नई दिल्ली। आईएनएक्स मीडिया में विदेशी निवेश को मंजूरी दिलाने में पूर्व केंद्रीय वित्तमंत्री पी चिदम्बरम के पुत्र कार्ति चिदम्बरम की भूमिका की जांच कर रहे केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय को बताया कि जूनियर चिदम्बरम को विदेश जाने से रोकने के लिए ही लुकआउट सर्कुलर जारी किया गया था, क्योंकि वह विदेशी बैंक खाते बंद कर रहे थे।
सीबीआई की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन-सदस्यीय पीठ के समक्ष अपने दावे के समर्थन में सीलबंद लिफाफे में साक्ष्य पेश किए। सुनवाई के दौरान श्री मेहता ने दावा किया कि कार्ति के कई विदेशी खाते हैं, उनमें हुए लेनदेन का पूरा ब्यौरा सीलबंद लिफाफे में है।
जांच एजेंसी ने दावा किया कि जांच के दौरान कई बातें सामने आई हैं और अभी कई खुलासे होने बाकी हैं। उन्होंने कहा, वह (कार्ति) विदेश में क्या करते थे, सब कुछ इस लिफाफे में बंद है। हालांकि कार्ति की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने सीलबंद लिफाफा जमा कराने के सीबीआई के कदम का लगातार विरोध किया।
इसके बाद मेहता ने कहा, मेरे लिए अब जरूरी है कि मैं यह बताऊं कि लिफाफे में क्या है। कार्ति ने पूछताछ के दौरान कहा था कि देश से बाहर उनका केवल एक बैंक खाता है, लेकिन जब भी कार्ति विदेश गए, उन्होंने कई खाते बंद किए। मैं यह सब नहीं कहना चाहता था क्योंकि इससे उनकी बेइज्जती होगी, लेकिन मुझे इसके लिए मजबूर किया गया।
कार्ति पर पीटर मुखर्जी और उनकी पत्नी इंद्राणी मुखर्जी के मुंबई के मीडिया समूह आईएनएक्स को नियमों को ताक पर रखकर विदेशी फंड मुहैया कराने का आरोप है। दरअसल, विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) की मंजूरी दिलाने के लिए कार्ति पर 3.5 करोड़ रुपए घूस लेने का आरोप है।
सीबीआई की दलीलें सुनने के बाद न्यायालय ने अगले आदेश तक के लिए कार्ति के खिलाफ जारी लुकआउट सर्कुलर पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। मामले की अगली सुनवाई चार अक्टूबर को होगी। (वार्ता)