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खीर भवानी मेले में जुटे हजारों पंडित, कश्मीर वापसी की दुआ मांगी

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सुरेश एस डुग्गर

श्रीनगर , बुधवार, 20 जून 2018 (19:34 IST)
श्रीनगर। हजारों कश्मीरी पंडितों ने बुधवार को ज्येष्ठा अष्टमी पर तुलमुला स्थित मां रागन्या के मंदिर में एकत्र होकर खीर भवानी को श्रद्धा के फूल चढ़ाए। इसी प्रकार विस्थापित कश्मीरी पंडितों ने जम्मू में बनाए गए खीर भवानी मंदिर में भी हाजिरी लगाई। खीर भवानी आने वाले हजारों कश्मीरी विस्थापित पंडितों ने अपनी कश्मीर वापसी के लिए दुआ भी मांगी। 
 
ज्येष्ठा अष्टमी को कश्मीर में तुलमुला तथा मझगांव स्थित मां खीर भवानी मेले में मां रागन्या को आस्था के फूल अर्पित करने के लिए सैकड़ों कश्मीरी पंडित कई दिन पहले ही जम्मू से कूच कर गए थे। ये श्रद्धालु एसआरटीसी की बसों और निजी वाहनों में रवाना हुए थे। सबसे अहम बात तो यह थी कि इस बार खीर भवानी मेले में भाग लेने वाले श्रद्धालुओं को सुरक्षा की कोई चिंता नहीं सताई थी। कुछ वर्ष पहले तक श्रद्धालु सुरक्षा के घेरे में मां की पूजा-अर्चना करने के लिए जम्मू से जाया करते थे।
 
इस बार के मेले की खास बात यह थी कि खीर भवानी आने वाले कश्मीरी पंडितों ने इस बार अपनी कश्मीर वापसी की चर्चा एक बार फिर स्थानीय मुस्लिमों के साथ की थी। उन्होंने विश्वास जताया कि वे जल्द ही कश्मीर लौट सकते हैं। पुणे में रह रहे कश्मीरी पंडित रविन्द्र साधु का कहना था कि उन्हें कश्मीर की बहुत याद सताती है और वे वापस आने का खतरा मोल लेने को तैयार हैं।
 
कश्मीर में आतंकवाद के दौरान विकट परिस्थितियों में भी खीर भवानी मंदिर पहुंचने वाले पंडितों और मुस्लिम भाइयों ने आपसी प्रेम को कायम रखा है। इसमें बड़ी संख्या में मुस्लिम भाई लंगरों में भक्तों की सेवा करते रहे हैं। मेले के लिए को पूजा में प्रयोग लाए जाने वाले दूध, फूलों सहित अन्य जरूरी सामग्री को उपलब्ध करवाया गया था। इसके अलावा यात्रियों के ठहरने, पानी, बिजली, चिकित्सा आदि के उचित इंतजाम किए गए थे।
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यह मेला कश्मीर में हिन्दू-मुस्लिम भाईचारे का प्रतीक भी है। इस मेले में घाटी की हिंदू आबादी के साथ ही स्थानीय मुसलमान भी बढ़-चढ़कर शामिल होते है। यहां तक कि पूजा सामग्री से लेकर श्रद्धालुओं की सुविधा का पूरा इंतजाम भी यही लोग करते हैं।
 
कश्मीर में के हालात से अब यह उम्मीद भी जगी है कि घाटी से पलायन कर चुके कई पंडित परिवार घाटी वापस लौटने का मन बना रहे हैं। घाटी के तुलमुल के खीर भवानी मंदिर में ज्येष्ठ अष्टमी के मौके पर देश के कोने-कोने से कश्मीरी पंडित मंदिर में पहुंचते हैं। यही वह मौका होता है जब सालों से बिछुड़े रिश्तेदार, पड़ोसी और दोस्तों से यहां मिलते हैं।
 
दंत कथाओं के अनुसार खीर भवानी माता जिसे शामा नाम से जाना जाता था, श्रीलंका में विराजमान थीं। वह वैष्णवी प्रवृत्ति की थीं, लेकिन राक्षसों की प्रवृत्ति से माता नाराज हो गईं और वहां भगवान श्रीराम के आगमन पर मां ने हनुमान को आदेश दिया कि वह उन्हें सतीसर (जिसे कश्मीर भूमि कहा जाता है) में ले जाए। इस पर हनुमान मां को 360 नागों के साथ श्रीनगर ले आए। इस दौरान मां जहां-जहां रुकी वहां उनकी स्थापना हुई।

 
कश्मीर में गंदरबल जिला के तुलमुला क्षेत्र में मां खीर भवानी का प्रमुख मंदिर स्थापित है। इस मंदिर की महाराजा प्रतापसिंह ने स्थापना की। मंदिर के कुंड के पानी की खासियत है कि संसार में जब भी कुछ घटता है कुंड के पानी का रंग बदल जाता है। यहां कई दिन मां के मेले का आयोजन होता है।

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