॉर्म पॉलिसी को इसकी वजह बताया था। इसके बाद इन लड़कियों ने कर्नाटक हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी। लड़कियों का तर्क है कि हिजाब पहनने की इजाजत न देना संविधान के अनुच्छेद 14 और 25 के तहत उनके मौलिक अधिकार का हनन है।
कब मिली विवाद को हवा
इसके पहले कर्नाटक के कुंडापुरा कॉलेज की 28 मुस्लिम छात्राओं को हिजाब पहनकर क्लास अटेंड करने से रोका गया था। मामले को लेकर छात्राओं ने हाईकोर्ट में याचिका लगाते हुए कहा था कि इस्लाम में हिजाब अनिवार्य है, इसलिए उन्हें इसकी अनुमति दी जाए। इन छात्राओं ने कॉलेज गेट के सामने बैठकर धरना देना भी शुरू कर दिया था।