- नेता प्रतिपक्ष बनने पर राहुल को 3.3 लाख मासिक वेतन के साथ ही अन्य भत्ते भी मिलेंगे
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कई महत्वपूर्ण समितियों का सदस्य होता है नेता प्रतिपक्ष
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कर्मचारियों के स्टाफ का खर्च भी केंद्र सरकार उठाएगी
Leader of opposition : पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष और रायबरेली से सांसद राहुल गांधी अगर नेता प्रतिपक्ष बन जाते हैं तो इसका फायदा इंडिया गठबंधन और कांग्रेस के साथ ही उन्हें भी होगा। वे संसद में विपक्ष की आवाज बन जाएंगे। राहुल को कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिलने के साथ ही कई अन्य सुविधाएं भी मिलेगी।
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उल्लेखनीय है कि 24 जून से संसद का विशेष सत्र शुरू हो रहा है। इस सत्र में 24 और 25 जून को नए सांसदों को शपथ दिलाई जाएगी, 26 जून को लोकसभा स्पीकर का चुनाव हो सकता है। इसके साथ ही नेता प्रतिपक्ष पद की भी औपचारिक बहाली होगी।
10 साल से क्यों नहीं चुना गया नेता प्रतिपक्ष : लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष (Leader of Opposition) का पद पाने के लिए किसी पार्टी के पास 10 प्रतिशत यानी 55 सीटें चाहिए, लेकिन साल 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में किसी पार्टी इतनी संख्या नहीं मिली थी। इस वजह से नेता प्रतिपक्ष का पद 10 सालों तक खाली रहा था। इससे पहले आखिरी बार सुषमा स्वराज को लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष चुना गया था।
नेता प्रतिपक्ष पद पर किसका दावा सबसे मजबूत : लोकसभा चुनाव में 102 सीटों के साथ कांग्रेस दूसरे सबसे बड़े दल के रूप में उभरी है। ऐसे में नेता प्रतिपक्ष कांग्रेस से ही होगा। कांग्रेस कार्य समिति ने राहुल गांधी को नेता प्रतिपक्ष बनाने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया है और अगर राहुल इसे स्वीकार कर लेते हैं तो वो अगले नेता प्रतिपक्ष होंगे।
नेता प्रतिपक्ष को कौन सी सुविधाएं मिलती है : नेता प्रतिपक्ष को कैबिनेट मंत्री का दर्जा, 3.3 लाख मासिक वेतन और अन्य भत्ते मिलते हैं। उसका पद कैबिनेट मंत्री के बराबर होता है और उसे केंद्रीय मंत्री के बराबर वेतन, भत्ता और अन्य सुविधा मिलती है। आवास और चालक समेत कार की सुविधा प्रदान की जाती है। नेता प्रतिपक्ष को कर्मचारियों का स्टाफ भी मिलता है। इसका खर्च केंद्र सरकार उठाती है।
नेता प्रतिपक्ष की शक्तियां : नेता प्रतिपक्ष लोक लेखा, सार्वजनिक उपक्रम, अनुमान जैसी महत्वपूर्ण समितियों का सदस्य होता है। वह कई अन्य संयुक्त संसदीय समितियों का सदस्य भी होता है। उसे सीबीआई, एनएचआरसी, केंद्रीय सतर्कता आयोग, केंद्रीय सूचना आयोग के प्रमुखों की नियुक्ति करने वाली चयन समितियों का सदस्य बनाया जाता है। नेता प्रतिपक्ष को संसद में सरकार की नीतियों की अलोचना करने की स्वतंत्रता होती है।
संसद में विभित्र कक्षों के बंटवारे के समय भी लोकसभा सचिवालय नेता प्रतिपक्ष की राय लेता है। सदन भीतर प्रतिपक्ष के पहली और दूसरी लाइन में कौन-कौन बैठेगा, इसका फैसला भी नेता प्रतिपक्ष की राय के बाद ही लिया जाता है।
Edited by : Nrapendra Gupta