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बड़ा दावा, कश्मीर में 51 दिन में 13 हजार बच्चे गायब

हमें फॉलो करें बड़ा दावा, कश्मीर में 51 दिन में 13 हजार बच्चे गायब
, मंगलवार, 24 सितम्बर 2019 (15:46 IST)
नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर की स्थिति का अध्ययन कर लौटीं प्रसिद्ध महिला सामाजिक कार्यकर्ताओं ने दावा किया है कि संविधान का  अनुच्छेद 370 हटाने के बाद वहां 51 दिन बीतने पर भी हालात बहुत बुरे हैं और लोग सेना के खौफ के साए में जी रहे हैं तथा 13000 बच्चे गायब हो गए हैं और कई वकील विभिन्न जेलों में बंद कर दिए गए हैं।
 
योजना आयोग की पूर्व सदस्य एवं प्रसिद्ध शिक्षाविद सईदा हमीद के नेतृत्व में गए पांच महिला कार्यकर्ताओं की टीम ने कश्मीर के तीन जिलों में 17 गांवों का दौरा करने के बाद अपनी जांच रिपोर्ट जारी करते हुए यह दावा किया। 
 
इस टीम में नेशनल फेडरेशन ऑफ़ इंडियन वीमेन की महासचिव अन्नी राजा, प्रगतिशील महिला संगठन की महासचिव पूनम कौशिक, पंजाब विश्वविद्यालय से सेवानिवृत्त प्रोफेसर कंवलजीत जीत कौर तथा जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय की शोध छात्र पंखुड़ी जहीर ने पत्रकारों से बातचीत में जम्मू-कश्मीर की  स्थिति का आंखों देखा हाल बयान किया और कहा कि गत 51 दिन बीत जाने के बाद स्थिति सामान्य होने के कोई आसार नहीं हैं और सरकार के सब दावे झूठे हैं क्योंकि मीडिया पर सेंसरशिप जैसी स्थिति है, इसलिए सच सामने नहीं आ रहा है।
 
शोपियां, पुलवामा और बांदीपुरा जिले का दौरा कर लौटीं इन महिलाओं ने बताया कि लोग सेना के खौफ में जी रहे हैं क्योंकि सेना के लोग उन पर अत्याचार कर रहे हैं और उनका दमन कर रहे हैं। रात 8 बजते ही सबको अपने घरों की रोशनी बुझा देनी पड़ती है और दुकान, कॉलेज से लेकर पूरा शहर बंद पड़ा है। लोगों के आर्थिक हालात बहुत खराब हो गए हैं। 
 
मुस्लिम विमेंस फोरम के सईदा हमीद ने कहा कि वे लोग वहां से दुखी दिल से लौटे हैं और दिल खून के आंसू रोता है, पूरा शहर खामोश है, दुकानें खुलती नहीं फसलें बर्बाद हो गई हैं, सेब भी खत्म हो गए हैं और 10-12 वर्ष से लेकर 22-24 साल के 13 हज़ार लड़के गायब हो गए हैं और उनके घर वालों को पता नहीं कि सेना के जवान उनके बच्चों को कहां ले गए हैं।
 
कश्मीर में पैदा हुईं श्रीमती हमीद ने कहा कि जम्मू-कश्मीर से जुड़े संविधान के अनुच्छेद 370 को हटाते हुए यह कहा गया कि कश्मीर का विकास नहीं हुआ है, जबकि सच यह है कि 1934 के दौर से वहां तालीम का विकास हुआ और विकास के कई मानकों में कश्मीर आगे है।
 
पेशे से वकील पूनम कौशिक ने कहा कि जम्मू-कश्मीर बार एसोसिएशन के दफ्तर पर ताला लगा हुआ है और वकीलों को पीपुल्स सिक्योरिटी कानून में गिरफ्तार कर आगरा, जालंधर, फरीदाबाद की जेलों में कैद कर रखा गया है और उनके घर वालों को बताया नहीं जा रहा कि वे किस जेल में हैं।
 
भाकपा के महिला संगठन से जुड़ी श्रीमती अन्नी राजा ने कहा कि उनकी टीम ने किसानों, वकीलों, डॉक्टरों, नर्सों, स्कूल-कॉलेज के छात्रों तथा प्रोफेसरों और गृहणियों से भी मुलाकात की। सबका कहना है कि उनसे केंद्र सरकार ने छल किया है और सेना उन पर अत्याचार तथा दमन कर रही है। लोगों के मन में सेना को लेकर काफी गुस्सा है।
 
इन महिला कार्यकर्ताओं ने गिरफ्तार लोगों को तत्काल रिहा करने की झूठी प्राथमिकी रद्द करने स्थिति सामान्य करने संचार व्यवस्था बहाल करने और सेना के दमन की जांच कराने तथा अनुच्छेद 370 को बहाल करने की मांग की। (वार्ता)

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