नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने कावेरी प्रबंधन बोर्ड (सीएमबी) गठित करने के अपने आदेश पर फिलहाल रोक लगाते हुए कर्नाटक सरकार को मंगलवार को निर्देश दिया कि वह अंतरिम व्यवस्था के तहत सात से 18 अक्टूबर तक तमिलनाडु के लिए प्रतिदिन 2000 क्यूसेक पानी दे।
न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित की पीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 18 अक्टूबर की तारीख मुकर्रर करते हुए सात से 18 अक्टूबर तक तमिलनाडु के लिए दो-दो हजार क्यूसेक पानी उपलब्ध कराने का कर्नाटक सरकार को निर्देश दिया।
न्यायालय ने कहा कि इस दौरान केंद्रीय जल आयोग के अध्यक्ष जीएस झा के नेतृ़त्व में एक टीम मौके पर जाकर वास्तविकता का पता लगाएगी और सुनवाई की अगली तारीख को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। इस टीम में कर्नाटक और तमिलनाडु के प्रतिनिधियों के अलावा पुड्ड्चेरी और केरल के भी प्रतिनिधि होंगे।
इस बीच तमिलनाडु सरकार ने इस बात को लेकर आशंका जताई कि इस तरह की उठापटक का कोई नतीजा निकल भी पाएगा या नहीं। तमिलनाडु सरकार के वकील ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि वह कर्नाटक सरकार के हाथों खेल रही है।
इस पर कर्नाटक सरकार की ओर से पेश हो रहे वरिष्ठ अधिवक्ता फली. एस. नरीमन ने कहा कि न्यायालय कभी 10 हजार, कभी 15 हजार तो कभी छह हजार क्यूसेक पानी देने का निर्देश दे रहा है, लेकिन वह ऐसा किस आधार पर कह रहा है? इस पर न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा कि वह ऐसा अंक गणित के आधार पर कर रहे हैं।
तब नरीमन ने कहा कि केवल अंक गणित ही काफी नहीं होता है, अदालत को मौके पर किसी को भेजकर वस्तुस्थिति का पता लगाना चाहिए। फिर न्यायालय ने झा के नेतृत्व में टीम का गठन किया जो मौके का मुआयना करेगी।
इस बीच एटर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने सीएमबी के गठन को फिलहाल टालने का न्यायालय से आग्रह किया। इस पर भी न्यायालय ने सहमति जता दी और मामले की सुनवाई के लिए 18 अक्टूबर की तारीख मुकर्रर की। उसी दिन न्यायालय यह भी तय करेगा कि बोर्ड के गठन के आदेश के खिलाफ केंद्र की अपील सुनने योग्य है या नहीं? (वार्ता)