टारगेट किलिंग का खौफ: 1990 के दशक में उग्रवाद के चरम काल में भी घाटी चुनने वाले कश्मीरी पंडित अब पलायन को मजबूर
लगातार टारगेट किलिंग से दहशत में आए कश्मीरी पंडितों ने अब सरकार से की विस्थापन की मांग
कश्मीर घाटी में हालात खराब होते जा रहे है। आतंकियों के निशाने पर एक बार फिर गैर-कश्मीरी है। घाटी में कश्मीरी पंडित लगातार आतंकियों के निशाने पर हैं। इसके साथ सिख और हिंदू समुदाय के लोगों को टारगेट किया जा रहा है। बीते पांच हफ्ते में 14 हत्याओं से आज घाटी में कश्मीरी पंडित दहशत में है और वह पलायन करने को मजबूर हो रहे है। ऐसे कश्मीरी पंडित परिवार भी अब घाटी छोड़ना चाह रहे है जो 1990 के आतंक दौर के बाद यहां से नहीं गए थे।
कश्मीर घाटी के मौजूदा हालात को लेकर कश्मीरी पंडित क्या सोच रहे है और इसको लेकर वेबदुनिया ने कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति के नेता संजय टिक्कू से खास बातचीत की।
90 के दशक से भी ज्यादा खराब हालात- वेबदुनिया से बातचीत में कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति के नेता संजय टिक्कू कहते हैं कि एक दो महीने से कश्मीर घाटी में जो हालात हुए है उसके बाद अब वह लोग कश्मीर घाटी में नहीं रहना चाहते है। आज हालात ऐसे हो गए है कि आने वाले समय में हमको नहीं पता है कि अगर टारगेट कौन होगा?
संजय टिक्कू कहते हैं कि हमने 90 का दौर भी देखा है कि उस समय भी आज जैसे हालात नहीं थे। मौजूदा स्थितियां उस समय से बहुत ही अलग है। आज पता नहीं है कि मारने वाला है कौन है? आज जिस तरीके से टारगेट किलिंग हो रही है और उसमें कश्मीरी पंडित बहुत डरे हुए है। आज घाटी के हालात 90 के दशक से भी ज्यादा खराब हो चुके है।
टारगेट किलिंग से दहशत में कश्मीरी पंडित- वेबदुनियासे बातचीत में संजय टिक्कू कहते हैं कि बीते 32 सालों में मुझे पांच बार व्यक्तिगत तौर पर धमकी मिली है,लेकिन मुझे कभी डर नहीं लगा। लेकिन इस साल जब पांच अक्टूबर को घाटी में कश्मीरी पंडित माखन लाल बिंद्रू की सरेआम गोली मारकर ह्त्या कर दी गई तो उसके बाद घर में ही रह रहा हूं।
संजय टिक्कू कहते हैं कि आज के हालात में कश्मीरी पंडित जो कैंपों में रह रहे है वहां पर पूरी सिक्योरिटी है। वहीं कश्मीर घाटी में रहने ऐसे 292 परिवार जिन्होंने कभी यहां से पलायन नहीं किया उन 90 फीसदी परिवारों में कोई सुरक्षा नहीं है।
कश्मीर में टारगेट किलिंग क्यों बढ़ी?- 'वेबदुनिया' के इस सवाल कि अचानक से कश्मीर में टारगेट किलिंग क्यों बढ़ी इस पर संजय टिक्कू कहते हैं कि इसके एक नहीं कई कारण है। पहला और सबसे बड़ा कारण अनुच्छेद 370 को हटाना जाने और कश्मीर के सियासी दलों के तरफ कोई ध्यान नहीं दिया। वह कहते हैं कि अनुच्छेद 370 हटाने के बाद कश्मीर को जिस तरह से देश-दुनिया में पेश किया गया उसको लेकर बहुत सवाल है। बताया जा रहा है कि धारा 370 हटने के बाद कश्मीर में कोई पत्थरबाजी नहीं हो रही है। अमच-चैन, विकास और नौकरियां चाहते है तो फिर पांच अक्टूबर (माखन लाल बिंदूरु की हत्या) क्यों हुई।
अब घाटी छोड़ना चाहते हैं कश्मीरी पंडित- श्रीनगर में बीते 5 अक्टूबर को मशहूर फॉर्मेसी के मालिक माखन लाल बिंद्रू की हत्या के बाद दहशत के साये में जीने को मजबूर अब सरकार से अपने विस्थापन की मांग कर रहे है। माखन लाल बिंद्रू उन 808 कश्मीरी पंडित परिवारों से से एक थे जिन्होंने 1990 के दशक में तब भी घाटी मे रहना चुना जब आतंकियों के डर से घाटी से कश्मीरी पंडित का सामूहिक पलायन हुआ था।
वेबदुनिया से बातचीत में कश्मीरी पंडित नेता संजय टिक्कू कहते हैं कि पिछले दिनों जब गृहमंत्री अमित शाह घाटी आए थे तब हमने उनसे कहा कि अब बहुत हुआ और अब हमको आप हिंदुस्तान के किसी कोने में शिफ्ट कीजिए। हम 32 साल से झेल रहे है और हमने पूरा जीवन संघर्ष में निकाल दिया। अब जो पीढ़ी 1990 के बाद पैदा हुई उसे भविष्य के लिए बेहतर है कि हमें कश्मीर से शिफ्ट किया जाए।
संजय टिक्कू आगे कहते हैं कि 90 के दशक से अब तक हमने 650 कश्मीरी पंडितों का बलिदान दिया है, उसके बदले में हमें क्या मिला, 5 अक्टूबर वाली स्थिति। आज फिर 90 के दशक वाली स्थिति है, हमें यह नहीं चाहिए। हमारे कंधों पर बंदूक रखकर अब सियासत नहीं होनी चाहिए। हमको देश के किसी कोने में जगह देना चाहिए हम रहे। हम अब सुख की नींद चाहिए। आज हम 24 घंटे में हम 48 बार मरते है। दरवाजे पर कोई नॉक हुआ तो शरीर से आत्मा निकल जाती है ऐसी जिंदगी से बेहतर है कि हमको घाटी से निकालकर देश के किसी कोने में शिप्ट किया जाए।