नई दिल्ली। एयर इंडिया एक्सप्रेस विमान हादसे को लेकर की गई जांच की प्रारंभिक रिपोर्ट उड्डयन मंत्रालय को सौंपी गई है। प्रारंभिक रिपोर्ट के मुताबिक विमान को पहले कोझिकोड एयरपोर्ट के 28 नंबर रनवे पर लैंडिंग की मंजूरी दी गई थी, लेकिन अंतिम समय पर वह विमान को ऊपर लेकर चला गया।
रिपोर्ट के मुताबिक पायलट ने कंट्रोल को भारी बारिश की वजह से लैंडिंग नहीं कराने की बात बताई थी। इसके बाद कंट्रोलर ने उससे विमान को 10 हजार फुट की ऊंचाई पर ले जाने को कहा। दुर्घटनाग्रस्त होने से करीब 16 मिनट पहले विमान ने 28 नंबर रनवे पर उतरने का प्रयास किया था।
नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीपसिंह पुरी ने भी कहा है कि खराब मौसम के कारण पायलट पहली बार लैंडिंग कराने में सफल नहीं हो सका और विमान को ऊपर ले गया। इसके बाद पायलट ने दूसरी दिशा से लैंडिंग कराने की कोशिश की थी। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि दुर्घटना फिसलनभरे (स्लिपरी) रनवे के कारण हुई।
प्रारंभिक रिपोर्ट के मुताबिक 28 नंबर रनवे प्रयोग में था, इसलिए विमान को उस रनवे पर लैंडिंग के लिए जरूरी इंस्ट्रूमेंटल लैंडिंग सिस्टम की मंजूरी दे गई थी। उस समय दृश्यता 2 हजार फुट थी और हल्की बारिश हो रही थी, लेकिन दृश्यता बढ़ रही थी और सीएफटी (अतिरिक्त ईधन टैंक) निर्धारित बिंदुओं पर तैनात थे। पायलट को सतह की स्थिति के बारे में भी बताया गया था।
रिपोर्ट के अनुसार एटीसी (एयरपोर्ट ट्रैफिक कंट्रोलर) ने पायलट से विमान को 10 हजार फुट की ऊंचाई पर ले जाने को कहा, लेकिन पायलट ने 7 हजार फुट की ऊंचाई पर जाने के बाद एटीसी से रनवे नंबर 10 पर लैंडिंग के लिए इजाजत मांगी। तब उसे वहां चल रही हवा, दृश्यता और क्यूम्यलोनिम्बस (सीबी) बादल की स्थिति की जानकारी देने के बाद लैंडिंग की मंजूरी दे दी गई।
रिपोर्ट के मुताबिक कंट्रोलर ने देखा कि विमान टैक्सीवे सी तक रनवे के संपर्क में नहीं आया। इसके बाद विमान के रनवे से आगे बढ़ जाने की आशंका में कंट्रोलर ने तुरंत पीडी बिंदु पर तैनात सीएफटी को विमान के पीछे जाने को कहा। साथ ही खतरे की आशंका में कंट्रोलर ने फायर ब्रिगेड को सतर्क करने के साथ ही सायरन बजा दिया। सीएफटी ने भी रनवे के आखिर तक विमान के नजर नहीं आने की जानकारी दी। इसके बाद उससे खाई में देखने को कहा। विमान खाई में दुर्घटनाग्रस्त मिला था।
दुबई से चालक दल के 6 सदस्यों सहित 190 लोगों को लेकर आ रही उड़ान शुक्रवार रात में भारी वर्षा के बीच कोझिकोड हवाई अड्डे पर उतरते समय रनवे से फिसल कर 35 फुट गहरी घाटी में गिर गई थी। विमान दो हिस्सों में टूट गया था और इस दुर्घटना में दोनों पायलटों सहित 18 लोग मारे गए थे।